भोपाल, रवीन्द्र जैन।
मध्य प्रदेश में अब मतदान समाप्त हो चुका हैं। अब हर व्यक्ति को परिणाम का इंतजार है एक-एक दिन कैसे बीत रहा है आप समझ सकते हो जिनकी राजनीति में रुचि है और जो चुनाव लड़े हैं जिन्होंने मेहनत की है वह तो करवट बदलकर एक-एक रात काट रहे हैं। आज हमारे साथ हैं नया इंडिया के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार जगदीप सिंह बैंस जिनसे हम समझने की कोशिश कर रहे हैं नतीजों के बारे में क्या राय हैं उनकी और क्या स्थिति हैं मध्यप्रदेश की।
सबसे पहला सवाल जो हमने पूछा कि ज्योतिषियों को आंकलन किस हद तक सही होता हैं । ज्योतिषिय गणना जो है बहुत सारी ज्योतिषी बहुत अच्छी तरह से निकाल लेते हैं मैंने भी देखा है कई ज्योतिषी से चुनाव में संपर्क भी किया है उन्होंने जो कहा है जो गणना उन्होेंने बताई रिजल्ट भी उसी के अनुकूल ही आए हैं लेकिन होता क्या है कि कई बार यदि आप प्रत्याशी हैं और आप उनसे पूछेंगे तो वह सच जानते हुए भी पूरी तरह सच नहीं बताते उसको घुमा देते हैं क्योंकि इसकी वजह भी है कि लोग आजकल सच को बर्दाश्त नहीं कर पाए लोगों के मन को रखने वाले निर्णय करते हैं जो लोगों को अच्छा लगे और जो लोगों को बुरा लगे वह छुपा लेते हैं। बिल्कुल सही बात है क्योंकि आजकल सच को बर्दाश्त करने की क्षमता लोगों में बहुत ज्यादा काम हो गई है। यदि आप सच बोल देंगे तो लोग आपसे बुरा मान जाएंगे हो सकता है आपसी दुश्मनी भी बना ले इस तरह का माहौल आज बना हुआ है। हम लगातार बात कर रहे हैं सट्टा बाजार में यदि फलोदी को छोड़ दिया जाए कि फलोदी राजस्थान से निकले हैं और फलोदी को लेकर लोगों ने मनगढ़ंत नाम से निकाल दिए हैं लेकिन हम दुबई के लोगों से बात करते हैं इंदौर सट्टा बाजार से बात की तो अधिकांश लोग कांग्रेस की सरकार बनते दिखाई दे रहे हैं तो यह जो सट्टा बाजार है वह कितना एक्यूरेट रहता है और सट्टा बाजार का इस चुनाव परिणाम पर आपको क्या असर दिखता है। देखिए चुनाव परिणाम पर जैसे आपने फलोदी का नाम लिया तो फलोदी को लेकर आज भी विश्वसनीयजा बनी हुई है लोग फलोदी के नाम से भले दूसरे लोग सोशल मीडिया में कर देते हो अलग इस हुए लेकिन फलोदी को लेकर लोग यह मानते हैं कि फलोदी सट्टा बाजार ने कहा है तो कुछ सही होगा कई बार सही भी हुआ है लेकिन अब तो दौर ऐसा चल गया है कि लोगों को मालूम है कि सट्टा बाजार का असर पड़ता है तो खुद ही बनाकर सोशल मीडिया में डाल देते हैं या अलग-अलग सटोरियों को मैनेज करके उस तरह से चुनाव को प्रभावित करने का काम करते हैं। तो यह तब राजनीति का एक अंग हो गया है।