नई दिल्ली: कभी देश की सबसे बड़ी स्टार्टअप कंपनियों में शामिल बायजू (Byju) की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। हालत यह हो गई है कि कंपनी अपने कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं दे पा रही है। कंपनी ने बेंगलुरु में हेडक्वार्टर को छोड़कर बाकी सभी ऑफिस खाली कर दिए हैं। इस एडटेक स्टार्टअप के सूत्रों का कहना है कि कंपनी अपने बिजनस की रिस्ट्रक्चरिंग कर रही है और ऑफिस खाली करना उसकी मुहिम का हिस्सा है। बायजू पिछले कुछ महीनों से अपने ऑफिस खाली करने में लगी है। 2022 की शुरुआत में इस कंपनी की वैल्यूएशन 22 अरब डॉलर से अधिक थी जो अब करीब एक अरब डॉलर रह गई है। पिछले कुछ समय से कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि हम लीज कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं कर रहे हैं। कई शहरों में इन ऑफिसेज से हमारी सेल्स टीम काम करती थी। उन्हें ऑफिस की जरूरत नहीं है। हालांकि बायजू ने इस पर टिप्पणी करने से इन्कार किया। इसका मतलब है कि कंपनी के कर्मचारियों को अब घर से काम करना होगा। हालांकि उनके पास देशभर में फैले कंपनी के 300 ट्यूशन सेंटर्स से काम कर सकते हैं। बायजू के इंडिया बिजनस के सीईओ अर्जुन मोहन लागत में कटौती के उपाय कर रहे हैं। मोहन ने पिछले साल सितंबर में कंपनी की कमान संभाली थी। तबसे कंपनी कई कर्मचारियों को निकाल चुकी है। कंपनी ने राइट्स इश्यू के जरिए 20 करोड़ डॉलर जुटाए थे लेकिन निवेशकों की याचिका पर कोर्ट ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
आरोप-प्रत्यारोप
बायजू के फाउंडर और ग्रुप सीईओ बायजू रवींद्रन हाल में कर्मचारियों को लिखी एक चिट्ठी में निवेशकों पर आरोप लगाया था कि वे सैलरी नहीं देने दे रहे हैं। कंपनी का कहना है कि उसने 25 फीसदी कर्मचारियों को फरवरी की पूरी सैलरी दे दी है। बाकी कर्मचारियों के खाते में सैलरी का एक हिस्सा डाला गया है। एनसीएलटी ने अपने अंतरिम आदेश में राइट्स इश्यू के जरिए जुटाए गए फंड को एक अलग अकाउंट में रखने को कहा था। कोर्ट का कहना है कि जब तक निवेशकों की याचिक का निपटारा नहीं हो जाता है तब तक कंपनी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती है। कंपनी के कुछ निवेशकों ने मैनेजमेंट के खिलाफ याचिका दायर की है। मामले की अगले सुनवाई अप्रैल में होगी। कंपनी के कुछ निवेशकों की हाल में हुई ईजीएम में बायजू रवींद्रन को हटाने और कंपनी के बोर्ड को नए सिरे से गठित करने के पक्ष में वोट दिया था।