कम कपड़े वाली लड़कियां मुझे अच्छी नहीं लगती

मंत्री विजयवर्गीय का सामाजिक बदलाव पर कटाक्ष
इंदौर । भाषण में विजयवर्गीय ने पाश्चात्य सोच की आलोचना करते हुए भारतीय संस्कृति की सराहना की और संक्षिप्त भाषण देने की शैली की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने सुमित मिश्रा, महेंद्र हार्डिया और कमिश्नर से मिली जीवनशैली की सीखों का भी जिक्र किया। इंदौर के नेहरू पार्क स्थित सिंदूर वाटिका में गुरुवार को पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के दौरान मंत्री विजयवर्गीय ने भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा के संक्षिप्त भाषण की सराहना की और कहा, "सुमित ने आज अपनी जिंदगी का सबसे छोटा भाषण दिया, जो बहुत ही सुंदर था। हमेशा छोटा भाषण देना चाहिए।"
पश्चिमी सोच पर तंज, भारतीय परंपरा की प्रशंसा
कार्यक्रम के दौरान विजयवर्गीय ने पश्चिमी समाज की सोच पर टिप्पणी करते हुए कहा, "एक पाश्चात्य कहावत है, जो मुझे अच्छी नहीं लगती। विदेशों में जो कम कपड़े पहनता है, उसे सुंदर माना जाता है, लेकिन हमारे देश में महिलाओं को देवी का स्वरूप माना जाता है, वे अच्छे कपड़े पहनें, अच्छे गहने पहनें, यह हमारी संस्कृति है।" उन्होंने आगे कहा, "कहा जाता है कि कम कपड़े पहनने वाली लड़की सुंदर होती है, उसी तरह कम भाषण देने वाला नेता भी अच्छा होता है, लेकिन मैं इस कहावत को नहीं मानता।"
महेंद्र हार्डिया से सीखा समय का प्रबंधन
विजयवर्गीय ने भाजपा नेता महेंद्र हार्डिया से मिली सीख का जिक्र करते हुए कहा, "हमारे सुमित मिश्रा और महेंद्र हार्डिया से मैं हमेशा कुछ न कुछ सीखता हूं। महेंद्र जी समय के पाबंद हैं। एक बार मैं एक शादी में गया, वहां पूछा तो पता चला कि महेंद्र जी 7 बजे ही आकर लिफाफा देकर जा चुके थे।" उन्होंने आगे कहा, "मैंने कई बार रात 3 बजे तक शादियां अटेंड की हैं, लेकिन अब तय कर लिया है कि रात 12 बजे तक ही शादी में रहूंगा, क्योंकि सुबह जल्दी नींद खुल जाती है और अगला दिन बिगड़ जाता है।"
कमिश्नर से सीखने की इच्छा, पर कठिनाई
मंत्री विजयवर्गीय ने इंदौर कमिश्नर की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा, "मैं हमारे कमिश्नर साहब से भी बहुत कुछ सीखता हूं, लेकिन उसे पूरी तरह से अपना नहीं पा रहा हूं। वे जब भी कॉल करते हैं, सामने से 'यस सर' कहने वाले अधिकारी होते हैं, चाहे काम हो या न हो, हां तो जरूर कह देते हैं। मैं खुद भी ऐसा बनना चाहता हूं, लेकिन अभी तक सफल नहीं हुआ हूं। जब यह सीख जाऊंगा, तो उन्हें धन्यवाद जरूर दूंगा।"