• बजट पर सीएम और पूर्व सीएम की क्या है राय

भोपाल । वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के प्रस्तुत बजट को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे निराशाजनक और वादाखिलाफी से भरा बताया। वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बजट को विकसित मध्यप्रदेश 2047 के संकल्प की दिशा में एक कदम बताया। मध्य प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने आज जो बजट पेश किया है, उसमें सिर्फ बातों के बताशे बनाए गए हैं और जनहित का मुद्दा पूरी तरह सफाचट है। हद तो इस बात की है कि चुनाव के बाद दूसरा बजट पेश कर दिया गया, लेकिन चुनाव में किए गए वादे अब तक नहीं निभाए गए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बात कही। कमलनाथ ने कहा कि वर्तमान सरकार का बजट पूरी तरह से निराश करने वाला है। इससे मध्य प्रदेश के नवनिर्माण का कोई रास्ता नजर नहीं आता।

कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश की बहनें इस बात की प्रतीक्षा कर रही थीं कि बजट में उन्हें तीन हजार प्रति महीने लाडली बहना योजना में दिए जाने की घोषणा की जाएगी, लेकिन सरकार ने अपने चुनावी वादों के बारे में एक शब्द नहीं बोला। दूसरी तरफ जब से वर्तमान सरकार बनी है, तब से लाडली बहना योजना में महिलाओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है। ऐसा नहीं है कि मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ लाडली बहना योजना में हितग्राहियों की संख्या कम कर रही है, बल्कि कन्या विवाह योजना में भी 2023-24 की तुलना में 2024-25 में 77 प्रतिशत हितग्राही कम हो गए हैं। 2023-24 में जहां 59445 बेटियों को कन्या विवाह योजना में लाभार्थी बनाया गया था, वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 13490 रह गई है।

खाद, बीज, बिजली और पानी के संकट पर कोई फैसला नहीं
इसी तरह किसान भाइयों को उम्मीद थी कि बजट में गेहूं और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार 27 सौ प्रति क्विंटल और 31 सौ रुपये प्रति कुंतल करने की घोषणा की जाएगी, लेकिन इस बारे में भी वित्त मंत्री ने एक शब्द नहीं बोला। मध्य प्रदेश का किसान निरंतर खाद, बीज, बिजली और पानी के संकट से जूझता है, लेकिन इस दिशा में बजट में कोई कदम नहीं उठाया गया।

रोजगार सृजन पर नहीं हुआ काम
कमलनाथ ने कहा कि पिछले बजट में वित्त मंत्री ने प्रदेश में रोजगार सृजन का वादा किया था, लेकिन इस बजट में ऐसा कोई आंकड़ा पेश नहीं किया कि पिछले एक साल में प्रदेश में कितनी सरकारी नौकरी, कितनी निजी नौकरी और कितना रोजगार सृजित किया गया। कल सरकार द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में ही यह बात स्वीकार की गई है कि निजी क्षेत्र में 15 हजार नौकरियां कम हो गई हैं।

मेडिकल कॉलेज की प्रगति पर नहीं किया गया विचार
वित्त मंत्री ने 11 नए आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने की घोषणा की है, लेकिन यह नहीं बताया कि पिछले साल जिन मेडिकल कॉलेज को खोलने की घोषणा की गई थी, उनके विषय में अब तक क्या प्रगति हुई है। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति यह है कि पीएम श्री कॉलेज और सीएम राइज स्कूल आज तक कांग्रेस सरकारों के जमाने में बनाए गए स्कूल और कॉलेज की इमारत में चल रहे हैं। वहां योग्य शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति तक नहीं की गई है।

टैक्स घटाने की बजाय बढ़ा दिया
कमलनाथ ने कहा कि वित्त मंत्री इस बात का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार ने कोई नया टैक्स जनता पर नहीं लगाया है। सच्चाई यह है कि टैक्स लगाने का ज्यादातर मामला जीएसटी के अधीन जीएसटी काउंसिल के पास है और राज्य सरकार का उसमें कोई विशेष हस्तक्षेप नहीं है। इसी तरह प्रदेश में पहले ही पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक वैट लगता है, ऐसे में वहां टैक्स बढ़ाने की जगह घटाने के बारे में सोचा जाना चाहिए।

