नोटिस और निर्देश भी इसी भाषा में होंगे
उल्लंघन करने वालों पर एक्शन

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने गवर्नमेंट और सेमी-गवर्नमेंट ऑफिसों में हर तरह के संवाद के लिए मराठी को अनिवार्य कर दिया है। आदेश के मुताबिक सभी नगरीय निकायों, सरकारी निगमों और सहायता प्राप्त संस्थानों में भी मराठी का इस्तेमाल जरूरी होगा। यह नियम पूरे राज्य में निर्देश बोर्ड और डॉक्यूमेंटेशन पर भी लागू किया गया है। राज्य के योजना विभाग ने 3 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। सरकार की मराठी भाषा नीति को पिछले साल मंजूरी मिली थी। इस नीति का उद्देश्य भाषा का संरक्षण, प्रचार और विकास करना है, ताकि मराठी का उपयोग सरकारी कामकाज में बढ़ाया जा सके।
आदेश में शामिल नियम

  • सरकारी दफ्तरों, नगर निकायों, निगमों और पब्लिक ऑफिस के कंप्यूटर की-पैड और प्रिंटर पर रोमन के साथ मराठी देवनागरी लिपि में टैक्स्ट लिखना होगा।
  • सरकारी दफ्तरों में आने वाले लोगों को भी मराठी में ही कम्युनिकेशन करना होगा। केवल उन लोगों को छूट रहेगी, जो विदेशी हैं, महाराष्ट्र के बाहर से आए हैं या मराठी भाषी नहीं हैं।
  • कार्यालयों और पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज के नाम वाले बोर्ड, अंदर चस्पा किए जाने वाले नोटिस और साइनेज भी मराठी में ही होने चाहिए।
  • आदेश में यह भी कहा गया कि नए व्यवसायों को अंग्रेजी अनुवाद के बिना मराठी में अपना नाम रजिस्टर करना चाहिए।