यह तो हो गई सटेवाली बात आपका क्या आंकलन हैं निजी तौर पर मप्र का। मेरा व्यक्तिगत आकलन यह है कि यदि हम भोपाल में किसी से भी बात करते हैं या वरिष्ठ पत्रकार हो या राजनीतिक हो विश्लेषकों से जो हम बात करते हैं तो सभी का ही कहना होता है कि बहुत ज्यादा टक्कर है। चुनाव फंसा हुआ है लेकिन जब मैं फिल्ड में गया तो मुझे फाइट ऐसी कहीं नजर नहीं आई मुझे तो यह चुनाव एक तरफा नजर आया। आप यकीन नहीं करेंगे कि इस चुनाव में बहुत सारे मुद्दे हैं आप बीजेपी से बात करेंगे भाजपा के लोगों से बात करेंगे कार्यकर्ताओं से बात करेंगे उनके प्रत्याशियों से बात करेंगे तो उनको केवल यह खास है लाडली बहन का जबकि गांव में इस लाडली बहन का मुश्किल सिर्फ 20% प्रभाव रहेगा लाडली बहन इस चुनाव को प्रभावित नहीं कर सकती। मैं आपको एक एग्जांपल बता रहा हूं मैं सुरखी विधानसभा में पहुंचा। वहां एक जगह हम रूक गए वहां पूछा एक भाजपा नेता थे उनसे पूछा उनके साथ कहीं महिलाएं भी थी हमने पूछा तो उस नेता ने यह बताया कि यह 3000 वाली है। आप यकीन नहीं मानेंगे उसमें से एक साथ सारी महिलाएं बिना रिएक्शन के तुरंत बोल पड़ी क्यों खरीद लिया क्या। अब इसको आप क्या मानेंगे। तो यह माहौल है तो आप बताइए कि कितना प्रभाव पड़ेगा इस चुनाव में। लाडली बहन एक इशू था लेकिन वह इशू इतना प्रभावित अभी नहीं दिखा मुझे। वह इशू मुझे कैसा दिख रहा है कि आपको याद होगा 2003 का इलेक्शन उस समय दिग्विजय सिंह पूरी तरह से कॉन्फिडेंट थे क्यों थे क्योंकि उन्होंने एससी एसटी को खूब पट्टे बांटे थे। सोशल इंजीनियरिंग की थी उनको इतना आत्मविश्वास था कि हम चुनाव हार ही नहीं सकते। मैनेजमेंट उन्हें पूरा किया था कि चुनाव विकास से नहीं मैनेजमेंट से ठीक उसी तरह से जैसे वह इशू था एससी एसटी के पटृटों का वह आज लाडली बहन का है। सरकार इसलिए कॉन्फिडेंट है कि सरकार ने 1250 रुपए दिए हैं उनको फोन लगाया गया उनसे बोला गया है चुनाव से पहले महिलाओं को की आपको भाजपा को वोट देना है तो कई महिलाओं ने तो उनको सुनाया है उल्टा क्या आपने खरीद लिया क्या मुझे तो से 2003 में जो हालात थे आज बिल्कुल वही हालत है। बल्कि मैं कहूंगा कि उससे ज्यादा एक तरफा चुनाव मुझे नजर आ रहा है इतना सारा इशू है यहां पर आप सोचिए कि 20 साल होने को आ गए 15 महीने की सरकार आप छोड़ दीजिए तो 20 साल में केवल एक इशू बताने के लिए है की लाडली बहन उसके अलावा बता दीजिए कि भाजपा ने कौन सा इशू उठाया। यहां पर पहले की दूसरी चीज आज भाजपा आई के माने मध्य प्रदेश के चुनाव को मोदी की फेस पर करने की कोशिश की की एमपी के मन में मोदी। लेकिन वह इशू कहीं नजर तो आया नहीं मुझे जब हमने लोगों से बात की तो उनका यह कहना था कि मोदी जी का इशू हम लोकसभा में देखेंगे। एक तो मोदी जी का फेस जो बनाना चाह रहे थे वह नहीं बना। दूसरा भारतीय जनता पार्टी के पास कोई फेस ही नहीं था पिछले साल बहुत सारी सीटें शिवराज सिंह चौहान जी के नाम पर मिली थी। महिलाओं ने दी थी शिवराज जी का क्रेज महिलाओं में था है और आज भी है। लेकिन इस बार शिवराज जी चेहरा नहीं है सबको मालूम है