कर्ज को कम करने की दिशा नहीं सोच रही सरकार
बजट से स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को कम करने की दिशा में सरकार की कोई सोच नहीं है। हालत यह है कि मध्य प्रदेश सरकार के बजट का जितना आकार है, तकरीबन उतना ही कर्ज प्रदेश सरकार के ऊपर चढ़ चुका है। प्रदेश के ऊपर 4 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है। पिछली भाजपा सरकार की तरह वर्तमान सरकार भी कर्ज लेकर घी पीने की रणनीति पर काम कर रही है। कर्ज की यह रकम मध्यप्रदेश के किसान, नौजवान और महिलाओं के विकास पर नहीं बल्कि सरकारी तमाशेबाजी पर खर्च की जानी है।

जातियों के बुनियादी विकास पर नहीं हुआ कार्य
सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि बजट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और सर्व समाज के लिए किसी बुनियादी विकास की घोषणा नहीं की गई है।

सीएम ने कहा- बजट में विकसित मध्यप्रदेश 2047 का विजन
वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बजट की सराहना की। उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प को पूरा करने के लिए हमारी सरकार ने भी विकसित मध्यप्रदेश 2047 का विजन रखा है, प्रदेश का यह बजट उस संकल्प को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।

बजट 2025 पर पूर्व कृषि मंत्री एवं विधायक सचिन यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आज का बजट बिल्कुल नीरस था। इतना नीरस था कि जब सदन में वित्त मंत्री बजट पेश कर रहे थे तब मंत्री सो रहे थे। सरकार को बजट को लेकर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। कर्ज़ का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज़ लेना पड़ रहा है। वित्तीय स्थितियां पूरी तरह से चरमरा गई हैं।

महिला-बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बुधवार को उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा प्रस्तुत बजट को महिलाओं की समृद्धि का संकल्प बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 27 हजार 147 करोड़ का बजट प्रावधानित किया गया है। मंत्री भूरिया ने कहा कि 'यत्र नारियस्तू पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता' की भावना को आत्मसात करते हुए सरकार ने महिलाओं के समग्र विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का बजट गरीब कल्याण, युवा शक्ति, किसानों और नारी शक्ति पर केन्द्रित है।

मंत्री भूरिया ने कहा कि महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन, उनके स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार और परिवार के निर्णयों में उनकी भूमिका सुदृढ़ करने के लिए 'मुख्यमंत्री लाडली बहना' योजना में वर्ष 2025-26 में 18 हजार 669 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। 'लाडली लक्ष्मी' योजना में 1183 करोड़, आंगनबाड़ी सेवाएं (सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0) में 3729 करोड़ रुपये और 'विशेष पोषण आहार' योजना में 1166 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

महिला-बाल विकास मंत्री भूरिया ने कहा कि इस वर्ष बजट में आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण के लिए 350 करोड़ रुपये और पोषण अभियान (एनएनएम) में 223 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नॉन इन्स्टीट्यूशनल केयर स्पॉनसरशिप, फॉस्टर के तहत 144 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। समेकित बाल संरक्षण योजना में 124 करोड़ रुपये का प्रावधान इस वर्ष किया गया है। मंत्री भूरिया ने कहा कि इस बजट में महिलाओं और बच्चों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। सरकार का यह प्रयास न केवल सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा बल्कि प्रदेश के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

