आउटसोर्स महिला कर्मचारी ने टेंडर के नाम पर सवा करोड़ ठगे

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भोपाल। बिलखिरिया पुलिस ने आयुष विभाग की आउटसोर्स कर्मचारी प्रगति श्रीवास्तव पर ठेकेदार धर्मवीर सेंगर से 60 करोड़ रुपये के टेंडर दिलाने के नाम पर सवा करोड़ रुपये ठगने का मामला दर्ज किया। टेंडर निरस्त होने पर प्रगति ने रकम लौटाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मामला पुलिस में पहुंचा। राजधानी की बिलखिरिया थाना पुलिस ने आयुष विभाग की एक आउटसोर्स महिला कर्मचारी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि महिला ने विभाग द्वारा निकाले गए 60 करोड़ रुपये का टेंडर दिलवाने के नाम पर ठेकेदार से सवा करोड़ रुपये ठग लिए थे। टेंडर निरस्त होने और रुपये वापस नहीं मिलने पर ठेकेदार ने पुलिस से शिकायत की थी। थाना प्रभारी उमेश सिंह चौहान ने बताया कि फरियादी धर्मवीर सिंह सेंगर मूलत: ग्वालियर के रहने वाले हैं। वह ठेकेदारी करते हैं और शासकीय विभागों में मैन पावर सप्लाई करते हैं। धर्मवीर का बिलखिरिया स्थित कोकता आरटीओ के पास कार्यालय है। धर्मवीर ने पुलिस को बताया कि पिछले साल उनका काम झाबुआ में चल रहा था। इस दौरान आडिट में कोई गड़बड़ी आ गई थी, जिसके चलते सतपुड़ा भवन स्थित आयुष विभाग से उनका पेंमेंट रुक गया था। वह अधिकारियों से मिलने के लिए सतपुड़ा भवन पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात प्रगति श्रीवास्तव से हुई थी। प्रगति यहां आउटसोर्स कर्मचारी है और कार्यालय पहुंचने वाले लोगों को मार्गदर्शन देने का काम करती है।
धर्मवीर ने प्रगति से पेमेंट रिलीज को लेकर बातचीत को उसने बोला कि वह अधिकारियों से बात करके उनका पेमेंट करवा देगी। उसके कुछ समय बाद ही धर्मवीर का पेमेंट होने पर उनका प्रगति पर विश्वास बढ़ गया। टेंडर दिलवाने के नाम पर लिए थे रुपये कुछ समय बाद आयुष विभाग द्वारा 60 करोड़ रुपये का एक टेंडर निकाला गया। धर्मवीर ने टेंडर पाने के लिए आवेदन किया और प्रगति श्रीवास्तव से बात की। प्रगति ने बताया कि टेंडर पाने के लिए सवा करोड़ रुपये देने होंगे।
चुनाव आचार संहिता की वजह से निरस्त हो गया था टेंडर
पुलिस के अनुसार धर्मवीर ने प्रगति श्रीवास्तव पर विश्वास करते हुए 15 लाख रुपए उसके बैंक एकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। उसके बाद जब विभाग ने टेंडर को लेकर शार्ट लिस्ट जारी की तो उसमें धर्मवीर की कंपनी का नाम था। इसलिए उन्होंने 1 करोड़ 10 लाख रुपये नकद प्रगति को कोकता स्थित अपने कार्यालय में दे दिए। रुपए देने के कुछ समय बाद ही आदर्श आचार संहिता लग गई, जिसके कारण टेंडर निरस्त हो गया और उन्हें काम नहीं मिला। धर्मवीर ने जब अपने रुपये वापस मांगे तो प्रगति ने बोला कि उसके खाते में भेजे गए 15 लाख रुपए वह वापस कर सकती है, बाकी रुपये वापस नहीं कर पाएगी। परेशान होकर धर्मवीर ने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी, जिसके बाद पुलिस ने प्रगति के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस इस मामले में विभाग के अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच भी कर रही है। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद यह पता लगाया जाएगा कि टेंडर पास करवाने के लिए उसने किन-किन अधिकारियों को उक्त रकम दी थी। मामला एक करोड़ रुपये से ज्यादा का होने के कारण जांच ईओडब्ल्यू अथवा सीआईडी को भी सौंपी जा सकती है।