• जयशंकर बोले- तनातनी से किसी का फायदा नहीं

  • सीमा पर अशांति हुई तो संबंधों पर भी असर

नई दिल्ली । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन अपने रिश्तों को दोबारा से बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। तनावपूर्ण रिश्ते किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है। 2020 में गलवान घाटी में जो हुआ, वह मुद्दों को सुलझाने का तरीका नहीं था। जयशंकर बुधवार को थिंक टैंक एशिया सोसाइटी के एक इंटरेक्टिव सेशन में शामिल हुए थे। विदेश मंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि आगे भी भारत और चीन में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संघर्ष में पड़े बिना उन्हें दूसरे तरीके से भी सुलझाया जा सकता है। 

जयशंकर बोले- अभी भी मुद्दा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ

गलवान घाटी में हुई झड़पों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में जो हुआ, वह वास्तव में बहुत दर्दनाक था। यह सिर्फ संघर्ष नहीं था, बल्कि लिखित समझौतों की अनदेखी की गई थी। ऐसा नहीं है कि यह मुद्दा पूरी तरह से खत्म हो गया है, हम अभी भी इस घटना से जुड़े कुछ हिस्सों से निपट रहे हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि हम कई मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन इसके लिए हमें संघर्ष नहीं करना चाहिए। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध किसी भी पक्ष के हितों को पूरा नहीं करते, क्योंकि सीमा के पास शांति भंग होती है तो बाकी संबंध भी ठीक से नहीं चल सकते।

अक्टूबर 2024 से भारत-चीन संबंधों में सुधार हुआ

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हमें लगता है कि अक्टूबर 2024 से संबंधों में कुछ सुधार देखने को मिला है। हम इस पर काम कर रहे हैं। मैं चीनी विदेश मंत्री से कई बार मिल चुका हूं और मेरे बाकी सहयोगी भी ऐसा कर चुके हैं। हम कदम दर कदम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हम 2020 में हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।

भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद इसी साल अक्टूबर में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों की सेनाएं देपसांग और डेमचोक से पीछे हट गईं। इसके बाद 25 अक्टूबर को भी दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख से पीछे हटीं।