RSS के लिए जनता दल ने अटल-आडवाणी को निकाला:44 साल में 2 से 303 सीटों पर पार्टी पहुंची, बीजेपी के बनने की कहानी

Updated on 15-04-2024 12:28 PM

1980 में अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं को जनता पार्टी से निकाल दिया गया। वजह थी RSS की सदस्यता। जनता पार्टी का साफ कहना था कि जो पार्टी में रहेगा, वह RSS से दूर रहेगा। इसके बाद 4 अप्रैल 1980 को बैठक की गई। 6 अप्रैल को नई पार्टी का ऐलान कर दिया गया।

पार्टी बनी। चुनाव में उतरी। लेकिन, केवल दो ही सीट जीत सकी। लगा कि पार्टी का भविष्य अंधकार में है। लेकिन, वक्त के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की लाइन- ''अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा'' सही साबित हुई। आज पार्टी 44 साल में 2 सीटों से 303 पर पहुंच गई। बीजेपी की 15 से ज्यादा राज्यों में सरकार है।

इमरजेंसी के बाद साथ आए, सरकार बनी तो विवाद हो गया
25 जून 1975 को पीएम इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी, तब सब कुछ ठप हो गया। विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जेल में डाल दिया गया। विपक्ष के नेता इंदिरा गांधी के खिलाफ एकजुट हो गए। 1977 में इमरजेंसी खत्म हुई और चुनाव हुआ। कांग्रेस के सामने सभी विपक्षी दलों ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी और 295 सीटों को जीतकर सरकार बनाई।

इस सरकार में जनसंघ की तरफ से अटल बिहारी को विदेश मंत्री, लालकृष्ण आडवाणी को सूचना-प्रसारण मंत्री, जनता पार्टी की तरफ से राजनारायण को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। विजय त्रिवेदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर लिखी किताब एक अटल जीवन गाथा में लिखते हैं, "कांग्रेस के खिलाफ सभी दल तो एक थे, लेकिन आपस में खींचतान चलती रहती थी। ये लड़ाई विचारधारा की भी थी।"

राज नारायण उन दिनों हिमाचल के शिमला में एक सभा करना चाहते थे। हिमाचल के सीएम शांता कुमार ने परमिशन देने से मना कर दिया। शांता कुमार जनसंघ की तरफ से थे। इस मनाही के बावजूद राज नारायण ने शिमला में सभा की। इस एक घटना के बाद सोशलिस्ट और जनसंघ नेताओं के बीच दूरी बढ़ती चली गई। राज नारायण को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया।

RSS की नागरिकता वालों को पार्टी से बाहर किया
1978 के आखिर में जनता पार्टी के नेता मधु लिमये ने पार्टी के भीतर यह मांग रख दी कि अगर कोई भी व्यक्ति दोहरी नागरिकता रखता है, तो उसे पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा। दोहरी नागरिकता का मतलब यहां पार्टी के साथ RSS का सदस्य होना था। यह बात लिमये ने साफ शब्दों में कही थी कि कोई भी व्यक्ति RSS जैसे सांप्रदायिक संगठन से कोई ताल्लुक नहीं रख सकता।

लिमये की इस बात का उन लोगों ने समर्थन किया, जो उस वक्त के पीएम मोरारजी देसाई और पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर से नाराज चल रहे थे। दूसरी तरफ जनसंघ के नेताओं को यह पसंद नहीं आया। आडवाणी ने तो विकल्प तलाशना भी शुरू कर दिया था, लेकिन लड़ाई अकेले संभव नहीं थी, इसलिए पार्टी में बने रहे।

1980 में आम चुनाव हुआ। नेताओं में अंतर्कलह साफ नजर आ रही थी। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना ली। जनता दल को सिर्फ 31 सीटों पर जीत मिली। हार के लिए जनसंघ के नेताओं को कोसा जाने लगा। 25 फरवरी 1980 को जनजीवन राम ने जनता पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर को पत्र लिख दिया कि दोहरी सदस्यता के मामले पर चर्चा हो। इस पत्र के बाद यह तय हो गया था कि अब अटल बिहारी, आडवाणी जैसे नेताओं का जनता दल में रहना संभव नहीं।

