- जो भी मुखिया बनेगा, 2 साल रहेगा
भोपाल। मध्यप्रदेश के नए डीजीपी को लेकर आज दिल्ली में बैठक है। इसमें 1 दिसंबर से एमपी के नए पुलिस चीफ की जिम्मेदारी संभालने वाले आईपीएस अधिकारी का नाम फाइनल होगा। इस मीटिंग में यूपीएससी के अध्यक्ष या उनके द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी, केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक प्रतिनिधि, एमपी के मुख्य सचिव, वर्तमान डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह शामिल होंगे। राज्य सरकार ने केंद्र को 9 आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल भेज दिया है। सभी 30 साल से अधिक समय से सेवा में हैं।
9 में से ये तीन नाम मजबूत
इनके नाम भी शामिल
डीजी जेल जीपी सिंह
स्पेशल डीजी आरएपीटीसी इंदौर वरुण कपूर
पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के एमडी उपेंद्र कुमार जैन
स्पेशल डीजी प्रोविजन आलोक रंजन
स्पेशल डीजी महिला सेल प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव
स्पेशल डीजी योगेश मुद्गल
(ये सभी 1988 से 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।)
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 2 साल से कम नहीं होगा कार्यकाल
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी प्रदेश में जो भी अफसर डीजीपी बनेगा, उसका कार्यकाल दो साल से कम नहीं होगा। ऐसे में अगर कोई अधिकारी चयनित हो और वह छह महीने से अधिक समय तक डीजीपी रहने के बाद रिटायर होने वाला होगा, तो भी उसका डीजीपी पद का कार्यकाल दो साल तक रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार चयन कमेटी और राज्य सरकार को पैनल में शामिल इन नामों में से ही एक नाम चुनकर आदेश जारी करना जरूरी होगा।
शैलेष सिंह और सुधीर शाही, इसलिए हो गए बाहर
दो आईपीएस अधिकारी शैलेष सिंह और सुधीर कुमार शाही सीनियर होने के बाद भी डीजीपी के पैनल से बाहर हो गए हैं। दरअसल, इन दोनों ही अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र 1 दिसंबर से नए डीजीपी का कार्यकाल शुरू होने की तारीख से छह महीने से कम है।
नियम है कि छह महीने से कम अवधि वाले अफसर को डीजीपी नहीं बनाया जाएगा। इसलिए ये दोनों ही अफसर वरिष्ठता के बाद भी पैनल में शामिल नामों से बाहर हो गए। 1987 बैच के शैलेष सिंह फरवरी 2025 में रिटायर होंगे जबकि 1988 बैच के आईपीएस सुधीर कुमार शाही जनवरी 2025 में रिटायर होने वाले हैं। इसके पहले इसी साल सुषमा सिंह रिटायर हो चुकी हैं।