• विश्व की सबसे बड़ी ग्राउण्ड वाटर रीचार्ज परियोजना

भोपाल। मध्य प्रदेश में एक साल में तीसरी महत्वपूर्ण अंतरराज्यीय नदी परियोजना पर काम शुरू हो गया है। ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज अंतरराज्यीय नदी परियोजना को लेकर अब मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच जल्द करार होगा।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना है। इस अंतरराज्यीय संयुक्त परियोजना का अवरोध अब दूर हो गया है तथा हम शीघ्र ही महाराष्ट्र सरकार के साथ चर्चा कर करार करने की ओर बढ़ रहे हैं। जल्द ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भोपाल आमंत्रित कर करार की कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को मंत्रालय में ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज एवं कन्हान उप कछार परियोजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में बैठक कर अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना के जरिए हम महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर राष्ट्रहित में नदी जल की बूंद-बूंद का उपयोग सुनिश्चित कर कृषि भूमि का कोना-कोना सिंचित करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित कराने के लिए केंद्र सरकार से चर्चा की जाएगी। ताप्ती बेसिन और कन्हान उप कछार में मध्य प्रदेश द्वारा प्रस्तावित कन्हान (जामघाट) बहुउद्देशीय परियोजना में मध्य प्रदेश के जल हितों का विशेष ध्यान रखा जाए। इसके लिए महाराष्ट्र राज्य से सतत संवाद कर दोनों परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना में कुल 31.13 टीएमसी. जल का उपयोग होगा। इसमें से 11.76 टीएमसी मध्य प्रदेश को और 19.36 टीएमसी जल महाराष्ट्र राज्य के हिस्से में आएगा। इस परियोजना में प्रस्तावित बांध एवं नहरों से मध्य प्रदेश कुल 3 हजार 362 हेक्टेयर भूमि उपयोग में लाई जाएगी। परियोजना के अंतर्गत कोई गांव प्रभावित नहीं होगा अत: इसमें पुनर्वास की भी आवश्यकता नहीं होगी। सीएम ने कहा कि हम सालों से लंबित जल बंटवारे के मसलों को हल करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। दोनों ही राज्य ताप्ती और कन्हान नदी की जो नदी जल परियोजनाएं वर्षों से लंबित थीं, उनके निराकरण की भावना रखते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के पूरा होने पर मध्य प्रदेश के 1 लाख 23 हजार 82 हेक्टेयर भू-क्षेत्र और महाराष्ट्र के 2 लाख 34 हजार 706 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की स्थाई सुविधा उपलब्ध होगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा जिले की बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार एवं खालवा की कुल चार तहसीलें लाभान्वित होंगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इसी प्रकार कन्हान उपकछार में जल उपयोगिता के लिए मध्यप्रदेश द्वारा प्रस्तावित छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय परियोजना के माध्यम से महाराष्ट्र के नागपुर शहर को भी पीने का पानी मिलेगा और हमारे छिंदवाड़ा जिले के कृषि क्षेत्र में भी पर्याप्त जल उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों राज्यों के अधिकारी आपस में संवाद करेंगे और इन परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ेंगे। 
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना के अंतर्गत मुख्य रूप से चार जल संरचनाएं प्रस्तावित 
1- खरिया गुटीघाट बांध स्थल पर लो डायवर्सन वियर : यह वियर दोनों राज्यों की सीमा पर मध्य प्रदेश की खंडवा जिले की खालवा तहसील एवं महाराष्ट्र की अमरावती तहसील में प्रस्तावित है। इसकी जल भराव क्षमता 8.31 टीएमसी प्रस्तावित है।
2-दाई तट नहर प्रथम चरण : प्रस्तावित खरिया गुटीघाट वियर के दाएं तट से 221 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है, जो मध्य प्रदेश में 110 किलोमीटर बनेगी। इस नहर से मध्य प्रदेश के 55 हजार 89 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।
3- बाई तट नहर प्रथम चरण : प्रस्तावित खरिया गुटीघाट वियर के बाएं तट से 135.64 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है जो मध्य प्रदेश में 100.42 किलोमीटर बनेगी। इस नहर से मध्य प्रदेश के 44 हजार 993 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है।
4-बाईं तट नहर द्वितीय चरण : यह नहर बाईं तट नहर प्रथम चरण के आर डी 90.89 कि मी से 14 किलोमीटर लंबी टनल के माध्यम से प्रवाहित होगी। इसकी लंबाई 123.97 किलोमीटर होगी, जिससे केवल महाराष्ट्र के 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है
छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय परियोजना 
कन्हान उप कछार में प्रस्तावित छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति राशि  5470.95 करोड़ वर्ष 2019 में जारी की गई। इसके अंतर्गत संगम एक, संगम दो, रामघाट एवं पांढुर्णा बांध का निर्माण कार्य होगा। इसका सिंचाई क्षेत्र एक लाख 90 हजार 500 हेक्टेयर होगा।
लाभान्वित विकासखंड में जुन्नारदेव, उमरेठ, छिंदवाड़ा, मोहखेड, पांढुर्णा, सौंसर एवं बिछुआ शामिल है। औद्योगिक क्षेत्र के लिए 20 मिलियन घन मीटर जल आरक्षित होगा। जल विद्युत उत्पादन 30 मेगावाट होगा।