लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में भीषण आग, एक की मौत

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पीठ पर मरीजों को लादकर भागे परिजन
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200 दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट
लखनऊ। लखनऊ के सरकारी लोकबंधु अस्पताल की दूसरी मंजिल पर आग लग गई। अंबेडकर जयंती होने के चलते अस्पताल के अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं थे। आग जिस मंजिल पर लगी, वहां फीमेल मेडिसिन, ICU और HDU जैसे वार्ड हैं। केवल इस फ्लोर पर 40 से 50 मरीज भर्ती थे, साथ ही उनके तीमारदार भी मौजूद थे।आग की वजह से पूरे अस्पताल में धुआं भर गया। बिजली कटने से चारों ओर अंधेरा छा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग लगने के बाद मौके से ऑन ड्यूटी डॉक्टर और स्टाफ भाग गए। तीमारदारों ने जान की परवाह किए बिना मरीजों को बचाने में मदद की। उन्होंने मरीजों को पीठ पर लादकर बाहर निकाला। फायर ब्रिगेड की टीम कांच तोड़कर अंदर दाखिल हुई। सीढ़ियों और क्रेन की मदद से लोगों को बाहर निकाला। 200 मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है। गंभीर रोगियों को सिविल और बलरामपुर अस्पताल भेजा गया। ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने के कारण ICU में भर्ती 61 साल के मरीज राजकुमार प्रजापति की मौत हो गई, जबकि 26 साल की महिला कांति की हालत नाजुक बनी हुई है। उसका इलाज ट्रॉमा सेंटर में चल रहा हैघटना सोमवार रात 9 बजकर 25 मिनट की है। लोकबंधु अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया- अब तक की छानबीन में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट सामने आया है। फिलहाल, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। घटना का सीएम योगी ने संज्ञान लिया। उन्होंने फोन पर अधिकारियों से पूरी जानकारी ली थी।
डिप्टी सीएम बोले- 200 मरीजों को बाहर निकाला गया
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया- ग्राउंड फ्लोर पर धुआं दिखा था। अस्पताल के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ ने तुरंत मरीजों को वहां से शिफ्ट करना शुरू किया। 200 मरीजों को वहां से शिफ्ट किया गया है। इनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा। 2-3 गंभीर मरीजों को KGMU के ICU वार्ड में शिफ्ट किया गया। सभी लोग सुरक्षित हैं।
BP लो के चलते बुजुर्ग मरीज को कराया गया था भर्ती
मरने वाले राजकुमार प्रजापति को 13 अप्रैल को BP लो होने के कारण लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑक्सीजन निकालने के कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई है। मौके से डॉक्टर और स्टाफ भाग गया था। सिर्फ एक एम्पलाई ही अंतिम समय तक था। मृतक के 2 बेटे और 2 बेटी हैं। पत्नी का नाम लक्ष्मी हैं। हुसैनगंज के छितवापुर के रहने वाले हैं। मृतक के साथ मौके पर बेटे दीपेंद्र प्रजापति और दामाद सूरज थे।
मरीज बोला- अंदर पूरा अंधेरा हो गया था, कुछ समझ नहीं आ रहा था
काकोरी के मरीज रमजान ने बताया कि वह 4 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। अचानक से अस्पताल में भाग शुरू हो गई। इसके बाद सभी मरीज भागने लगे। तीमारदार चीख रहे थे। अंदर बहुत खौफनाक मंजर था। मेरा ऑपरेशन होना था, लेकिन अभी घर जा रहे हैं। बाद में इलाज करवाएंगे।साथ में पत्नी और दो बच्चे भी हैं। हम लोग काफी डरे हुए हैं। अंदर पूरा अंधेरा हो गया था, कुछ समझ नहीं आ रहा था। आग से बचकर बाहर निकले एक अन्य मरीज ने बताया कि हम लोग लेटे थे। अचानक धुआं दिखने लगा। फिर आग की लपटें दिखने लगीं। इसके बाद हम लोग तेजी से बाहर की तरफ भागे।
तीन किलोमीटर दूर से देखा आग
लखनऊ के रहने वाले महेश रावत का घर लोकबंधु अस्पताल से करीब 3 किलोमीटर दूर है। अस्पताल में उनकी बुआ का इलाज चल रहा है। महेश ने बताया कि मैं घर की छत पर था। अचानक अस्पताल से आग की लपटें उठती देखीं। मैं तुरंत भागकर यहां आया।
सायरन बजा तब हुई जानकारी
मरीज मालती साहू ने बताया- मैं स्टोर रूम के बगल वाले वार्ड में एडमिट थी। पहले सायरन बजा, फिर भगदड़ मच गई। तब हमें आग लगने के बारे में पता चला। हमारे वार्ड में कुल 12 मरीज भर्ती थे। सभी को बाहर निकाला गया। आग लगने के आधे घंटा बाद फायर ब्रिगेड पहुंची थी।
एक तीमारदार बोला- अफसर झूठ बोल रहे
लखनऊ के आशियाना के रहने वाले विश्वजीत ने बताया कि अधिकारी झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने बताया, मुझसे अधिकारियों ने कहा कि तुम्हारे पिता को दूसरी अस्पताल में शिफ्ट किया गया है, लेकिन वह तो यहीं पड़े हैं। मेरे पिता बेड नंबर- 111 पर भर्ती थे। अस्पताल में आग लगने के बाद हमने उनको बाहर निकाला। उनको किसी भी अस्पताल में नहीं शिफ्ट किया गया है।
लखनऊ में सोमवार को इंजीनियर परिवार के 5 लोगों अर्थियां एक साथ उठीं। यह देख वहां चीख-पुकार मच गई। देवरानी ने शव से लिपटकर चीखते हुए कहा- भाभी उठो, श्री आपकी गोद में है। अभी तो छुट्टियों का प्लान बना रही थीं...कहां चली गईं? इसके बाद रोते-रोते गश खाकर गिर पड़ी।