नागपुर में भागवत बोले- शिवाजी महाराज ने विदेशी आक्रमणों का चक्र तोड़ा

- इसलिए उन्हें युगपुरुष कहा जाता
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चीफ मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में एक बुक लॉन्च इवेंट में कहा- छत्रपति शिवाजी महाराज ने देश में सदियों से चल रही विदेशी आक्रमणकारियों से हार की परंपरा को खत्म किया। उन्होंने देश में आक्रमणों के चक्र को तोड़ा। इसलिए उन्हें युगपुरुष कहा जाता है। उन्होंने युद्ध हारने की यह परंपरा सिकंदर महान के समय से लेकर इस्लाम फैलाने के नाम पर हुए बड़े हमलों तक जारी रही। भारत की व्यवस्थाओं को नष्ट किया जाता रहा। विजयनगर साम्राज्य और राजस्थान के राजा भी इसको लेकर कोई समाधान नहीं निकाल पाए। भारत लंबे समय तक हार की परंपरा से जूझता रहा। 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य स्थापित हुआ। शिवाजी महाराज पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ऐसे हमलों और आक्रमणों का समाधान निकाला। विदेशी आक्रमणकारियों से लगातार हार का दौर शिवाजी महाराज के उदय के साथ समाप्त हो गया। उन्होंने शिवाजी महाराज की प्रेरणा आज भी प्रासंगिक है। रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्तित्वों ने भी शिवाजी से प्रेरणा ली।
औरंगजेब की कैद से निकलकर जीते अपने किले
भागवत ने शिवाजी महाराज की वीरता को याद करते हुए कहा- जब उन्हें औरंगजेब ने आगरा में कैद किया था, तब उन्होंने वहां से निकलकर दोबारा अपने किले जीते। उन्होंने शांति समझौते में जो कुछ भी देने पर सहमति जताई थी, उसे वापस जीत लिया और खुद को छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में स्थापित किया। उनका राज्याभिषेक इन आक्रमणकारियों के अंत का प्रतीक बना। शिवाजी महाराज ने दक्षिण भारत के हिस्सों को जीता। उनसे प्रेरणा लेकर राजस्थान में दुर्गादास राठौड़, बुंदेलखंड में छत्रसाल और पूर्वोत्तर में चक्रध्वज सिंह जैसे शासकों ने भी मुगलों को पीछे धकेलना शुरू किया। चक्रध्वज सिंह ने एक अन्य राजा को पत्र लिखा था, जिसमें शिवाजी महाराज को आदर्श बताया गया। साथ ही शिवाजी का उदाहरण देते हुए राक्षसों को बंगाल की खाड़ी में डुबोने का प्लान बताया।