• 3 लोगों को मिला नया जीवन

भोपाल। एम्स भोपाल प्रदेश का ऐसा पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां किसी ब्रेन डेड मरीज के अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन हार्वेस्ट) के लिए निकाले गए। ओबेदुल्लागंज के 60 वर्षीय शंकर लाल कुबरे ने मौत के बाद तीन लोगों की जिंदगी दी है। राजधानी भोपाल स्तिथ एम्स लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार कर रहा है। इस कड़ी में एम्स ने बुधवार को अपना पहला 'कैडेवर ऑर्गन डोनेशन' सफलतापूर्वक किया। एम्स भोपाल प्रदेश का ऐसा पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां किसी ब्रेन डेड मरीज के अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन हार्वेस्ट) के लिए निकाले गए। ओबेदुल्लागंज के 60 वर्षीय शंकर लाल कुबरे ने मौत के बाद तीन लोगों की जिंदगी दी है।

सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो गए थे शंकर लाल
डोनर, ओबेदुल्लागंज निवासी 60 वर्षीय पुरुष, एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से सिर में घायल हो गए थे। गहन उपचार के बावजूद, उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके पश्चात, उनके परिवार पत्नी, दो पुत्र एवं एक पुत्री ने अपार मानवता और साहस का परिचय देते हुए उनके अंग दान करने का निर्णय लिया, जिससे कई जरूरतमंद मरीजों के जीवन में आशा की नई किरण जागी।

ऐसे चली पूरी प्रक्रिया
27 मई को राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी की गई, जिसका संचालन ब्रेन डेड कमेटी के सदस्य डॉ अमित अग्रवाल, डॉ मयंक दीक्षित, डॉ सुमित राज एवं डॉ ज्योत्सना कुब्रे द्वारा किया गया। इस प्रक्रिया के अंतर्गत हृदय एवं दोनों गुर्दे सफलतापूर्वक निकाले गए। इनमें से हृदय तथा एक गुर्दे का प्रत्यारोपण एम्स भोपाल में ही किया गया, जबकि दूसरे गुर्दे को SOTTO के माध्यम से बंसल अस्पताल, भोपाल को आवंटित किया गया।
लम्बे समय से कर रहे थे प्रयास
जानकारी के लिए बतादें कि एम्स भोपाल में पिछले एक साल से 'कैडेवर डोनेशन' (ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान) के प्रयास चल रहे थे। इसके लिए एक टीम भी बनाई गई है, जो ब्रेन डेड हुए हर मरीज के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित करती है। अब तक 31 ऐसे प्रयास असफल रहे थे, लेकिन शंकर लाल कुबरे का परिवार 32वां प्रयास था, जो सफल रहा।
परिवार के लिए गर्व की बात
शंकर लाल कुबरे की पत्नी ने भावुक होकर कहा कि यदि मेरे पति जाते-जाते किसी की जिंदगी बचा रहे हैं, तो यह हमारे लिए गर्व की बात है। अंगदान की बात सुनते ही आक्रोशित हो जाते हैं, लेकिन शंकर कुबरे के दोनों बेटों, बेटी और उनकी पत्नी ने इंसानियत को सबसे ऊपर रखा।

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टीम में ये चिकित्सक शामिल
एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा है कि डोनर के इस बहादुरीपूर्ण एवं महान कार्य के सम्मान में एम्स भोपाल में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जो जीवनदान के इस अनुपम उपहार के प्रति संस्थान की गहन श्रद्धांजलि का प्रतीक है। इस कार्य में प्रो. (डॉ.) शशांक पुरवार (कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक) का अथक सहयोग रहा। अंग दान प्रक्रिया का नेतृत्व डॉ केतन मेहरा, डॉ विक्रम वट्टी एवं डॉ राहुल शर्मा ने किया, जबकि समन्वय की जिम्मेदारी ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर श्री दिनेश मीना ने निभाई। हार्ट ट्रांसप्लांट टीम में डॉ योगेश निवाड़िया, डॉ एम किशन, डॉ सुरेंद्र यादव, डॉ राहुल शर्मा, डॉ विक्रम वट्टी तथा डॉ आदित्य सिरोही शामिल थे। वहीं, किडनी ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व डॉ देवाशिष कौशल एवं डॉ केतन मेहरा द्वारा किया गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया टीम डॉ वैशाली वेंडेसकर, डॉ सुनैना तेजपाल कर्णा, डॉ अनुज जैन एवं डॉ पूजा सिंह ने हेमोडायनामिक स्थिरता एवं चिकित्सकीय कुशलता बनाए रखी। चूंकि यह एक मेडिकोलीगल प्रकृति का मामला था, अतः आवश्यक ऑटोप्सी पहली बार एम्स भोपाल में ऑपरेशन थिएटर के भीतर की गई, जिससे कानूनी एवं प्रक्रियागत नियमों का पालन करते हुए अंगों की समय पर निकासी सुनिश्चित हो सकी। इस महत्वपूर्ण कार्य का नेतृत्व फोरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) राघवेन्द्र कुमार विदुआ ने किया, जिनके साथ डॉ अतुल केचे भी सम्मिलित थे।