4 अप्रैल 1980 को जनता दल ने जनसंघ के लगभग नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया। 5 अप्रैल को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में जनसंघ नेताओं ने बैठक बुलाई। इस बैठक की अध्यक्षता ग्वालियर की राजमाता विजयराजे सिंधिया ने की। तय हुआ कि नई पार्टी बनाई जाएगी। 6 अप्रैल को नई पार्टी का ऐलान कर दिया गया। नाम रखा गया- भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा। अध्यक्ष बने अटल बिहारी वाजपेयी।

इसके बाद 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद पार्टी का पहला अधिवेशन दिसंबर 1980 में मुंबई में हुआ था। इस अधिवेशन में भाजपा के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'भाजपा का अध्यक्ष पद कोई अलंकार की वस्तु नहीं है। ये पद नहीं दायित्व है। प्रतिष्ठा नहीं है परीक्षा है। ये सम्मान नहीं है चुनौती है। मुझे भरोसा है कि आपके सहयोग से देश की जनता के समर्थन से मैं इस जिम्मेदारी को ठीक तरह से निभा सकूंगा।'

विजय त्रिवेदी 'एक अटल कथा' में लिखते हैं, उस वक्त पार्टी की टैग लाइन गांधीवादी समाजवाद थी। पार्टी पर जय प्रकाश नारायण के विचारों का असर दिखता था। पार्टी बनने के बाद वाजपेयी जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उसमें हिंदुत्व, आरएसएस जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया। उनका पूरा फोकस जेपी की संपूर्ण क्रांति के उद्देश्यों के आस-पास था। गांधीवादी समाजवाद की स्थापना को पार्टी का मुख्य लक्ष्य बताया।

1984 के चुनाव में सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली
भाजपा ने 1980 के बाद से अपना विस्तार शुरू कर दिया। इसी साल के दिसंबर में मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में बीजेपी का पहला अधिवेशन बुलाया गया। 50 हजार लोग आए। पूर्व विदेश मंत्री एम.सी छागला मंच पर आए। उन्होंने बोलते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है मेरे बगल बैठे अटल बिहारी वाजपेयी आने वाले समय में इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।" इस लाइन के बाद वहां जोरदार तालियां बजी।

  • अटल बिहारी उठे और बोल पड़े- कमल खिलेगा

1984 में पार्टी पहला चुनाव लड़ने उतरी। उस वक्त अयोध्या मुद्दा गरमाया था। हिन्दूवादी संघटनों ने बिहार के सीतामढ़ी से अयोध्या होते हुए दिल्ली तक राम-जानकी यात्रा निकाली थी। इस यात्रा में बीजेपी का कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ था लेकिन उनके समर्थक बड़ी संख्या में इसमें शामिल हुए थे। 31 अक्टूबर को यह यात्रा दिल्ली पहुंचती और बड़ा कार्यक्रम होता, लेकिन उसी दिन सुबह पीएम इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई।इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश का पूरा माहौल बदल गया। दिसंबर में चुनाव हुआ। कांग्रेस को रिकॉर्ड 404 सीटें मिली। जनता पार्टी को मात्र 10 और बीजेपी को अपने पहले चुनाव में सिर्फ 2 सीटें मिली थीं। ये सीट आंध्र प्रदेश की नांदयाल और गुजरात की मेहसाणा थी। खुद अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर सीट पर माधव राव सिंधिया से चुनाव हार गए थे।

इस हार पर बीजेपी के महासचिव लालकृष्ण आडवाणी ने कहा,"यह लोकसभा का नहीं, बल्कि शोकसभा का चुनाव था, इसलिए ऐसा परिणाम आया।"

पार्टी ने विचारधारा बदली और सीटें बढ़ने लगी
1984 की हार के कारणों को खोजने के लिए कृष्ण लाल शर्मा के नेतृत्व में कमेटी बनी। पार्टी के अंदर ही अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों पर सवाल खड़े हो रहे थे। लेकिन, जब कमेटी की रिपोर्ट आई तो उसमें तमाम लोगों के दावों को खारिज कर दिया गया। हालांकि, पार्टी को पता चल गया था कि गांधीवादी समाजवाद व नेहरूवियन साइंटिफिक टेंपरामेंट से काम नहीं चलेगा। आडवाणी अध्यक्ष बने और वह कट्टर हिन्दुत्व के जरिए पार्टी को जीवित करने में सफल हो गए।

