कांग्रेस की सभा में मंच पर नहीं बैठे पूर्व सीएम

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दिग्विजय सिंह ने बताई 7 वजहें
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बोले- नेताओं के समर्थक मंच पर कब्जा जमा लेते
भोपाल। जबलपुर में 31 मई को हुई कांग्रेस की जयहिंद सभा में पूर्व सीएम और कांग्रेस के सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह मंच पर नहीं बैठे। पूर्व मंत्री और जबलपुर से विधायक लखन घनघोरिया दिग्विजय सिंह के पैर छूकर मंच पर बैठने का आग्रह करते रहे। लेकिन, दिग्गी इसके बावजूद मंच पर नहीं बैठे। दिग्विजय सिंह ने मंच पर न बैठने की सात वजहें बताईं हैं। दिग्विजय सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा- कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर नहीं बैठने के निर्णय के संबंध में। कांग्रेस को कार्यकर्ताओं के बीच रहना होगा। मेरा मंच पर न बैठने का निर्णय केवल व्यक्तिगत विनम्रता नहीं बल्कि संगठन को विचारात्मक रूप से सशक्त करने की सोच को लेकर उठाया गया कदम है। यह निर्णय कांग्रेस की मूल विचारधारा, “समता, अनुशासन और सेवा” का प्रतीक है। दिग्विजय ने लिखा- आज कांग्रेस का काम करते हुए कार्यकर्ताओं को नया विश्वास और हौसला चाहिए। इसके लिए संगठन में जितनी सादगी होगी उतनी सुदृढ़ता आएगी।
2018 और 2023 में भी मंचों से परहेज किया
राहुल गांधी के अध्यक्षीय कार्यकाल का दिया उदाहरण दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा- खुद राहुल गांधी जी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहते हुए ऐसी मिसाल प्रस्तुत कर चुके हैं। 17 मार्च 2018 को दिल्ली में तीन दिवसीय कांग्रेस का पूर्ण राष्ट्रीय अधिवेशन इस बात का गवाह रहा है। उस अधिवेशन में राहुल जी, सोनिया जी सहित सभी वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मंच से नीचे दीर्घा में ही बैठे थे। यहां तक कि स्वागत-सत्कार भी मंच से नीचे उनके बैठने के स्थान पर ही हुआ। मैं समझता हूं, वह फैसला कांग्रेस पार्टी का सबसे सफलतम प्रयोग था।
बापू भी असहयोग आंदोलन के दौरान जमीन पर बैठते थे दिग्विजय ने लिखा- कांग्रेस अपनी शुरुआत से ही ऐसे उदाहरणों से भरी हुई है। महात्मा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक अनेक मौकों पर नेताओं का जनता के बीच में रहना और उनके साथ बैठना मिसाल बनता रहा है। दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा- बापू कहना था कि वे लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं चाहते और सभी के साथ एक समान व्यवहार करना चाहते हैं। इससे उनकी विनम्रता और समानता के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट होती थी। गांधी जी का यह व्यवहार उनकी जीवनशैली और दर्शन का हिस्सा था, जो सादगी और समानता पर आधारित था।
जिन्हें मंच मिलना चाहिए वे वंचित रह जाते हैं दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा- 28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर नहीं बैठने का निर्णय न तो मेरे लिए नया है और न ही कांग्रेस पार्टी के लिए। कांग्रेस पार्टी सदैव कार्यकर्ताओं की पार्टी रही है।
दिग्विजय सिंह ने लिखा-
केंद्र या राज्यों में जब-जब भी कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही है तो वह कार्यकर्ताओं और संगठन के बल पर रही है। लेकिन पिछले कुछ सालों में मैंने अनुभव किया है कि जिन्हें मंच मिलना चाहिए वे उससे वंचित रह जाते हैं और नेताओं के समर्थक मंच पर अतिक्रमण कर लेते हैं। जिससे बेवजह मंच पर भीड़ होती है, अव्यवस्था फैलती है और कई बार मंच टूटने जैसी अप्रिय घटनाएं भी हो जाती हैं।कांग्रेस पार्टी का जन्म स्वतंत्रता आंदोलन से हुआ है। इसके मूल विचार में सदैव समानता, स्वतंत्रता, न्याय, सहयोग और आम आदमी से जुड़ने की भावना और उसका कल्याण रहा है। कांग्रेस के लिए विचार प्रथम और सत्ता द्वितीय स्थान पर रही है। मंच पर नहीं बैठने के निर्णय के पीछे मेरी ये भावनाएं हैं: