डिजिटल पते का पायलेट प्रोजेक्ट 29 जून से शुरू

इंदौर। डिजिटल पता एक क्यूआर कोड आधारित एड्रेस सिस्टम है, जो हर घर के बाहर एक प्लेट पर लगाया जाएगा। इस यूनिक क्यूआर कोड में उस घर की जियो लोकेशन, वास्तविक तस्वीर जैसी जानकारियाँ दर्ज होंगी। इसे स्कैन करते ही नागरिकों को सरकारी सेवाएँ उपलब्ध होंगी। इंदौर में नगर निगम एक आधुनिक सुविधा प्रदान करने जा रहा है। शहर में साढ़े चार लाख से ज्यादा मकानों का डिजिटल पता रहेगा। घरों व फ्लैटों के बाहर क्यूआर कोड लगा रहेगा। उसे स्कैन करते ही मोबाइल पर डिजिटल पेज खुल जाएगा। बिजली पानी के बिलों का भुगतान उसके जरिए होगा। इसके अलावा प्रमाण पत्र, संपति कर की जानकारी भी मिल सकेगी। क्यूआर कोड शेयर करके मकान मालिक अपने घर की सही लोकेशन भी भेज सकेंगे। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार के डिजीपिन प्लेटफार्म से जोड़ा गया है। पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर एक वार्ड 82 में से शुरू करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसे अपनाने वाला इंदौर पहला देश होगा। 29 जून से इसकी शुरुआत हो जाएगी। इसकी तकनीक जीपीएस से ज्यादा सटिक है। उन्होंने कहा कि इस डिजिटल पदे में निजता और डेटा सुरक्षित ही रहेगा। लोगों को सीमित जानकारी ही दिखाई देगी। इस सेवा के बदले नागरिकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

क्या है डिजिटल पता

डिजिटल पता एक क्यूआर कोड आधारित एड्रेस सिस्टम है, जो हर घर के बाहर एक प्लेट पर लगाया जाएगा। इस यूनिक क्यूआर कोड में उस घर की जियो लोकेशन, दिशा-निर्देश और वास्तविक तस्वीर जैसी जानकारियाँ दर्ज होंगी। इसे स्कैन करते ही नागरिकों को मोबाइल पर अनेक सरकारी सेवाएँ उपलब्ध होंगी। आपात स्थिति में क्यूआर कोड शेयर कर एम्बुलेंस, पुलिस और फायर सर्विस को सही लोकेशन पर तत्काल पहुंचाने में मददगार होगा।