• मुख्यमंत्री ने एयर एंबुलेंस पर भी दिए निर्देश


भोपाल। मुख्यमंत्री ने एयर एंबुलेंस सेवा को दुर्घटना स्थलों और डायल-100 से जोड़ने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गंभीर मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को 'गोल्डन आवर' में इलाज दिलाने के लिए एयर एंबुलेंस का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित बैठक में जल गंगा संवर्धन अभियान की समीक्षा करते हुए प्रदेश में जल संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने वाले जिलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पानी बचाने, जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने और नागरिकों को सहभागी बनाने में जिलों ने जो कार्य किए हैं, वे सराहनीय हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से आह्वान किया कि जल संरक्षण एक जनआंदोलन बनना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल गंगा संवर्धन, रोजगार, निवेश और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में प्रशासनिक सक्रियता और जनसहभागिता से प्रदेश नई ऊंचाइयों को छुएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत अब तक 21 लाख नागरिकों की सक्रिय भागीदारी दर्ज की गई है। एक माह के भीतर प्रदेश में 7,339 पुराने जल संरक्षण कार्य पूरे हुए हैं, 24,685 डगवेल रिचार्ज किए गए और 822 अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है। खेत-तालाब योजना के तहत एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का विस्तार हुआ है।
उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों को सम्मान
बैठक में जानकारी दी गई कि कूप रीचार्ज कार्यों में बैतूल जिला प्रथम, खंडवा द्वितीय और छिंदवाड़ा तृतीय स्थान पर रहा। खंडवा में सूखी रहने वाली घोड़ापछाड़ नदी को पुनर्जीवित किया गया है, जिससे अब 12 ग्रामों की 750 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव हो रही है। अमृत सरोवर निर्माण में धार जिला शीर्ष पर रहा, जबकि सीधी और छिंदवाड़ा ने क्रमश: द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्राचीन जल संरचनाओं के संरक्षण में टीकमगढ़ की वजीतपुरा बावड़ी और इंदौर का अहिल्या कुंड उल्लेखनीय उदाहरण बने हैं।
नर्मदा परिक्रमा पथ पर बेहतर सुविधाएं हों 
मुख्यमंत्री ने नर्मदा परिक्रमा पथ के 321 स्थलों की पोर्टल मैपिंग का हवाला देते हुए वहां परिक्रमावासियों के विश्राम, भोजन, ध्यान और संतों के लिए कुटिया निर्माण के निर्देश दिए। नर्मदापुरम में निर्मित जल मंदिर और ओंकारेश्वर में परिक्रमा पथ की व्यवस्था पर भी चर्चा की गई।
जल, मिट्टी और वृक्ष संरक्षण के पर्व तीन महीने मनाए जाएंगे 
बैठक में तय किया गया कि अक्षय तृतीया से रक्षाबंधन तक प्रदेश में जल, मृदा और वृक्ष संरक्षण से जुड़े पर्व मनाए जाएंगे। इनमें गंगा दशहरा (5 जून), वट सावित्री व्रत (6 जून), निर्जला एकादशी (8 जून), हरियाली अमावस्या (25 जुलाई), रक्षाबंधन और कजरी तीज (12 अगस्त) शामिल हैं। इन अवसरों पर जल स्रोतों की पूजा, वृक्षारोपण और जल संरक्षण के संकल्प लिए जाएंगे।
उद्योग संवर्धन को भी मिलेगी गति
मुख्यमंत्री ने एयर एंबुलेंस सेवा को दुर्घटना स्थलों और डायल-100 से जोड़ने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गंभीर मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को 'गोल्डन आवरÓ में इलाज दिलाने के लिए एयर एंबुलेंस का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जाए। उद्योग संवर्धन वर्ष 2025 के तहत मुख्यमंत्री ने जिला स्तरीय उद्योग संवर्धन समितियों को सक्रिय रखने और निवेश प्रस्तावों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने पारंपरिक मेलों और स्थानीय बाजारों को आपस में जोड़ने तथा नर्सरियों के विकास पर भी बल दिया।