देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) सोमवार से लागू हो गया है। 2019 में जब इसका कानून संसद में पारित हुआ था, तब देश में कई जगह विरोध हुआ था। गुवाहाटी में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के बैनर तले लोग सड़कों पर उतरे थे और हिंसा भड़की थी। इसके बाद सीएए का मामला थम गया था।
बीते दिनों जब गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करने का बयान दिया, उसके बाद आसू ने विरोध की तैयारी शुरू कर दी थी। इस बार 30 जनजातीय संगठन और 16 दलों का विपक्षी मंच विरोध में उतरा है। एक दिन पहले आसू ने राज्य में 12 घंटे की भूख हड़ताल भी की थी। अब मंगलवार से राज्य में इनके प्रदर्शन शुरू हो जाएंगे।
थाने में अस्थायी जेल बनाई जा रहीं
असम पुलिस सूत्रों के मुताबिक विरोध रोकने के लिए गुवाहाटी में जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है। कई थाना क्षेत्रों के खाली परिसरों में अस्थाई जेलें बनाई जा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार आंदोलन उग्र हुआ तो ये राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर असर पड़ेगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 9 सीटें जीती थी। असम में कांग्रेस की अध्यक्षता में बने 16 दलों के संयुक्त विपक्षी मंच ने सीएए के खिलाफ बड़े आंदोलन की धमकी दी है। मंच के सदस्यों ने गुरुवार को असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से असम के लोगों पर सीएए थोपने से रोकने का अनुरोध किया गया है।
हाई कोर्ट के फैसले का ध्यान रखें: सीएम
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, राजनीतिक दलों को सीएए के खिलाफ बंद की घोषणा करने से पहले गुवाहाटी हाई कोर्ट का आदेश ध्यान में रखना चाहिए, अन्यथा उन दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। इस पर असम जातीय परिषद के प्रवक्ता जियाउर रहमान ने कहा, हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या की जा रही है। जब बात पहचान के संकट की हो तो लोग सड़क पर आएंगे।
आसू का आरोप: आंदोलन से रोकने कार्यकर्ताओं से बॉन्ड भरवा रही पुलिस
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव शंकर ज्योति बरुआ ने दैनिक भास्कर को बताया कि सीएए असम के सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय ताने-बाने के लिए खतरा है। यह असमिया जाति के अस्तित्व को खत्म करने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ लोकतांत्रिक और शांतिपूर्णढंग से लगातार विरोध-प्रदर्शन करेंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। 30 संगठन हमारे साथ हैं। हमें उम्मीद है कि लोग आगे आएंगे। इसलिए सरकार भी अस्थाई जेल बनवा रही है। हमारे कार्यकर्ताओं को थाने में बुलाकर आंदोलन से दूर रहने के लिए बॉन्ड पेपर पर हस्ताक्षर करवाने की कोशिश हो रही है। सबके घरों में नोटिस भेजा गया है।
बंगाली हिंदुओं को नागरिकता की कोशिश
वरिष्ठ पत्रकार समीर कर पुरकायस्थ कहते हैं कि एनआरसी में नाम नहीं आने से हिंदू बंगाली समुदाय बीजेपी से नाराज है। लिहाजा सीएए के जरिए बंगाली हिंदुओं को नागरिकता देने की कोशिश की जा रही है। अगर असम में हिंदू बंगाली भाजपा के खिलाफ जाते हैं तो पार्टी को इसका नुकसान पश्चिम बंगाल में भी उठाना पड़ेगा। असम में 34% मुसलमान है, जबकि70 लाख हिंदू बंगाली है। ये भाजपा का वोट बैंक है।