अटल बिहारी वाजपेयी के स्पीच राइटर रहे लेखक सुधींद्र कुलकर्णी बताते हैं, अयोध्या मामले से बीजेपी को बढ़त मिलने लगी। दूसरी तरफ इंदिरा गांधी के चले जाने के बाद कांग्रेस पार्टी में लगातार गिरावट आने लगी। यही कारण है कि 1989 के आम चुनाव में बीजेपी को 85 सीट मिली। 1991 के चुनाव में यह संख्या 120 पहुंच गई। इन दो सालों के अंतर में पार्टी का वोट बैंक 11% से 20.1% पहुंच गया।

1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 161 सीटें आई। यह पहली बार था, जब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसे स्वीकार भी किया गया, लेकिन 13 दिन में ही सरकार गिर गई और अटल बिहारी वाजपेयी को पीएम पद छोड़ना पड़ा। 1998 के चुनाव में पार्टी को 182 सीटें मिली। इस बार NDA का गठन हुआ और बीजेपी ने मिलकर सरकार चलाई। 13 महीने बाद यह सरकार भी गिर गई।

1999 के चुनाव में बीजेपी ने तमाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। 270 सीटें जीती। इसमें बीजेपी की 182 सीटें थी। अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार पीएम बने। इस बार अपने कार्यकाल को पूरा किया। 2004 से 2014 तक बीजेपी सत्ता से बाहर रही। इन चुनावों में बीजेपी की तरफ से लालकृष्ण आडवाणी पीएम का चेहरा होते थे।

मोदी के चेहरे पर बीजेपी के स्वर्णिम युग की शुरुआत
2014 का चुनाव बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा। 282 सीटों को जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। 2019 के चुनाव में पार्टी को पहले से ज्यादा समर्थन मिला। 303 सीटों के साथ नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने। करीब 50% वोट मिले। इस वक्त देश के करीब 17 राज्यों में बीजेपी व बीजेपी गठबंधन की सरकार है।


    अन्य महत्वपुर्ण खबरें

     15 April 2024
    1980 में अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं को जनता पार्टी से निकाल दिया गया। वजह थी RSS की सदस्यता। जनता पार्टी का साफ कहना था कि जो…
     15 April 2024
    नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि देश में विपक्षी एकता नहीं है। इस कारण यह अपनी अधिकतर ताकत खो चुका है। कांग्रेस के संगठन में कई सारी…
     15 April 2024
    असम में सिर्फ 150 रुपए में हवाई सफर किया जा सकता है। यह देश की सबसे सस्ती फ्लाइट है। केंद्र सरकार की ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) स्कीम के…
     15 April 2024
    इलेक्शन कमीशन के अधिकारियों ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हेलिकॉप्टर की जांच की। तमिलनाडु के नीलगिरि में फ्लाइंग स्क्वॉड के अधिकारियों ने यह छानबीन की। इस छानबीन…
     15 April 2024
    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत सोमवार (15 अप्रैल) को खत्म हो रही है। वे 15 दिन से दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में…
     15 April 2024
    PM नरेंद्र मोदी आज दो राज्यों का दौरा करेंगे। पहले वह केरल में दो रैलियां करेंगे। फिर तमिलनाडु में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। सोमवार सुबह वे केरल के त्रिशूर…
     15 April 2024
    सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के 21 रिटायर्ड जजों ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्‌ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने बताया है कि कुछ लोग सोचे-समझे ढंग से दबाव बनाकर, गलत सूचनाएं…
     15 April 2024
    अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होने वाली है। इस बार यह यात्रा 19 अगस्त तक चलेगी। 2023 में 1 जुलाई से यात्रा शुरू हुई थी। इस बार यात्रा 52…
     04 April 2024
    लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच गुजरात में चौंकाने वाले सियासी घटनाक्रम चल रहे हैं। एक तरफ भाजपा कार्यकर्ता खुलकर अपने ही प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी…
    Advt.