- जांच में कोदो बाजरा में 'न्यूरोटॉक्सिन साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया
उमरिया। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ अभयारण्य में 10 हाथियों की मौत की वजह को लेकर अब फॉरेंसिक रिपोर्ट आ गई है। जिसमें ये बताया गया है कि हाथियों की मौत की वजह जहर नहीं थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत हाथियों के विसरा में 'न्यूरोटॉक्सिन साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले हफ्ते तीन दिन में 10 हाथियों की मौत के बाद से हड़कंप मचा हुआ है और हर कोई यह जानना चाह रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक साथ तीन दिन में ही एक-एक करके 10 हाथियों की मौत हो जाती है। हाथियों ने ऐसा क्या खाया, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। हालांकि इसे लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जा रहे थे, और कोदो की फसल को लेकर शंका जाहिर की जा रही थी कि इसी फसल को खाने की वजह से हाथियों की मौत हुई है, लेकिन जांच रिपोर्ट का इंतजार हर किसी को था और अब हाथियों के मौत के बाद फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट भी आ गई है।
आ गई फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 दिन में 10 हाथियों की मौत की वजह अब सामने आ गई है, फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट के अनुसार कोदो बाजरा में साइक्लोपियाजोनिक नामक एसिड पाया गया है, जिसको खाने से ही हाथियों की मौत हुई है।
एपीसीसीसीएफ वन्य प्राणी एल कृष्णमूर्ति ने बताया है कि कि मंगलवार को मृत हाथियों के विसरा सैंपल की विषाक्तता रिपोर्ट केंद्र सरकार के आईवीआरआई इंडियन वेटरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली उत्तर प्रदेश के टॉक्सिकोलॉजिकल रिपोर्ट के अनुसार हाथियों में साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया जाना बताया गया है।
रिपोर्ट में यह भी पता चलता है कि हाथियों ने बड़ी मात्रा में खराब कोदो, पौधे, अनाज खाए हैं। नमूने में पाए गए साइक्लोपियाजोनिक एसिड की विषाक्तता की वास्तविक गणना और भी आगे अभी की जा रही है। आईवीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में आसपास के क्षेत्र में ध्यान रखने के लिए एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें ग्रामीणों में जागरूकता खराब फसल में मवेशियों को ना चराने इस पर और अध्ययन करने जैसे बिंदु दिए गए हैं जिसे प्रबंधन पालन करा रहा है। गौरतलब है कि 29 अक्तूबर 30 अक्तूबर और 31 अक्तूबर को 3 दिन में ही 10 हाथियों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से पूरा देश हिल गया और हड़कंप मच गया था कि आखिर हाथियों की मौत कैसे हुई इसे लेकर केंद्र से लेकर राज्य तक की जांच कमेटी बांधवगढ़ पहुंच गई थी और लगातार जांच की जा रही थी और इस बात का पता लगाने की कोशिश की जा रही थी कि आखिर हाथियों की मौत कैसे हुई।