• दोनों नेताओं ने की 18 मिनट बातचीत

  • केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री बाहर इंतजार करती रहीं

इंदौर। इंदौर में गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 18 मिनट तक बंद में कमरे में चर्चा की। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर कमरे के बाहर खड़े होकर बैठक खत्म होने का इंतजार करती रहीं। हालांकि दोनों सीनियर नेताओं ने अकेले में किस विषय पर चर्चा की, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। बता दें कि गुरुवार को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में हितग्राहियों से संवाद कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।

केंद्रीय राज्यमंत्री ठाकुर को 5 मिनट रुकने को कहा बैठक के दौरान विधायक मधु वर्मा, मनोज पटेल और बीजेपी नेता सावन सोनकर पास के कमरे में बैठे हुए थे। जबकि राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर कमरे के बाहर इंतजार कर रही थीं। वहां मौजूद अधिकारियों ने जब सावित्री ठाकुर के इंतजार करने की सूचना दी तो शिवराज ने उन्हें 5 मिनट और इंतजार करने को कहा। बता दें कि शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय दोनों नेता 3 बजकर 13 मिनट पर कमरे में गए थे। करीब 3 बजकर 30 मिनट यानी पूरे 18 मिनट बाद कमरे से बाहर आए। मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर विजयवर्गीय ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान से सामान्य मुलाकात करने आया था।

BJYM के दौर से साथ में दोनों नेता शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय ने लगभग एक ही समय पर राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में पदाधिकारी रहते हुए काम किया। विजयवर्गीय ने प्रदेश की राजनीति का रुख अपनाया। विधानसभा चुनाव जीते और इंदौर के महापौर बने। वहीं चौहान ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। विदिशा से सांसद चुने गए और भाजपा के संसदीय सचिव के रूप में कार्य किया। कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे शिवराज सिंह गुरुवार रात को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पत्नी साधना सिंह के साथ कैलाश विजयवर्गीय के इंदौर स्थित घर पहुंचे। इसकी जानकारी मंत्री विजयवर्गीय ने एक्स पर दी। उन्होंने लिखा- केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री और मेरे मित्र शिवराज सिंह चौहान एवं भाभी साधना सिंह चौहान आज इंदौर स्थित निवास पर पधारे। इस अवसर पर उनका आत्मीय स्वागत एवं सत्कार किया। पारिवारिक स्नेह और सौहार्द से परिपूर्ण वातावरण में उनसे अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। यह मिलन भावनात्मक निकटता के साथ वैचारिक समृद्धि का अनुपम अवसर बना।

अचानक बढ़ा शिवराज का वर्चस्व 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की जीत के बाद विजयवर्गीय को उनके मंत्रिमंडल में जगह मिली। लेकिन 2004 में एक लंबित मामले के चलते उमा भारती को इस्तीफा देना पड़ा और बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने। इसी दौरान चौहान को भाजपा का मध्यप्रदेश इकाई अध्यक्ष बनाया गया।

गौर के कार्यकाल में पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ने लगा, जिससे नवंबर 2005 में उन्हें हटाकर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं उमा भारती ने पार्टी छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली। हालांकि विजयवर्गीय चौहान की सरकार में सीनियर मंत्री रहे, लेकिन इसी दौर में उनके रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई। जैसे-जैसे चौहान ने मुख्यमंत्री पद पर अपनी पकड़ मजबूत की, विजयवर्गीय को उनका स्थान लेने की आकांक्षा रखते हुए देखा जाने लगा। पार्टी के भीतर बढ़ते तनाव को नियंत्रित करने के लिए भाजपा हाईकमान ने विजयवर्गीय को राष्ट्रीय राजनीति में भेज दिया। उन्हें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अधीन राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। यह एक रणनीतिक कदम था ताकि मध्य प्रदेश में उनकी राजनीतिक पकड़ सीमित की जा सके।

कृषि मंत्री को हाथ से बनी पेंटिंग गिफ्ट की इंदौर में शिवानी हर्षित गुप्ता ने शिवराज को हाथ से बनी पेंटिंग गिफ्ट की। शिवानी ने बताया की शिवराज सिंह जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने स्वरोजगार योजना लोन लेकर बुटीक का काम शुरू किया था। शिवानी ने 2014 में 5 लाख का लोन लिया था। आज 5 करोड़ का प्रोजेक्ट डाल रहे है।

शिवराज ने संभाली ट्रैक्टर की स्टीयरिंग इंदौर के सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में खेत में शिवराज ने ट्रैक्टर भी चलाया। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री नहीं किसान हूं। मेरे हर रोम में किसान और हर सांस में खेती है। आज पूरी एग्रीकल्चर टीम इंदौर में है। देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र के लोग, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज के लोग राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी साथ है। हम वैज्ञानिक अधिकारियों और कर्मचारियों को गांव में लेकर गए। आज हम सोयाबीन की फसल पर चर्चा करने वाले हैं। सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ नहीं रही है, जिसे लेकर चर्चा करेंगे। अच्छी किस्म का सोयाबीन पैदा कर पाए ताकि देश को तेल आयात ना करना पड़े।

ताकि विदेशों से तेल आयात न करना पड़े शिवराज सिंह ने कहा कि 1 लाख 32 हजार करोड़ का तेल विदेशों से आ रहा है। हमारी कोशिश होगी कि हम किसान भाइयों के साथ मिलकर ऐसा रास्ता निकाले, जिससे हम उत्पादन बढ़ाए। ताकि सोयाबीन की पैदावार करके तेल से भी भारत के भंडार को भर दें।