शिवराज जी सीएम नहीं बनेंगेे तो वोट कैसे दें। यदि मध्य प्रदेश में शिवराज जी को सीएम घोषित किया जाता था क्या माहौल बदल सकता था। बिल्कुल बदल सकता था यदि सीएम शिवराज जी के नाम पर इलेक्शन होता तो भाजपा फिर से रिपीट होती रिपीट हो सकती थी क्योंकि शिवराज जी को लेकर मध्य प्रदेश की महिलाओं में आज भी क्रेज है लेकिन प्रत्याशियों के लिए नहीं है। प्रत्याशियों को लेकर मतदाताओं का यह कहना है कि भाई हमको वोट किसको देंगे फेस तो कोई नहीं है। केवल प्रत्याशी है। सीएम फेस तो कोई नहीं है सभी कोई अपने अपने इलाके में सीएम बन रहे हैं चाहे नरेंद्र सिंह तोमर जी हो या प्रहलाद जी हो चाहे कैलाश जी हो सभी लोग अपने क्षेत्र के सीएम बन रहे हैं। एक साथ आठ बड़े नेता उतार के एक कन्फ्यूजन का माहौल बना दिया बीजेपी यह चुनाव में पूरी तरह से कंफ्यूज थी। आज हर विधानसभा सीट में बीजेपी में बिखराव था कांग्रेस जमीनी तौर पर पूरी तरह एक जुट थी। इस चुनाव में बिल्कुल इसलिए आप जब रिजल्ट आएंगे तो आप देखेगा जो लोग कह रहे हैं कि मार्जिन बहुत कम होगा मार्जिन बहुत ज्यादा होगा कि कांग्रेस एकजुट से बीजेपी बिखरी हुई थी। चुनाव एक तरफ है तो फिर 120 की बात क्यों की जा रही है कांग्रेस के ऊपर 150 मिलना चाहिए बिल्कुल मिलेगी आप कल्पना करिए आप देखिएगा की 140 प्लस होगी कांग्रेस। अब एक अंदाजा यही लगाईए कि सागर में कितनी सीट है आपके पास बीजेपी के पास केवल दो सीट आती हुई दिख रही है मुझे एक भूपेंद्र सिंह वाली और एक भार्गव जी वाली बाकी सीटों में बाकी सीटों में तो कांग्रेस नंबर एक है। आप कटनी जिले की बात कर रहे हैं तो कटनी जिले में चारों सीटों में कांग्रेस आ रही है वहां कांग्रेस आगे है तो यह पोजीशन है। आप जबलपुर की बात कर लीजिए तो जबलपुर में पनागर को छोड़ दीजिए और केंट को छोड़ दीजिए बाकी चार सीट कांग्रेस को मिल रही है। इस बार पिछली बार की कमान शिवराज सिंह चौहान जी के हाथ में थी तो उन्होंने मैनेज किया इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का संगठन की भूमिका कैसी रही और शिवराज जी की दोनों को थोड़ा डिफाइन करने की कोशिश करूंगा आपके माध्यम से की पहले आप यह बताएं कि संगठन की भूमिका क्योंकि हमने यह देखा कि भारतीय जनता पार्टी के पुराने और अनुभव भी नेताओं को इस बार घर बैठा दिया चाहे वह रघुनंदन जी हो मोघे जी मेघराज जैन होे या उमा भारती हो ऐसी एक लंबी फेहरिस्त है जो लोग बिल्कुल इस चुनाव में दूर-दूर तक नजर नहीं आए तो और दूसरा संगठन बिखरा हुआ था तो वास्तव में संगठन की क्या भूमिका थी। भारतीय जनता पार्टी का जो संगठन है प्रदेश संगठन ने उसकी इस चुनाव में कोई भूमिका कहीं किसी भी क्षेत्र में नजर नहीं आई एक तो जो प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा जी उनका प्रभाव शून्य