गुटखा खाने वालों का मुंह नहीं खुलने की बीमारी बढ़ी

10% में यह कैंसर, एम्स भोपाल का शोध सिंगापुर में पेश
भोपाल ।एम्स के दंत रोग विभाग के डॉ. अंशुल राय और उनकी टीम ने ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (OSF) पर की गई रिसर्च को हाल ही में सिंगापुर में पेश किया। यह अध्ययन 80 देशों के दो हजार से अधिक विशेषज्ञों के बीच प्रस्तुत किया गया। एम्स भोपाल में तंबाकू-सुपारी लोगो पर शोध किया गया है। एम्स के दंत रोग विभाग के डॉ. अंशुल राय और उनकी टीम ने ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (OSF) पर की गई रिसर्च को हाल ही में सिंगापुर में पेश किया। यह अध्ययन 80 देशों के दो हजार से अधिक विशेषज्ञों के बीच प्रस्तुत किया गया। रिसर्च में करीब 100 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें से अधिकांश पिछले 10 सालों से तंबाकू और सुपारी का सेवन कर रहे थे। इन रोगियों में ओएसएफ की स्थिति देखी गई, जिसमें व्यक्ति के मुंह का खुलना सीमित हो जाता है। ऐसे लोगों के मुंह में तीन उंगलियां एक साथ नहीं जाती हैं। चिंता की बात यह रही कि इन मरीजों में से 8 से 10 को आगे चलकर मुंह का कैंसर हो गया।
ओएसएफ एक घातक स्थिति
एम्स के डॉ. अंशुल राय ने बताया कि पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए अलग अलग सर्जिकल प्रोटोकॉल विकसित किए गए है। जिससे इलाज ज्यादा सटीक और असरदार हो सके। मरीजों को पहले ही बताया जाता है कि ओएसएफ एक घातक स्थिति है। इसका इलाज लंबा चलता है। ऐसे में जरूरी है कि सभी रोगी हर फॉलो-अप में आवश्यक आएं। उन्होने बताया कि मुंह ना खुलने की समस्या के चार ग्रेड हैं। जितना कम मुंह खुलता है उतना ही ग्रेड बढ़ जाता है। ग्रेड एक और दो के मरीज एक्सरसाइज और हल्दी व शहद का लेप लगा इस समस्या को रोक सकते हैं। वहीं ग्रेड 3 और ग्रेड चार के मरीजों में सर्जरी ही विकल्प होता है।
ऐसे छोड़ें तंबाकू-सुपारी
शोधकर्ताओं के अनुसार, एकदम से लत नहीं छोड़ी जा सकती है। ऐसा करने से मरीज के सिर में दर्द, ज्यादा नींद समेत अन्य लक्षण देखने के मिलते हैं। ऐसे में पहले दिन यदि कोई 10 बार तम्बाकू, गुटखा और सुपारी का सेवन करता है तो उसे 8 बार कर दे। अन्य दो बार वे अजवाइन के साथ काला नमक और काली मिर्च का पाउडर का सेवन करें। यह व्यक्ति की तलब को तत्काल खत्म करने में सक्षम है।
यह थे रिसर्च के मुख्य बिंदू
1- OSF का खतरा उन लोगों में ज्यादा पाया गया जो गुटखा या तंबाकू मिश्रित पाउच प्रोडक्ट का उपयोग कर रहे थे।
2- रोगियों में 30% महिलाएं थीं।
3- तीन बच्चे भी थे, जिनकी आयु 10 साल से कम थी।
4- रिसर्च में शामिल मरीजों की उम्र 9 से 70 वर्ष के बीच थी।
5- बनाया इफेक्टिव ट्रीटमेंट मॉडल
नया फिजियोथेरेपी प्रोटोकॉल भी विकसित
एम्स भोपाल के दंत चिकित्सा विभाग ने मुंह खोलने में सुधार के लिए एक नया फिजियोथेरेपी प्रोटोकॉल भी विकसित किया। इस विधि का रोगियों पर परीक्षण किया गया और सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इसने न केवल जबड़े की गति में सुधार किया बल्कि रोगियों को व्यायाम करते समय कोई दर्द न हो।