• USFDA की रिपोर्ट में मशीन 71% एडवर्स परिणाम

भोपाल।  भोपाल एम्स में 22 करोड़ रुपये में खरीदी गई स्पाइन रोबोटिक सर्जरी मशीन को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। अमेरिकी संस्था USFDA की रिपोर्ट के अनुसार, इस मशीन के 71% मामले एडवर्स रहे हैं। साथ ही, यह भी आरोप है कि जिस मशीन को मेडट्रोनिक इंडिया कंपनी ने निजी अस्पताल को 11 करोड़ में बेचा था, वही मशीन एम्स को दोगुनी कीमत पर दी गई।भोपाल एम्स (एम्स) एक बार फिर विवादों में है। पहले दवाइयों की मनमानी दरों पर खरीद और अब 22 करोड़ रुपये में खरीदी गई स्पाइन रोबोटिक सर्जरी मशीन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मशीन को अमेरिकी मेडिकल डिवाइस कंपनी मेडट्रोनिक इंडिया के अधिकृत डीलर से खरीदा गया, लेकिन आरोप है कि यह मशीन अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) की रिपोर्ट में 71% मामलों में विफले एडवर्स रहे है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक यूजर ने एम्स भोपाल समेत स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को दस्तावेजों के साथ शिकायत करते हुए टैग किया है।   
USFDA रिपोर्ट में कई तकनीकी खामियों का खुलासा
USFDA की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडट्रोनिक इंडिया के मैजोर एक्स स्पाइन रोबोटिक सर्जरी मशीन में गंभीर तकनीकी कमियां दर्ज की गई हैं। बताया जा रहा है कि रोबोट के संचालन में रूकावट, सॉफ्टवेयर एरर, स्क्रू डैमेज और मिसिंग, जैसी गड़बड़ियां शामिल हैं। अब सवाल यह है कि कंपनी ने इस रिपोर्ट की जानकारी एम्स प्रबंधन को दी है या नहीं? 
निजी अस्पताल में आधी कीमत पर सप्लाई
यह भी आरोप है कि नारायणा हेल्थ (NH) जैसे निजी अस्पतालों को यही मशीन महज 11 करोड़ रुपये में सप्लाई की गई थी। यानी, एम्स में इसकी कीमत लगभग दोगुनी 22 करोड़ रुपए में चुकाई गई। जानकारी के अनुसार, जब आरटीआई (RTI) के माध्यम से मशीन के क्रय से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे, तो एम्स प्रशासन ने इसे थर्ड पार्टी जानकारी बताकर देने से इन्कार कर दिया। आरोप यह है कि यह जानकारी जानबूझकर छिपाई जा रही है, जिससे गड़बड़ी सामने ना आ सके। एम्स भोपाल ने यह मशीन पटना के एक चैनल पार्टनर (वेंडर) के माध्यम से खरीदी है। 
टेंडर प्रक्रिया में भी गड़बड़ियां
टेंडर प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि इस टेंडर में तीन तरह के उपकरण को एक साथ मांगा गया, जिससे सिर्फ चहेती कंपनी की क्वालिफाई हो सके और दूसरी कंपनियां टेंडर में भाग ना ले पाए। एक कंपनी ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई, जिसके पास तीन में से एक उपकरण उपलब्ध नहीं था। उनका आरोप है कि एम्स प्रशासन ने उनकी आपत्ति पर कोई विचार नहीं किया। टेंडर के नियमों के अनुसार, मशीन की आपूर्ति से पहले कंपनी को पूर्व में की गई सप्लाई का पर्चेस ऑर्डर (पीओ) प्रस्तुत करना होता है। इसमें आरोप है कि बहुराष्ट्रीय मेडट्रोनिक इंडिया कंपनी ने गुमराह करते हुए नियमों का पालन नहीं किया।
एम्स प्रशासन और कंपनी ने साधी चुप्पी
भोपाल एम्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने फिलहाल इस पूरे मामले पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, इस मामले के आरोपों को अधिकारी नकार रहे हैं। वहीं, मेडट्रोनिक इंडिया के डायरेक्टर प्रतीक तिवारी से इस मामले में बात करने के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने बिना जवाब दिए ही फोन काट दिया।