है उनके प्रभाव से आप एक सीट विधानसभा की नहीं जीत सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी में जो मूल प्रभाव है पूरे प्रदेश में वह शिवराज सिंह चौहान का शिवराज सिंह चौहान शिवराज जी को दिल्ली वालों ने पूरी तरह से बांधकर रख दिया। लेकिन बाद में तो शिवराज जी के लिए पत्र निकाला गया उनकी तारीफ की गई एवं यह भी एवं उनके कहने पर पूरा टिकट वितरण जो हुआ है उसे शिवराज जी ने मतलब पहले और दूसरी सूची पर मैं बोल सकता हूं कि केंद्र ने अपने अपनी बात चलाई है पहली सूची नहीं दूसरी भी मान सकते हैं 39 जो सांसद तो वो आए थे लेकिन उसके बाद तो सारे मंत्रियों को टिकट दिलाने से एक तरफा शिवराज जी की चली थी। नहीं तो चली क्या थी भारतीय जनता पार्टी के पास कोई विकल्प नहीं था मजबूरी थी क्योंकि एक तो वैसे कंडीशन बहुत खराब है। दूसरी यदि टिकट बदलते तो वैसे भी और ज्यादा खराब हो जाती तो सारी चीजों को आपके पास कोई विकल्प ही नहीं था। पहली सूची के बाद जिस तरह से पार्टी में विद्रोह हुआ तो मुझे तो लगता है कि हाई कमान उससे डर गया और फिर पूरी की पूरी सूची पुरानी रिपीट कर दी जबकि कांग्रेस में आप देखिए तो मैंने देखा एक-एक सीट को कांग्रेस की 190 सीट ऐसी है जो कांग्रेस ने सर्वे के आधार पर दिए और वही 190 जो सीट है वह कांग्रेस को रिजल्ट लाकर देगी। नए-नए लोगों को टिकट दिया लोग कह रहे थे ना कि झगड़ा है आपस में वह होगा 40 सीटों में होगा 45 सीट में होगा लेकिन 190 सीट कांग्रेस ने इस पर बहुत अच्छी थी पहले थी दूसरी चीज पूरे 5 साल कमलनाथ जी ने मेहनत के लिए मैनेजमेंट किया और संगठन को खड़ा किया ब्लॉक स्तर पर। मंडल स्तर पर। गांव स्तर पर। संगठन था इस बार कांग्रेस का और कमलनाथ जी की छवि है इस चुनाव में लोगों की डिमांड थी कि आप कमलनाथ जी को बुलाए कमलनाथ जी मतलब लोग चाह रहे थे कि मेरी विधानसभा में कमलनाथ जी की एक सभा हो मैंने देखा उनके प्रभाव लोगों को बहुत उम्मीद थी पहले थी दूसरी चीज जिस तरह से सरकार गिराई गई उसे वह मुद्दा भी लोगों के बीच में है और मैं आपको बताऊं आज लाडली बहन का प्रभाव नहीं होगा किसी योजना का नहीं हो सकता क्योंकि मतदाताओं ने 3 महीने पहले अपना मन बना लिया था। वह बदल नहीं सकता। पहली चीज दूसरी चीज इस बार वह बदल नहीं सकता पहली चीज दूसरी चीज इस बार पैसे का आकर्षण पूरी तरह से समाप्त था।
चुनाव के पहले बहुत बंटा है भैया। हमें जो सूचना है एक-एक सीट पर पांच पांच करोड रुपए लिफाफे बंटे हैं। चुनाव के पहले हर विधानसभा में पैसा पहुंचाया गया उसे बांटने का काम बीजेपी के संगठन ने नहीं किया संघ के लोगों ने किया पैसे बांटने आरोप लगा रहे हैं एक व्यक्तिगत किसी के संबंध होंगे वह संघ से सहयोग से जुड़े होंगे संघ में व्यक्तिगत तौर पर कुछ नहीं करता। लेकिन जहां बंटा है वहां संघ के लोगों ने बांटा