उज्जैन-जावरा के बीच बनेगा ग्रीनफील्ड हाइवे
भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के विजन को मूर्त रूप दिए जाने के उद्देश्य से प्रदेश में तेज गति से कार्य किया जा रहा है। मप्र में फ्यूचर रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है, जिससे यहां अधिक से अधिक निवेश आएं, उद्योग धंधे स्थापित हों और बड़ी संख्या में रोजगार सृजित हो। इसके लिए उज्जैन से जावारा तक 2029 करोड़ से एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाइवे बनेगा। गौरतलब है कि सिंहस्थ को देखते हुए मप्र में पहला एक्सेस कंट्रोल फोर लेन उज्जैन-जावरा हाईवे बनाया जा रहा है। इसके बनने से उज्जैन से दिल्ली-मुंबई की यात्रा मात्र 10 घंटे में पूरी हो जाएगी, वहीं हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से उज्जैन की कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा। साथ ही साथ 102 किलोमीटर लंबे एक्सेस कंट्रोल फोरलेन पर जगह-जगह अंडर पास (सब-वे) बनाए जाएंगे, यानी कहीं से भी कोई वाहन इस मार्ग पर नहीं आ सकेंगे।
एमपीआरडीसी तैयार कर रहा प्रोजेक्ट
सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन की विभिन्न शहरों और आसपास के राज्यों से कनेक्टिविटि सुधारने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं। अब उज्जैन से जावरा के बीच एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। यह फोर लेन रहेगा। इस 98.41 किमी लंबे मार्ग के निर्माण पर 2029.49 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दो साल यानि वर्ष 2027 तक की समय सीमा तय की गई है। मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन यह प्रोजेक्ट कर रहा है। यह हाइब्रिड एन्युटी मोड पर किया जाएगा। इसका मतलब है कि चयनित डेवलपर को निर्माण के दौरान कुछ राशि दी जाएगी। बाकी का दस से 15 साल में भुगतान किया जाएगा। एमपीआरडीसी अधिकांश बड़े प्रोजेक्ट इस मोड पर कर रहा है। भारतमाला परियोजना के पहले चरण को अक्टूबर-2017 में केंद्र सरकार से मंजूरी मिली थी। इसके तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई स्पीड कॉरीडोर का निर्माण किया जाना है। चार एक्सप्रेस वे मप्र से होकर गुजरेंगे। इससे मप्र की महाराष्ट्र, तेलंगाना और राजस्थान से कनेक्टिविटी सुधरेगी। इसके लिए 660 किमी लंबाई के दो ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस वे का निर्माण चल रहा है। वहीं 12 किमी लंबे एक्सप्रेस वे का काम जल्द शुरू होने की संभावना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का अनुमान है कि ग्रीनफील्ड कॉरीडोर का निर्माण पूरा होने पर सफर का समय 30 से 40 फीसदी तक कम हो जाएगा।
सफर होगा आसान
इंदौर-हैदराबाद ग्रीन फील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस वे का काम काफी पहले शुरू हो चुका है। यह 525 किमी लंबा रहेगा। इसका कार्य आंशिक तौर से पूरा हो चुका है। यह मप्र के साथ ही महाराष्ट्र व तेलंगाना से होकर गुजरेगा। ऐसे में तीनों राज्यो के लिए लोगों को फायदा मिलेगा। साथ ही कोटा-इंदौर (गरोठ से उज्जैन) एक्सेस कंट्रोल्ड कॉरीडोर का निर्माण जारी है। इसकी लंबाई 135 किमी है। राजस्थान स्थित कोटा के कोचिंग सेंटरों में पढऩे वाले एमपी के बच्चों और उनके परिजनों को खास तौर से एक्सप्रेस वे से राहत मिलेगी। इसके अलावा कोटा-इटावा एक्सप्रेस वे भी मप्र से होकर बनेगा। यह राजस्थान व उत्तर प्रदेश से जुड़ेगा। इसकी लंबाई 412 किमी रहेगी। दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस वे का 244 हिस्सा एमपी में देश का सबसे लंबा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे मप्र के तीन जिलों से होकर गुजरेगा। मंदसौर, झाबुआ और रतलाम में इसका काम पूरा होने की कगार पर है। एक्सप्रेस वे की कुल लंबाई 1386 किमी है और 244 किमी हिस्सा एमपी में रहेगा। यह शुरू होने पर प्रदेश के तीन जिलों में आर्थिक विकास रफ्तार पकडऩे की संभावना है। मौजूदा स्थिति में इसका काफी काम हो चुका है। इसका फायदा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दादरा व नागर हवेली और महाराष्ट्र के लोगों को भी मिलेगा।
सिंहस्थ आने-जाने वाले लोगों को होगी आसानी
उज्जैन-जावरा हाईवे बनने से सिंहस्थ आने-जाने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। बताया जा रहा है कि इस सडक़ का निर्माण इस तरीके से किया जाएगा कि आने वाले समय में इसे आठ लेन किया जा सके। 10 मीटर चौड़े इस सडक़ मार्ग को पेव्हड शोल्डर ग्रीनफील्ड फोर लेन हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (एचएएम) पर बनाया जाएगा, सडक़ किनारे ब्लॉक लगाए जाएंगे। मार्ग पर सात बड़े पुल, 26 छोटे पुल, 270 पुलिया, पांच फ्लाई ओवर, दो रेलवे ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। दिल्ली-मुंबई सुपर एक्सप्रेस-वे को पीथमपुर से जोडऩे से इस सडक़ से औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी। 102 किमी लंबे एक्सेस कंट्रोल फोर लेन में जगह-जगह अंडर पास (सबवे) होंगे, यानी इस रूट पर कहीं से भी कोई वाहन प्रवेश नहीं कर सकेगा। इससे दुर्घटनाओं का खतरा कम हो जाएगा।