चंडीगढ़। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला भ्रष्टाचार के एक मामले में क्लीन चिट दे दी गई है। हालांकि, सिंगला ओएसडी प्रदीप कुमार की भूमिका की जांच जारी है। यह मामला 2022 में मोहाली के फेज-8 थाने में दर्ज किया गया था, जिसमें सरकारी ठेकों के आवंटन के बदले एक फीसदी कमीशन की मांग का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने हाल ही में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिले। पुलिस सूत्रों के अनुसार, शिकायतकर्ता राजिंदर सिंह ने भी अदालत में बयान देकर क्लोजर रिपोर्ट से सहमति जताई है। अब मोहाली की एक अदालत 14 जुलाई को इस रिपोर्ट पर अंतिम फैसला लेगी। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ओएसडी प्रदीप कुमार की भूमिका की जांच अब भी जारी है, भले ही उनके खिलाफ पहले चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। यह शिकायत राजिंदर सिंह ने दर्ज कराई थी, जो उस समय पंजाब हेल्थ सिस्टम्स कारपोरेशन में डेपुटेशन पर कार्यरत एक सरकारी इंजीनियर थे। शिकायत के अनुसार, मई 2022 में उन्हें पंजाब भवन बुलाया गया, जहां उनकी मुलाकात तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला और उनके ओएसडी प्रदीप कुमार से हुई।

17 करोड़ रुपये के ठेके पहले ही दिए जा चुके थे

राजिंदर सिंह के अनुसार, प्रदीप कुमार ने 58 करोड़ रुपये के कार्यों के ठेके में से 2 फीसदी कमीशन—लगभग 1.16 करोड़ रुपये की मांग की, जिसमें से 17 करोड़ रुपये के कार्य पहले ही ठेकेदारों को दिए जा चुके थे। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जब उन्होंने कमीशन देने से इनकार किया, तो उन्हें बार-बार व्हाट्सएप कॉल और धमकियां मिलनी शुरू हो गई। यह कहते हुए कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो उनका करियर खत्म कर दिया जाएगा। शिकायत में आगे कहा गया कि 20 मई को उनसे 10 लाख रुपये की मांग की गई, और बताया गया कि आगे के कामों के आवंटन के लिए 1 फीसदी कमीशन देना अनिवार्य होगा। 23 मई को राजिंदर सिंह सचिवालय गए, जहां उन्होंने मंत्री और उनके ओएसडी से मुलाकात की और कथित तौर पर मंत्री को रिश्वत (5 लाख रुपये) देने का निर्देश देते हुए रिकॉर्ड भी किया।

क्लोजर रिपोर्ट ने उठाए सवाल

गंभीर आरोपों के बावजूद अब पुलिस का कहना है कि कोई भी अभियोजनीय साक्ष्य नहीं मिला है। क्लोजर रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आरोप लगने के तुरंत बाद सिंगला को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। 14 जुलाई को अदालत का अंतिम फैसला आना बाकी है, लेकिन मामला अभी भी सार्वजनिक चर्चा का विषय बना हुआ है, जिससे राजनीतिक जवाबदेही, शासन में पारदर्शिता और सरकारी आंतरिक सतर्कता तंत्र की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। जब 2022 में आरोप सामने आए, तब मुख्यमंत्री मान ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इंटरनेट मीडिया पर सिंगला की गिरफ्तारी की घोषणा की थी और स्वयं उन्हें विजिलेंस ब्यूरो के हवाले किया था। बाद में सिंगला को 8 जुलाई 2022 को जमानत मिल गई थी। अब उनके राजनीतिक पुनर्वास के संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि हाल ही में उन्हें पंजाब विधानसभा की विभिन्न समितियों में नियुक्त किया गया है।