• सेप्टिक-टैंक में लाश डालकर कर दी ढलाई 
  • बीजापुर एनएच पर 4 घंटे से पत्रकारों का चक्काजाम

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर का पहले गला घोंटा गया। बाद में सिर पर कुल्हाड़ी मारी। इस हमले से मुकेश के सिर पर ढाई इंच गड्ढा हो गया। हत्या के बाद मुकेश की लाश बैडमिंटन कोर्ट कैंपस में बने सेप्टिक टैंक में फेंक दिया और टैंक को 4 इंच कंक्रीट से ढलाई करके पैक कर दिया गया। बीजापुर में हुई इस हत्या के बाद पत्रकारों में आक्रोश है। उन्होंने बीजापुर नेशनल हाइवे-63 पर चक्काजाम कर दिया है, जो करीब 4 घंटे से जारी है। वहीं, पुलिस ने मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 3 आरोपी हिरासत में हैं। रिश्तेदार सुरेश चंद्राकर भी संदेह के घेरे में है।
पूरा मामला
दरअसल, 1 जनवरी 2025 को शाम 7 बजे से मुकेश चंद्राकर घर से लापता हुए थे। अगले दिन 2 जनवरी को उनके भाई युकेश चंद्राकर ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत के बाद पुलिस लगातार मुकेश के फोन को ट्रेस कर रही थी। फोन बंद होने की वजह से अंतिम लोकेशन घर के आस-पास का ही दिखा रहा था। सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए, जिसमें अंतिम बार मुकेश टी-शर्ट और शॉर्ट्स में दिखे। वहीं पत्रकारों ने भी अलग-अलग जगह पता किया। जेमेल लोकेशन के माध्यम से लोकेशन ट्रेस किया गया, जिसमें मुकेश का अंतिम लोकेशन बीजापुर जिला मुख्यालय के चट्टानपारा में होना पाया गया।
ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के कोर्ट परिसर पहुंची पुलिस
यहीं पर मुकेश के रिश्तेदार (भाई) और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, रितेश चंद्राकर का बैडमिंटन कोर्ट परिसर है। मुकेश के सगे भाई यूकेश समेत अन्य पत्रकारों ने इसकी जानकारी बीजापुर जिले के स्क्क जितेंद्र यादव और बस्तर के ढ्ढत्र सुंदरराज पी को दी। पुलिस की टीम को भी उस इलाके में पहुंची।
टैंक पर कंक्रीट का मोटा स्लैब डाला
इस दौरान कुछ पत्रकारों की नजर सेप्टिक टैंक पर गई। टैंक पर कंक्रीट का मोटा स्लैब डाला गया था, लेकिन उसमें एक भी चेंबर नहीं रखा था। अमूमन टैंक की सफाई के लिए एक हिस्से में चैंबर बनाया जाता है। यहां टैंक पूरी तरह से जब पैक दिखा तो शक हुआ। पुलिस से टैंक तोड़वाने की मांग की गई। टैंक तोड़ते ही पानी में मुकेश की लाश मिली। शव को बाहर निकाला गया और पोस्टमॉर्टम के लिए शव को अस्पताल भिजवाया गया।
संदेह के दायरे में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर


हत्याकांड में पुलिस के संदेह के दायरे में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और सुरेश के भाई रितेश चंद्राकर हैं। कुछ दिन पहले मुकेश ने करीब 120 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली सड़क की खस्ता हाल की खबर बनाई थी। बताया जा रहा है कि, यह काम सुरेश चंद्राकर का ही था, जिसके बाद से इनके बीच कुछ विवाद भी हुआ था। फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है। जांच के बाद ही हत्यारे और हत्या की वजह स्पष्ट हो पाएगी।
सीएम साय ने जताया दुख
सीएम विष्णुदेव साय ने पत्रकार मुकेश की हत्या पर शोक जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का समाचार अत्यंत दु:खद और हृदयविदारक है। मुकेश जी का जाना पत्रकारिता जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
इस घटना के अपराधी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने के निर्देश हमने दिए हैं।
सरकार को आर्थिक सहायता, नौकरी पर भी निर्णय लेना चाहिए- भूपेश
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फेसबुक पर लिखा कि, मुझे आज भी वो दिन याद है, जब नक्सलियों के कब्जे से कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों के चंगुल से रिहा कराने वाली मध्यस्थ टीम मुख्यमंत्री निवास रायपुर में मुझसे भेंट करने आई थी।
साहसी पत्रकार मुकेश चंद्राकर उस मध्यस्थ टीम के प्रमुख सदस्य थे। उनके साहस के लिए मैंने उनकी पीठ थपथपाई थी। मुकेश के साथ जो हुआ है, वो बेहद दुर्भाग्यजनक है। सिर्फ शब्दों से निंदा कर देने से क्षति और असुरक्षा का समाधान नहीं हो सकता। ना ही इस विषय पर कोई राजनीतिक टिप्पणी करना चाहूंगा। सरकार से अनुरोध है कि त्वरित जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो और ऐसी नज़ीर पेश हो कि अपराधियों में संदेश जाए। साथ ही मुकेश के परिवार का ध्यान रखने के लिए सरकार को आर्थिक सहायता, नौकरी पर भी निर्णय लेना चाहिए। साहसी पत्रकार मुकेश चंद्राकर को हम सब छत्तीसगढ़वासियों की विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनके परिवार को हिम्मत दे। 
भूपेश बघेल ने अरुण साव को घेरा
भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि मैंने सोचा था कि मुकेश चंद्राकर के मामले में न्याय मिलने तक इस पर राजनीतिक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए, लेकिन भाजपा नेताओं के हद से अधिक गिर जाने पर मुझे कहना पड़ेगा कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री? अरुण साव, जिनके पास ही पीडब्ल्युडी भी है।
बघेल ने लिखा अरुण साव इतने ताकतवर हो गए हैं कि उनके पीडब्ल्युडी में हुए बड़े सड़क घोटाले को जब पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने उजागर किया तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।
इसी पीडब्ल्यूडी विभाग में जब आचार संहिता के दौरान पुल निर्माण का मामला विधानसभा में वरिष्ठ कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने उठाया तो 10 दिन बाद उनके घर श्वष्ठ भेज दी गई। सत्य यही है और साबित भी हो रहा है कि अब तो यह स्पष्ट है, अरुण साव भ्रष्ट है।
बैज बोले- बीजेपी सरकार में पत्रकार भी सुरक्षित नहीं
हत्या की खबर मिलते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने अपना बयान जारी किया था। उन्होंने कहा कि, भाजपा की सरकार में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था अब असहनीय हो चुकी है। राजधानी से शुरू हुआ हत्याओं का खौफनाक मंजर अब बस्तर तक पहुंच चुका है। एक पत्रकार की हत्या हो गई है।