हवाई जहाज़ों की मेंटेनेंस करने वाली सबसे बड़ी कंपनी पर आर्थिक संकट! जानिए क्या है वजह
Updated on
04-04-2024 03:55 PM
नई दिल्ली: देश के एविएशन सेक्टर में विस्तारा एयरलाइंस से भी बड़ा संकट आता दिखाई दे रहा है। अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं हुआ तो दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु ही नहीं बल्कि देश के कितने ही हवाई अड्डों पर यात्रियों को देश-विदेश की यात्रा करने के लिए समय से हवाई जहाज ही उपलब्ध नहीं हो सकेंगे। इसका कारण हवाई जहाजों की मेंटेनेंस और रिपेयर करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी एआई इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) में आर्थिक संकट आ जाना है। इस वजह से पांच हजार से ज्यादा कर्मचारियों वाली इस कंपनी के स्टाफ को सैलरी तक नहीं मिल पा रही है। AIESL में आई पैसों की कमी के मामले में कंपनी के CEO शरद अग्रवाल से जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया।
दुनिया की बड़ी कंपनियों में से एक
दूसरी तरफ, सूत्रों ने बताया कि AIESL हवाई जहाजों और हेलिकॉप्टरों की मेंटेनेंस और रिपेयर करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से भी एक है। इसके पास देशभर में सबसे ज्यादा मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल सेंटर यानी MRO हैं। एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, स्पाइसजेट, विस्तारा, इंडिगो और विदेशी एयरलाइंस में कुवैत, सिंगापुर और एतिहाद समेत अन्य एयरलाइंस इसकी सर्विस लेती हैं। सूत्रों का कहना है कि कंपनी में आर्थिक संकट आने के पीछे की सबसे बड़ी वजह कई एयरलाइंस पर अरबों रुपये का वह बकाया है जिसकी पेमेंट एयरलाइंस ने इस कंपनी को नहीं की है। इस वजह से कंपनी के पास अपने स्टाफ को सैलरी देने तक के लिए पैसे नहीं रह गए हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी तक तो कंपनी सभी एयरलाइंस के हवाई जहाजों की मेंटेनेंस कर रही है, लेकिन निकट भविष्य में अगर कंपनी ने हवाई जहाजों की मेंटेनेंस करने से हाथ खड़े कर दिए तो देशभर में बड़ी समस्या पैदा हो सकती है।
क्या बड़ा असर देखने को मिलेगा?
AIESL के दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, मद्रास, नागपुर और त्रिवेंद्रम समेत देश के कई शहरों में बड़े-बड़े MRO हैं। यहां दुनिया के सबसे बड़े यात्री प्लेन ए-380 तक की भी मेंटेनेंस करने की सुविधा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब पूरी कंपनी के तमाम कर्मचारियों को समय पर सैलरी ही ना मिली हो। बताया जाता है कि जो-जो एयरलाइंस कंपनी से अपने हवाई जहाज ठीक कराती हैं उनके पास करोड़ों रुपये के बकाया के लिए कंपनी ने कई बार लेटर भी भेजे हैं। लेकिन पैसा नहीं मिला है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जानकारी केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय तक भी पहुंच गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डर यह है कि अगर कंपनी ने हवाई जहाजों की मेंटेनेंस करने से मना कर दिया तो देश के एविएशन सेक्टर में तुरंत ही इसका गंभीर असर देखने को मिलने लगेगा।
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