भोपाल में कोरोना जांच को लेकर गफलत की स्थिति

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CMHO बोले-हो रही जांच, 15 फीसदी इंफेक्शन के मरीज बढ़े
भोपाल। भोपाल में कोरोना के अभी एक भी मरीज नहीं मिले हैं लेकिन यहां आरटीपीसीआर जांच को लेकर काफी गफलत की स्थिति बनी हुई है। दरअसल 15 फीसदी मरीजों में इंफेक्शन होने पर उन्हें जांच के लिए कहा जा रहा है। देश में एक बार फिर से कोरोना के दो नए वेरिएंट सामने आए हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई राज्यों में मरीज मिले हैं। वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर में चार केस सामने आए हैं। राजधानी भोपाल में कोरोना के अभी एक भी मरीज नहीं मिले हैं लेकिन यहां आरटीपीसीआर जांच को लेकर काफी गफलत की स्थिति बनी हुई है। दरअसल 15 फीसदी मरीजों में इंफेक्शन होने पर उन्हें जांच के लिए कहा जा रहा है। जेपी अस्पताल में पहले से कोविड जांच के लिए बनाए गए वार्ड को बंद कर दिया गया है। हालांकि भोपाल सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि लैब में जांच अभी भी हो रही है। जिन मरीजों को डॉक्टर जांच लिख रहे है उनकी जांच हो रही है। यह जांच कभी भी बंद नहीं हुई पहले भी जांच हो रही थी अभी भी हो रही है। मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं होने के कारण अलग से सेंटर नहीं बनाया गया है। हम पूरी तरह से तैयार हैं।
इंफेक्शन के मरीज 15 फीसदी बढ़े
हमीदिया हॉस्पिटल के पलमोनरी स्पेशलिस्ट डॉ.पराग शर्मा ने बताया कि मौसम में आए बदलाव के कारण 15 फीसदी इंफेक्शन के मरीज बढ़ गए हैं। हालांकि कोरोना के जैसे इनके ही लक्षण पाए जा रहे हैं। इन मरीजों में बुखार, गंध-स्वाद का चले जाना, बदन दर्द, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, बीमारी 7 से 10 दिन में ठीक भी हो रही है। कुछ मरीजों को जरूर भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। डॉ शर्मा का कहना है कि कोरोना का जेएन-1 वैरिएंट है, जो तेजी से फैल रहा है। लोगों को खुद को सुरक्षित रखने के लिए कोरोना से बचाव की आदतों को फिर अपनाने की जरूरत है।
भोपाल में नहीं है कोरोना का कोई असर
भोपाल सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि कोरोना का राजधानी भोपाल में बिल्कुल भी असर नहीं है। केवल इस पैनिक बनाया जा रहा है। कोरोना की जांच कभी बंद नहीं हुई। बस जगह बदल दी गई है। क्योंकि मरीजों की संख्या ना के बराबर है इसलिए अलग से सेंटर नहीं बनाया गया है। लैब में पहले जैसे अभी भी जांच हो रही है। अगर मरीज बढ़ते हैं तो हम अलग से केंद्र बनाएंगे और मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था हमारे पास पहले से उपलब्ध है। पूरा स्वास्थ्य अमला पूरी तरह अलर्ट मोड पर है।
जेएन.1 के लक्षण
- बुखार या ठंड लगना
- गले में खराश
- खांसी, सांस लेने में दिक्कत
- सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द
- गंध और स्वाद की कमी (कुछ मामलों में)
- उल्टी-दस्त, पेट दर्द (कुछ मरीजों में ये लक्षण भी सामने आ रहे हैं)
यह सावधानियां जरूरी
- मास्क पहनें, विशेषकर भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में।
- हाथों की सफाई बार-बार करें।
- धूल और प्रदूषण से बचें।
- इन्हेलर या दवाएं समय पर लें (यदि पहले से अस्थमा, सीओपीडी के मरीज हैं)
- डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें, अगर गंध या स्वाद चला जाए, उल्टी-दस्त हो या सांस लेने में तकलीफ हो।