बजट पेश करने के बाद प्रेस वार्ता में वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि जितना पैसा केंद्र से आया, वही ईमानदारी से जनता पर खर्च किया है। तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा... वाली नीति पर काम किया है। यह विकास का बजट है। जनता का बजट है, जनता के लिए है। क्यूआर कोड के माध्यम से हमने बजट जनता तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था तय की है। हम रेवेन्यू के नवाचार करने के पक्ष में हैं। इस पर भी विचार कर रहे हैं कि हमारी आमदनी और कैसे बढ़े। कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहान की यह बात कही जाती है कि बजट जितने का है, उतने का कर्ज है। लेकिन मैं यह कहता हूं कि यह कर्ज नहीं है, निवेश है। पिछली बार विभागों को जितना पैसा दिया था, उतना खर्च हुआ या नहीं हुआ। यह सब चिंता करके जीरो बजटिंग पर फोकस किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि हमने जो कर्ज लिया है, उसे समय सीमा में चुका रहे हैं। विपक्ष के लोग बार-बार माथे पर गठरी लेकर कर्ज की बात करते हैं, हमें भी ठीक नहीं लगता कि उनके कार्यकाल को बार-बार याद दिलाएं। मुख्यमंत्री वे भी थे, खजाना उनका भी था लेकिन तब डेवलपमेंट नहीं होता था।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बजट को झूठ का पुलिंदा बताया। कहा कि ये सिर्फ जादुई आंकड़ों का और जुमलेबाजी का बजट है। इस बजट में प्रदेश के सभी वर्गों के लिए प्रावधान नहीं है और अगर कुछ है भी तो वो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है। मध्यप्रदेश सरकार का बजट आज पेश हो गया है। इसको लेकर मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार को घेरा है।

नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रिया के मुख्य बिंदु

  • ये कर्ज का बजट है, इससे किसी के घर का विकास नहीं होता। आज हर व्यक्ति पर 50 हजार से ज्यादा का कर्ज सरकार ने लाद दिया है। सरकार कर्ज लेकर कर्ज पटाने में लगी है।
  • वित्त मंत्री ने प्रदेश की जनता को आसमान दिखा दिया, सपने दिखा दिए, लेकिन ये सपने कब पूरे होंगे, इसका कोई स्पष्ट जवाब सरकार के पास नहीं है।
  • सरकार के बजट में आदिवासी समुदाय के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। वित्तमंत्री ने कहा कि 100 आदिवासी गांवों को सौर ऊर्जा देंगे। क्या सिर्फ 100 ही गांव सरकार को दिखाई दे रहे हैं बाकी का क्या होगा?
  • इस बजट में युवाओं की नौकरी और एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति को लेकर कोई योजना नहीं है। इसके अलावा नई भर्तियों को लेकर भी सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है।
  • राम पथगमन के लिए सिर्फ 30 करोड़ दे रहे हैं, इससे क्या होगा? भाजपा राम के नाम पर वोट तो लेना चाहती है, लेकिन उनके पथ के लिए कुछ नहीं करना चाहती।
  • सरकार कह रही है प्रदेश के अंदर भुखमरी नहीं है, जबकि हकीकत ये है कि बीमारू राज्यों की सूची में मध्यप्रदेश का स्थान दूसरे नंबर पर है। वित्त मंत्री झूठे आंकड़े क्यों दे रहे हैं।
  • वित्त मंत्री ने स्किल डेवेलपमेंट की बात की, लेकिन कितने युवाओं को इसके जरिये रोजगार मिला और नई भर्तियां कब होंगी इसकी कोई बात नहीं की।
  • लाडली बहना योजना में तीन लाख से ज्यादा महिलाओं की संख्या कम कर दी गई। साथ ही उन्हें 3000 रुपये देने की कोई बात सरकार ने नहीं की है। ये लाडली बहनों के साथ धोखा है।
  • सांची को सरकार बैकडोर से अमूल को देना चाहती है, ऐसे में प्रदेश के किसानों और दूध उत्पादन करने वालों का क्या होगा?
  • सिहंस्थ में पिछले बार घोटाला हुआ। इस बार ऐसा ना हो ये सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए और सही मायनों में धर्म और संस्कृति के लिए कुछ करना चाहिए।