• अधिकारियों में मतभेद

भोपाल।  पुलिस मुख्यालय ने एक प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को भेजा है, जिसमें जिले के एसपी को डीएसपी स्तर के अधिकारियों की पोस्टिंग का अधिकार देने की सिफारिश की गई है। वर्तमान में, डीएसपी के स्थानांतरण और पोस्टिंग का निर्णय गृह विभाग द्वारा लिया जाता है। नए प्रस्ताव के अनुसार, गृह विभाग डीएसपी को केवल जिले में भेजेगा, जबकि एसपी उन्हें अपने विवेक से जिले के विभिन्न सब-डिवीजन में तैनात कर सकेंगे। इस प्रस्ताव को लेकर राज्य पुलिस सेवा के अफसरों में दो धड़े बन गए हैं। वरिष्ठ अधिकारी इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, जबकि 2015 से 2018 बैच के अधिकारी इसका विरोध कर रहे हैं।  मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने एक नई व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत अब पुलिस अधीक्षकों (SP) को उप पुलिस अधीक्षकों (DSP) के तबादले का अधिकार मिलेगा। यह कदम तबादला प्रक्रिया को तेज करने और कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। अभी तक पुलिस मुख्यालय से डीएसपी और एसडीओपी स्तर के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए अनुमति प्राप्त करनी पड़ती थी, जिसमें समय लगता है। अब पुलिस अधीक्षकों को यह अधिकार देने से यह प्रक्रिया तेज होगी और तात्कालिक समस्याओं का समाधान जल्दी हो सकेगा। 
मध्य प्रदेश के छोटे जिलों में आमतौर पर 5 से 7 डीएसपी होते हैं, जबकि बड़े जिलों में यह संख्या 10 से अधिक हो सकती है। डीएसपी अधिकारियों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है और कभी-कभी उन्हें तत्काल स्थानांतरण की आवश्यकता होती है, जो अब पहले से कहीं अधिक प्रभावी तरीके से हो सकेगा। इस नई व्यवस्था में, स्थानांतरण से पहले प्रभारी मंत्री की अनुशंसा आवश्यक होगी। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम जिलों में कानून-व्यवस्था में सुधार लाएगा और पुलिस व्यवस्था को और बेहतर बनाएगा। यह नई व्यवस्था अप्रैल से लागू होने की संभावना है। इसको लेकर राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी दो धड़ों में बंट गए है। विज्ञापन

सोशल मीडिया पर हो रहा विरोध 
राज्य पुलिस सेवा के सोशल मीडिया ग्रुप्स में इस प्रस्ताव का जबरदस्त विरोध हो रहा है। कुछ अफसरों ने बिना हस्ताक्षर के ज्ञापन भी भेजा है, जिसमें मांग की गई है कि यदि यह व्यवस्था लागू होती है, तो इसे आईजी स्तर से अनुमोदित किया जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।

एसपी को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी 
समर्थकों का मानना है कि इस बदलाव से जिले में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में एसपी को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। उनका कहना है कि जिस तरह जिलों में एसडीएम की नियुक्ति का अधिकार कलेक्टर के पास होता है, उसी तरह एसपी को भी अपने जिले में डीएसपी की पोस्टिंग का अधिकार मिलना चाहिए। इससे पुलिस प्रशासन को अधिक कुशलता से चलाया जा सकेगा।
 
राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ सकता 
वहीं, विरोध करने वाले अधिकारियों का कहना है कि इससे राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ सकता है और पुलिसिंग की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। उनका मानना है कि वर्तमान में भी एसपी की भूमिका अहम है, लेकिन डीएसपी की पोस्टिंग को उनके अधिकार में देने से निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है।
 
अभी यह है व्यवस्था 
फिलहाल, डीएसपी के तबादले गृह विभाग द्वारा किए जाते हैं और वे सीधे सब-डिवीजन में पोस्ट किए जाते हैं। प्रस्ताव लागू होने पर गृह विभाग केवल जिले में डीएसपी की पोस्टिंग करेगा, जबकि एसपी उन्हें जिले के भीतर उपयुक्त स्थान पर तैनात कर सकेंगे।