है वह जो मैंने देखा है। बातचीत में छूट न जाए मैं यह जानना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश में अधिकांश मंत्रियों को टिकट दे दिया था अब इन मंत्रियों का क्या भविष्य है आपको कितने मंत्री इस बार विधानसभा में दिखेंगे जो अभी तक मंत्री थे जरूरी नहीं है कि मंत्री बनकर दिखेंगे पर विधायक के रूप में और कितने मंत्री चुनाव इस बार हार जाएंगे। नरोत्तम मिश्रा जी, गोविंद राजपूत जी बहुत सारे ऐसे मंत्री हैं जिनकी सीट बहुत खतरे में है। मेरे को फीडबैक है उसके अकॉर्डिंग बता रहा हूं वहां का जो फीडबैक यह है कि नरोत्तम मिश्रा जी चुनाव नहीं जीत पाएंगे बहुत ज्यादा पीछे हो गए वहां का जो फीडबैक है जो फीडबैक के आधार पर आपको लगता है 5—10 कितने मंत्री चुनाव हार रहे मुझे तो जीतने वालों को देखना है कि कितने जीत रहे हैं वह भी आप गिन सकते हैं उंगली में जीतने वाले नंबर एक भारतीय जनता पार्टी की मैं सीट की बात करूं कि तो वह सीट जो मुझे दिख रही है जो फीडबैक है तो आप देख लीजिए बूदनी उसमें कोई इशू नहीं है जो हंड्रेड परसेंट बहुत अच्छे मतों से जीतेंगे गोपाल भार्गव जी जीतेंगे भोपाल के लिए लीजिए तो हुजूर है आपकी गोविंदपुरा है यह सीट निकली हुई है। जबलपुर की कैंट सीट है कुछ भी हो सकता है। उस सीट पर इस बार का जो माहौल है आप पता कर लीजिए जो फीडबैक है उसी टाइम नहीं रहेगी। भोपाल की 2 सीट अप क्लियर मानी है बीजेपी के बिल्कुल फंसी हुई है। इसी तरह जबलपुर की दो सीट है मान लीजिए कैंट की जो सीट है रोहानी जी वाली वह तो क्लियर है उसमें कोई चांस नहीं है कभी कोई चर्चा नहीं है। पनागर की सीट भी मजबूती स्थिति में है। प्रभुराम की स्थिति अच्छी है कि बिल्कुल आप बोल सकते हैं की जीत रहे इस बार। इसलिए तो कह रहा हूं कि इस चुनाव को आप टक्कर का मत मानिए इस चुनाव को आप एक तरफा देखेंगे करीब 10 निर्दलीय आएंगे जीत के। जो हमारे पास सूचना है जो फीडबैक तो आप देखिए मैहर में नारायण त्रिपाठी की सब नंबर एक पर है आपकी बुरहानपुर में नंदू भैया के बेटे हैं निर्दलीय वह है आलोट से प्रेमचंद गुड्डू नंबर एक पर चल रहे हैं वहां का जो सर्वे है और सारी चीज फीडबैक है तो ऐसे आप अच्छी तो तीन-चार तो निर्दलीय हो गए बाकी जो अन्य पार्टी के हैं उनकी संख्या 10 तक जाएगी तो यह चुनाव को आप मान लीजिए ऐसा तो नहीं है जो अन्य जीत के आएंगे वहीं सरकार बनाएं अभी ऐसा तो लग नहीं रहा है। क्योंकि कांग्रेस को बहुत ज्यादा सीट जो फीडबैक है उसके आधार पर मिलता दिख रहा है। मान लीजिए कांग्रेस को बहुमत मिल गया कमलनाथ जी ने शपथ ले ली और सरकार भी बन गई तो इस बात की क्या गारंटी है कि भारतीय जनता पार्टी फिर से दबाव डाल के ईडी, सीबीआई से इनकम टैक्स से फिर से सरकार को नहीं गिराएगी। रवीन्द्र जी कोई भी दांव एक बार ही चलता है दूसरी बार अगला