टेनरियों का गंदा पानी गंगा में…डीजल का पैसा जेब में

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अधिकारी बोले- जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई
कानपुर। गंगा के दूषित पानी के गिराए जाने के मामले में जिम्मेदारों का कहना है कि अभी टेनरियों के सामने से पुरानी कन्वेंशन लाइन गुजरी है, जो कई जगह से ब्लॉक है। इस कारण कई टेनरियों का पानी ट्रीटमेंट प्लांट में नहीं जा पा रहा है। इनका पानी ओवरफ्लो होकर गंगा का मैला कर रहा है। कानपुर में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक गंगा की निर्मलता और स्वच्छता का हर अभियान शहर से ही शुरू करते हैं। हालांकि गंगा की निर्मलता के लिए जिम्मेदार विभागों पर इसका कोई असर नहीं दिखता। महाकुंभ के बाद फिर टेनरियों का रसायनयुक्त पानी गंगा में सीधे गिराया जाने लगा है। जब भी ट्रीटमेंट प्लांट की बिजली जाती है, डीजल खर्च बचाने के चक्कर में जेनरेटर नहीं चलाया जाता है। इससे करीब दो से तीन करोड़ लीटर टेनरियों का पानी सीधे गंगा में जाता है। मंगलवार को भी यही स्थिति रही। जाजमऊ क्षेत्र में टेनरियों और सीवरेज के नालों के दूषित पानी को शोधित करने के लिए पहले एक ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था। अब दोनों के लिए अलग-अलग प्लांट होने के बावजूद गंगा में दूषित पानी सीधे गिराए जाने का खेल जारी है।
गंगा में दूषित पानी जाते हुए मिला
समय-समय पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रदेश और केंद्रीय इकाई की टीमें औचक निरीक्षण भी करती हैं, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में जाजमऊ से लेकर उसके आगे तक गंगा का पानी अक्सर काले रंग का दिखता है। शनिवार को भी बोर्ड की एक टीम ने यहां का औचक निरीक्षण किया था, जिसमें टीम को गंगा में दूषित पानी जाते हुए मिला था।
इन कारणों से गंगा मैली
- बिजली जाने के बाद जेनरेटर नहीं चलाया जाता है। रोजाना 24 घंटे में चार से पांच घंटे बिजली कटती है। जेनरेटर चलाने के लिए विभाग से डीजल का जो बजट मिलता है, उसे जेब में रख लिया जाता है।
- अभी टेनरियों के सामने से पुरानी कन्वेंशन लाइन गुजरी है, जो कई जगह से ब्लॉक है। इस कारण कई टेनरियों का पानी ट्रीटमेंट प्लांट में नहीं जा पा रहा है। इनका पानी ओवरफ्लो होकर गंगा का मैला कर रहा है। नई कन्वेंशन लाइन के अब तक न बन पाने से टेनरियां गंगा में दूषित पानी भेज रही हैं।
- टेनरियों के लिए पानी का प्रयोग करने के मानक निर्धारित हैं। यदि टेनरियों का पानी प्लांट में भेजा जाता है, तो उसकी मानीटरिंग होती है कि किस टेनरी ने कितना पानी बहाया। इससे बचने के लिए टेनरियों से चोरी छिपे पानी गंगा में सीधे बहाया जाता है। इसके लिए यहां पर एक चोर नाला भी बना हुआ है। दिन में उस नाले में पानी का बहाव नाम मात्र का ही रहता है, लेकिन रात के समय बहाव तेज हो जाता है। यह बहाव टेनरियों से सीधे गंगा में छोड़े जाने वाले दूषित पानी का होता है।
बाईपास कर भेजते पानी
जाजमऊ में जल निगम का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) संचालित है। 36 एमएलडी से सीवरेज तो 20 एमएलडी की क्षमता के एसटीपी से टेनरियों का पानी शोधित किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक प्लांट को बाईपास कर गंदा पानी गंगा में बहाया जाता है।
लाइट जाने पर नहीं चला जनरेटर
जाजमऊ स्थित 20 एमएलडी के प्लांट में सोमवार को दोपहर अचानक लाइट चली गई थी। इसके बावजूद जनरेटर नहीं चलाया गया। इस वजह से दो घंटे तक गंदा पानी बिना शोधित हुए गंगा में जाता रहा। मंगलवार को भी यही स्थिति रही। सूत्रों के मुताबिक, प्लांट भी अभी तक पूरी क्षमता से नहीं चलाया जा रहा, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 13 मई तक सभी टेनरियों को इस प्लांट से जोड़ने का निर्देश दे रखा है।
600 के आसपास टेनरियां संचालित
कागजों पर तो शहर में करीब 249 टेनरियां संचालित हैं, लेकिन छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 600 के आसपास टेनरियां चल रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का स्पष्ट निर्देश है कि सभी टेनरियों का गंदा पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ही जाना चाहिए।
पांडु नदी भी हो रही दूषित
पनकी, साइट नंबर-3 स्थित एमटीसी के पास फैक्टरियों का दूषित पानी एक पक्के नाले से पांडु नदी में गिराया जा रहा है। इसके अलावा साइट नंबर-2 में लगभग आधा दर्जन चोर नालों से रात के वक्त नदी में केमिकलयुक्त पानी छोड़ा जाता है। भौंती में पांडु नदी पुल के सामने गत्ता फैक्टरी से भी गंदा पानी बहाया जाता है।
कभी जनरेटर खराब होने से समस्या होती है, लेकिन उसे तुरंत सुधार लिया जाता है। फिर भी यदि गंगा में कहीं से भी पानी सीधे जा रहा है, तो उसका निरीक्षण कर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।
-मोहित चक, प्रोजेक्ट मैनेजर, जल निगम
नई कन्वेंशन लाइन क्यों नहीं पड़ पाई, बुधवार को मौके पर जाकर निरीक्षण करूंगा।
-अजीत कुमार सुमन, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड