चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देंगे?

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बिहार चुनाव में उतरेंगे तो देखें नफा-नुकसान
चिराग पासवान
रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई केंद्रीय मंत्री की कुर्सी चिराग पासवान को नसीब नहीं हुई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में राजग की जीत के बाद केंद्रीय मंत्री बने। तो, महज सालभर में कुर्सी से मोहभंग हो गया है? बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के ठीक पहले, लगभग इसी समय चिराग पासवान खूब चर्चा में थे। वैसे, ठीक इसी समय पिछले साल जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का शपथ होने वाला था तो भी चिराग पासवान चर्चा में थे। अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले, चिराग पासवान चर्चा में हैं। 2020 में उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हराने की तैयारी के कारण चर्चा में थे। पिछले साल पहली बार केंद्रीय मंत्री बनने की संभावना के कारण सुर्खियों में थे। अब ठीक एक साल बाद वह बिहार विधानसभा चुनाव में खुद उतरने की बात कहकर चर्चा में हैं। तो, क्या 9 जून 2024 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में पहली बार मंत्री बनने के एक साल के अंदर उनका मोहभंग हो गया है? क्या वह बिहार के लिए केंद्र की कुर्सी छोड़ेंगे? क्या है नफा-नुकसान का गणित यह भी समझना चाहिए।
पिता के जाते ही चिराग बन जाते केंद्रीय मंत्री, मगर...
चिराग पासवान सांसद थे, जब अक्टूबर 2020 में उनके पिता रामविलास पासवान का निधन हुआ। रामविलास उस समय केंद्र में मंत्री थे। चिराग पिता की कुर्सी पर बैठ जाते, उनके आवास में ही रह जाते; लेकिन ऐसा नहीं हो सका। क्योंकि, बिहार चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग राह पकड़ बिहार चुनाव 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के प्रत्याशियों के खिलाफ लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार उतार दिए थे। चुनाव में एनडीए की सरकार भी बनी और चिराग के कारण नीतीश कुमार की पार्टी संख्या बल में कमजोर भी हुई। लोहा गरम था।
मौका देख चाचा पशुपति कुमार पारस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रवेश पा लिया और चिराग देखते रह गए। उन्हें दिल्ली में दशकों से दिवंगत पिता की पहचान रहे सरकारी आवास को छोड़ना पड़ा। वक्त गुजरा। नीतीश के घाव पर भाजपा और चिराग के साथ वक्त ने भी मरहम लगाया। 2024 में लोकसभा चुनाव हुआ तो चिराग पासवान शत प्रतिशत सीटों पर जीत के साथ केंद्र में मंत्री बने। अब वह बिहार चुनाव लड़ने की बात कह रहे तो उतरने और जीतने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा, जो कई नजरिए से नुकसान वाला फैसला होगा। मतलब, उन्हें बहुत कुछ समझ लेना होगा पहले।
केंद्र में मंत्री और बिहार के मंत्री का अंतर भी समझें
चलिए, कुछ देर के लिए मान लेते हैं कि बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के तहत चिराग पासवान गृह राज्य की राजनीति में उतरने के लिए बिहार चुनाव में भाग्य आजमाते हैं। जीतकर विधायक भी बन जाते हैं। उनकी ही बात मानकर यह भी मान लेते हैं कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहेंगे तो उस हिसाब से चिराग पासवान को मंत्री का पद भी दे देते हैं। अब, देखते हैं कि वह कितना नफा-नुकसान में हैं। पहले तो यह ध्यान देने वाली बात होगी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दूर हो जाएंगे। पीएम मोदी के करीब होना और दूर रहना, कितना नफा-नुकसान वाला है- यह तो सभी समझते हैं। दूसरी बात पावर की, तो केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में फिलहाल उनका कार्यक्षेत्र पूरा देश है और बिहार चुनाव जीतकर, मंत्री बनकर दायरा राज्य में रह जाएगा। वह केंद्र में कैबिनेट स्तर के मंत्री हैं, जो बिहार के मंत्री से कई मायने में ऊपर का दर्जा है।