अपनी स्थापना के 20 सालों में ही भोपाल स्थित राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी (एनजेए) दुनिया की सबसे बड़ी जजों की पाठशाला बन गई है। अब तक यहां भारत समेत 20 से अधिक देशों के सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अन्य कोर्ट के 44 हजार से अधिक वरिष्ठ जज ट्रेनिंग प्रशिक्षण ले चुके हैं।
देश के विभिन्न राज्यों की 24 न्यायिक अकादमियों में ट्रेनिंग के समन्वय का जिम्मा भी एनजेए के पास है। एनजेए में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश समेत देश-दुनिया के जाने-माने कानूनविद ट्रेनिंग देने के लिए आते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस रहे अनिरुद्ध बोस ने शनिवार को राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक का पद संभाला है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड अकादमी के पदेन अध्यक्ष हैं।
एनजेए का बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के साथ करार हुआ है, जिसके तहत अगले पांच साल में वहां के दो हजार जज यहां ट्रेनिंग के लिए आएंगे। मालदीव के 200 जज यहां ट्रेनिंग ले चुके हैं। श्रीलंका के सभी जज भी ट्रेनिंग ले चुके हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, फिजी, केन्या और कनाडा के जजों ने भी यहां प्रशिक्षण लिया है।
लैटिन अमेरिकी देश पेरू के जजों के एक दल ने पिछले साल ट्रेनिंग ली थी, अब वहां के सुप्रीम कोर्ट के 21 जज जल्द आने वाले हैं। एनजेए कंबोडिया, म्यांमार, मिस्र, एस्वेटिनी, ऑस्ट्रिया, फेडरल ज्यूडिशियल सेंटर वाशिंगटन आदि के साथ मिलकर काम कर रहा है। पिछले माह एनजेए में हुई इंटरनेशनल वर्कशॉप में यूके हाई कोर्ट डेलीगेशन शामिल हुआ।
ट्रेनिंग में एआई से ऑनलाइन स्पीच ट्रांसलेशन का इस्तेमाल
दुभाषिया (ट्रांसलेटर) से अंग्रेजी का कुछ भाषाओं में ठीक से ट्रांसलेट नहीं कर पाने की समस्या सामने आने पर अब अकादमी में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) टूल्स से ऑनलाइन स्पीच ट्रांसलेशन टेक्नॉलोजी का कारगर इस्तेमाल किया गया। इससे स्पेनिश और खमेर जैसी भाषाओं में जजों से संवाद किया गया। अब एनजेए भारत का ऐसा संस्थान है जिसने ऑनलाइन स्पीच ट्रांसलेशन टेक्नोलॉजी और कुछ एआई टूल से विदेशी न्यायाधीशों को उनकी भाषा में ट्रेनिंग मिल रही है।
जजों को स्ट्रेस मैनेज करने और पारिवारिक जिम्मेदारियों में समन्वय का प्रशिक्षण भी
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के रजिस्ट्रार विजय चंद्रा ने बताया- एनजेए के ट्रेनिंग कार्यक्रमों में अपराध और तरीकों में आ रहे बदलाव, म्युनिसिपल कानूनों, पर्यावरण सुरक्षा, मानव-तस्करी, साइबर क्राइम, कानून के शासन, मानव-अधिकारों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी शामिल किया गया है।
न्यायाधीशों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट, पारिवारिक मामले, लैंगिग मुद्दों के साथ-साथ कार्य व पारिवारिक जिम्मेदारियों में समन्वय पर भी विचार-विमर्श किया जाता है। मालदीव के न्यायिक प्रशासन ने अकादमी के आधार पर अपने देश में न्यायिक अकादमी बनाने की पहल की है। कोविड के दौरान एनजेए का काम ऑनलाइन था। ट्रेनिंग के लिए आने वाले न्यायाधीशों को मध्यप्रदेश सहित भारत का भ्रमण भी कराया जाता है।
एक न्यायिक संगोष्ठी में जन्मा एनजेए
एनजेए ने भोपाल में अकादमी के औपचारिक उद्घाटन होने से पहले नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश काउंसिल डिवीजन और फॉरेन कॉमनवेल्थ ऑफिस, यूके के सहयोग से जेंडर और कानून विषय पर मार्च 2001 में एक पायलट न्यायिक संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी को ही एनजेए की न्याय के लिए ज्ञान का स्तर बढ़ाने की यात्रा की शुरुआत माना जाता है। इसके बाद न्यायिक अकादमी ने भारत के 13 अलग-अलग शहरों में 15 न्यायिक सम्मेलन आयोजित किए। भारत के 43 न्यायिक अधिकारियों ने यूनाइटेड किंगडम में प्रशिक्षण दिलाया।
राष्ट्रमंडल न्यायिक शिक्षा संस्थान (सीजेईआई) की तीसरी द्विवार्षिक बैठक भी 16-19 मार्च 2005 को एनजेए में आयोजित की गई थी। जिसमें कॉमनवेल्थ देशों के 7 मुख्य न्यायाधीशों सहित 32 सुपीरियर कोर्ट न्यायाधीशों ने भाग लिया। जिसका विषय था डिले रिडक्शन स्ट्रैटजी एंड टेक्निक (न्याय प्रदान में देरी को कम करने की रणनीति और तकनीक)। यहां 2016 में सार्क देशों के वरिष्ठ न्यायाधीशों का सम्मेलन किया गया था।