खिलाड़ी और दावों के लिए धोखे में होता है लोगों को उम्मीद नहीं होती कि ऐसा हो जाएगा इसलिए धोखे में हो जाता है। लेकिन एक बार कहते हैं ना कि दूध का जला जो होता है तो छाछ को भी फूंक कर पीता है तो इस बार मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसी गड़बड़ी होगी। मुझे लगता है कि मध्य प्रदेश के लोग यह देखना चाहते हैं कि 5 साल में इनको भी देखना चाहते हैं अगर हमने 20 साल इनको देखा है तो 5 साल हम इनको भी देखते हैं तो बदलाव का लहर तो है पूरे स्टेट में इसमें कोई डाउट नहीं है इसलिए मुझे नहीं लगता कि अपन यह कहे की टक्कर वाला चुनाव है। मुझे तो नहीं लगता है कि इस बार फ्री बीज की बात और बहुत हो रही है यानी कि हम रेवड़ियां चुनाव में दोनों दलों ने जिस तरह से घोषणा की है एक ने संकल्प पत्र जारी किया है एक वचन पत्र दिया है इन वचन और संकल्पों को पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश के बजट को दुगना करना पड़ेगा आज हम लगभग तीन सवा तीन लाख करोड़ का बजट है जिस तरह की घोषणा कमलनाथ जी ने की है और जिस तरह की घोषणा भारतीय जनता पार्टी ने की है उन घोषनों को क्या वास्तव में पूरा कर पाएंगे चुनाव के बाद और नहीं कर पाएंगे तो फिर जनता कितनी इनके ऊपर नाराज होगी। देखिए घोषणाओं को लेकर आम जनता तो यह कहती है कि यह सारी चीज लेकिन राजनीतिक दलों की मजबूरी है जब एक दल करता है तो दूसरे को करना मजबूरी हो जाती कितनी पूरी होगी नहीं होगी यह तो समय बताएगा लेकिन आप यह पांच महीने बाद विधानसभा लोकसभा चुनाव आ रहा है उसमें पब्लिक बदला ले लेगी नहीं तो 5 महीने में तो संभव नहीं है कुछ योजनाओं की शुरुआत हो सकती है आप यह सोचें कि जो योजनाएं 5 साल के लिए गारंटी हैं वह 5 महीने में पूरी हो जाए कैसे संभव है लेकिन कुछ योजना की शुरुआत हो सकती है ताकि जनता में मैसेज जाए कि हां शुरुआत हो गई है। मैं 8 महीने से लगातार इंटरव्यू कर रहा हूं मुझे ऐसा एक भी पत्रकार नहीं मिला जो इतना खुलकर बोलते हो जितना आप आपका बिल्कुल स्पष्ट मानना है कि मध्य प्रदेश में सरकार बदल रही है कमलनाथ जी सीएम बन रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी की अब दोबारा हिम्मत भी नहीं होगी के द्वारा सरकार को गिराने की वह हिम्मत कर सके बिल्कुल सही बात है मैं अपने मन से तो नहीं बोल रहा हूं ना क्योंकि मैं क्षेत्र में गया हूं जो मैंने माहौल देखा हैजो मैंने वहां देखा है जो फीडबैक मिला है उसी के आधार पर तो बोल सकते हैं कोई ऐसा तो नहीं है कि अपन कोई भविष्यवक्ता है तो भविष्य वाणी कर दी तो हो जाएगा कोई ज्योतिषि हो तो गणना करके बता दिया लेकिन क्योंकि अपने क्षेत्र घुमा है लोगों से मिले हैं बहुत सारे हजारों आदमियों से अपने बात की है मतदाताओं से बात की है नेताओं से तो कोई बात नहीं की फीडबैक तो हम जनता से