'व्यापार वार्ता में भारत को अपनानी होगी चतुराई'

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राजन बोले- कृषि व डेयरी पर समझौते में सतर्कता जरूरी
नई दिल्ली। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत को व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय चतुराई से काम लेने की जरूरत है, खासकर कृषि क्षेत्र के संबंध में, जिसे विकसित देशों द्वारा भारी सब्सिडी दी जाती है। भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय बहुत सावधान और चतुराई से काम लेने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते में सबसे ज्यादा ध्यान कृषि क्षेत्र में देने की है, जिसे विकसीत देशों द्वारा भारी सब्सिडी दी जाती है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6 से 7 प्रतिशत के दायरे में स्थिर
पीटीआई को दिए साक्षात्कार में राजन ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6 से 7 प्रतिशत के दायरे में स्थिर हो गई है। वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं कारण इस पर कुछ असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जहां व्यापार वार्ता अधिक कठिन है, वह कृषि जैसे क्षेत्र हैं, जहां प्रत्येक देश अपने उत्पादकों को सब्सिडी देते हैं। हमारे उत्पादक अपेक्षाकृत छोटे हो सकते हैं, उनकी सब्सिडी कुछ कम हो सकती है। ऐसे में अगर कृषि उत्पादों का बिना नियंत्रण के आयात होता है तो हमारे किसानों के लिए यह मुश्किलें पैदा कर सकता है।
विकसीत देशों से निवेश बढ़ाने की जरूरत
राजन ने कहा कि उदाहरण के तौर पर, क्या हम विकसित देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित कर सकते हैं ताकि कुछ क्षेत्रों में मूल्यवर्धन बढ़ाया जा सके। जैसे कि डेयरी क्षेत्र में जिससे दूध, मिल्क पाउडर, पनीर आदि जैसे उत्पादों में सुधार हो और हमारे दुग्ध उत्पादकों को लाभ हो सके।
ट्रंप का प्रस्ताव
इस सप्ताह के शुरुआत में भारतीय टीम प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए पांचवें दौर की वार्ता के लिए वाशिंगटन में थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता अमेरिका द्वारा इंडोनेशिया के साथ किए गए समझौते की तर्ज पर होगा। कृषि क्षेत्र में पहुंच प्रदान करना सरकार के लिए एक राजनीतिक मुद्दा साबित हो रहा है।
भारत अपना रहा कड़ा रुख
पूर्व गवर्नर ने कहा कि क्या ऐसी चीजें हैं जो हम कर सकते हैं, बजाय इसके कि हम यह कहें कि हम अन्य देशों से भारत में अधिक दूध आयात करें। कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग पर भारत ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में भारत ने अब तक अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को कोई शुल्क रियायत नहीं दी है।
चुनौतियों के साथ भारत के लिए अवसर
राजन ने कहा कि व्यापार तनाव निर्यात और निवेश दोनों के लिए नकारात्मक है। लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए कि जो कुछ हो रहा है उसमें अवसर भी हैं, क्योंकि भारत को अमेरिका जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में देखा जा रहा है। उनके अनुसार, अगर अमेरिका द्वारा चीन और एशिया के कुछ अन्य भागों पर लगाए गए टैरिफ भारत पर लगाए गए टैरिफ से कहीं अधिक हैं, तो कुछ विनिर्माण उद्योगों के लिए भारत की ओर आने का अवसर हो सकता है।
रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर भारत की मांग
ट्रम्प ने 2 अप्रैल को भारत सहित कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, इसे जल्द ही 90 दिनों के लिए 9 जुलाई और फिर 1 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया। भारत अतिरिक्त टैरिफ (26 प्रतिशत) हटाने की मांग कर रहा है। वह स्टील और एल्युमीनियम (50 प्रतिशत) और ऑटो (25 प्रतिशत) क्षेत्रों पर टैरिफ में ढील की भी मांग कर रहा है।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में लाभ मिलने की संभावना
राजन ने कहा कि जहां तक टैरिफ का सवाल है मेरा मानना है कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत अधिक संरक्षणवादी हो गया है। उन्होंने कहा कि टैरिफ के स्तर को कम करना और उन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना काफी फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, कार निर्माण में हमें कुछ लाभ प्राप्त हैं। हम कुछ प्रकार की कारों का उत्पादन बहुत अच्छी तरह से करते हैं, और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लाना वास्तव में काफी लाभदायक हो सकता है।