• चित्रकूट में नानाजी देशमुख की 15वीं पुण्यतिथि पर हुआ विशेष कार्यक्रम

  • राम दर्शन के नवीन प्रकल्प का किया लोकार्पण

भोपाल केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि प्रखर राष्ट्रवादी विचारक भारत रत्न नानाजी देशमुख अजातशत्रु थे। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल की अवधि में कई कष्ट सहे और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए तत्कालीन परिस्थतियों में राष्ट्रहित में जो कार्य किया उस वजह से उन्हें राष्ट्र ऋषि की उपाधि दी गई। वे वास्तविक अर्थों में राष्ट्रसेवी थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नानाजी देशमुख को भारत रत्न देकर उनके जीवन और कार्यों का सच्चा सम्मान किया। केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह गुरूवार को सतना जिले के चित्रकूट में भारत रत्न नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह समारोह नानाजी देशमुख की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान में आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नवीनीकृत राम दर्शन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का रिमोट का बटन दबाकर लोकार्पण किया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने मूर्तिकारों का सम्मान भी किया। नानाजी के श्रद्धांजलि समारोह के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया। नानाजी की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी कर्मस्थली रही चित्रकूट में तीन विशेष कार्यक्रम एक साथ आयोजित किए गए। इनमें नानाजी का श्रद्धांजलि समारोह, पंडित दीनदयाल जी की प्रतिमा और राम दर्शन का लोकार्पण शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने भगवान कामता नाथ को प्रणाम कर नानाजी के महान व्यक्तित्व को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि नानाजी का जन्म महाराष्ट्र में हुआ, वे संघ से जुड़े और उत्तर प्रदेश को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। नानाजी ने जनसंघ को खंड-प्रखंड स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि राजनीति में रहते हुए भी नानाजी अजातशत्रु थे। इस क्षेत्र में उनका कोई विरोधी नहीं था। एक राजनेता के जीवन में ऐसा अत्यंत दुर्लभ दिखाई देता है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि नानाजी ने राजनीति के इतर समाज सेवा सहित कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए। नानाजी ने अपने जीवन में संकल्प लेते हुए एकात्म मानववाद को धरातल पर उतारने का निर्णय लिया। वे समाज से बुराई को दूर करते रहे, लेकिन कभी किसी बुराई को स्वयं तक नहीं आने दिया। उनके आदर्श एक सदी तक राजनीतिज्ञों के लिए आदर्श बनकर रहेंगे। केन्द्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख लगभग एक ही काल खंड में जन्मे थे। भारत के विकास को पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के कल्याण से जोड़कर देखा था। एकात्म मानववाद का विचार कैसे जमीन पर उतरेगा एक समय में लोग इसे असंभव समझते थे, लेकिन नानाजी ने चित्रकूट से ग्रामोदय के उत्थान के विचार के साथ अंत्योदय की नींव रखी।केंद्रीय गृह मंत्री श्री शाह ने कहा कि देशभर में सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना के लिए नानाजी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इसी तरह पं. दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र, समाज और व्यक्ति के विकास का एक पूर्ण दर्शन दिया। नानाजी देशमुख के साथ ही पं. दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का लगाया राष्ट्र सेवा के भाव का पौधा आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है।