मिलता है ग्रामीणों से मिलता है उन लाडली बहन से मिलता है जो जिनका 1250 रुपए मिल रहे हैं तो अगर 1250 लेने वाली महिला बोल रही है कि हम बदलाव चाहते हैं तो आप क्या मानेंगे तो जो फीडबैक मिला है मैं उसके आधार पर बोल रहा हूं। अपने पूरे मध्य प्रदेश की तस्वीर बिल्कुल साफ कर दी आज शब्दों में कोई घुमाव नहीं कोई लाग लपेट नहीं। मैं यह जानना चाहता हूं कि 6 महीने बाद चुनाव होंगे लोकसभा के हमने देखा कि विधानसभा में पब्लिक का रूप अलग रहता है और लोकसभा में अलग रहता है इस बार आपको क्या दिख रहा है क्योंकि इस बार मोदी जी की लोकप्रियता उसे तरह की नहीं है जो पिछले चुनाव में हमें दिखाई थी तो आपको लगता है कि लोकसभा में मध्य प्रदेश किस ओर जाता दिखाई दे रहा है आपको जो माहौल मोदी जी को लेकर 19 में था आज 23 में नहीं है यह बात सही है। लेकिन एकदम से बदल गया हो वैसा भी नहीं बहुत से लोग हमको मिले जो केंद्र में मोदी जी को देखना चाहते तो बहुत से लोग हैं बदलाव होगा थोड़ी बहुत अंतर तो पड़ता है लेकिन वह मोदी जी की इसी पर जब बात होती है तो लोगों का कहना होता हम लोकसभा में देखेंगे तब हम तय करेंगे की हमको करना क्या इस बार मोदी जी की लोकप्रियता उस तरह की नहीं है जो पिछले चुनाव में हमें दिखाई थी तो आपको लगता है कि लोकसभा में मध्य प्रदेश किस ओर ज्यादा दिखाई दे रहा है आपको
देखिए आप जो माहौल मोदी जी को लेकर 19 में था आज 23 में नहीं है यह बात सही है लेकिन एकदम से बदल गया हो वैसा भी नहीं है बहुत से लोग हमको मिले जो केंद्र में मोदी जी को देखना चाहते तो बहुत से लोग हैं बदलाव होगा थोड़ी बहुत अंतर तो पड़ता है लेकिन वह मोदी जी की इसी पर जब बात होती है तो लोगों के कहना होता है हम लोकसभा में देखेंगे तब हम तय करेंगे कि हमको करना क्या है लेकिन जो बीजेपी ने कोशिश की थी पार्टी हाई कमान ने कोशिश की थी कि मध्यप्रदेश के चुनाव को एमपी के मन में मोदी है आपने देखा भी होगा या वह चला नहीं कहीं पर भी क्योंकि लोगों ने साफ कह दिया कि मोदी जी का मामला है हम लोकसभा में तय करेंगे तो विधानसभा इलेक्शन होने के बाद सरकार बनने के बाद उसके बाद जब आप गांव में जाएंगे तो उस समय आपको सही स्थिति वहां की पता चलेगी। आपने देखा अपने तमाम पत्रकारों के इंटरव्यू देखे होंगे उनकी बातें सुनी होगी लेकिन आज पहली बार आपको जगदीश सिंह बैंस बगैर किसी लाग लपेट के बगैर कोई मिक्सर के सीधा आपके सामने रखा है जो उन्होंने अपनी आंखों से देखा जो कानों से सुना वो सीधा आपके सामने रख दिया। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में इस समय अंडर करंट नहीं ओवर करंट था जिस तरह का माहौल देखा है वह कोई लाग लपेट नहीं की एक तरफा माहौल है और जब परिणाम आएंगे तो आप सब चौंक जाएंगे कांग्रेस को कितना बड़ा बहुमत मिलने वाला है।
Bhopal 20/11/2023