info@sabkikhabar.com +91 9425401800
Breaking News - - ★★ उत्तरकाशी आ रही ड्रिलिंग मशीन ऋषिकेश में खाई में गिरी:वर्टिकल ड्रिलिंग की 1 मशीन पहुंची, टनल में 9 दिन से फंसे 41 लोग      ★★ छठ पूजा कर लौट रहे परिवार पर फायरिंग, लखीसराय में 3 की मौत, वैशाली में भी भारी बवाल      ★★ करतारपुर गुरुद्वारा परिसर में हुई नॉनवेज पार्टी, छलके जाम! पाकिस्तान की हरकत से सिख समुदाय में रोष      ★★ संघर्ष विराम पर चर्चा को तैयार हुआ हमास।     
...

भोपाल, सबकी खबर।
राजधानी भोपाल में एक वरिष्ठ पत्रकार को अपना न्याय पाने के लिए कीतना इंतजार करना पड सकता है इसकी बानगी अगर देखनी हो तो आप देख सकते हैं राष्टीय हिंदी मेल के प्रधान संपादक विजय कुमार दास की एक नौकरशाह की लडाई से अपने कलम ओर पत्रकारिता के बूते एक नौकरशाह के घपलों और घोटालों को छापने की सजा उस कथित नौकरशाह ने पत्रकार के अखबार की बिजली रातों रात काट दी लेकिन पत्रकार विजय कुमार दास के बुलंद हौंसलों और अपने कलम की निष्पक्षता की दाद देनी होगी श्री दास ने हार न मानते हुए इस लडाई को हाईकोर्ट तक ले गए अंधेरे में भी अखबार का प्रकाशन इन ढाई साल में निरंतर होता रहा हैं यह सबसे बडी बात हैं मंगलवार के दिन करीब ढाई सालों बाद अखबार के दफतर में खुशियां और कलम की जीत का उल्लास देखा गया। अपने हक और न्याय की लडाई लडने वालों के साथ अक्सर खडे होने वाले 
सबकी खबर के प्रधान संपादक वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र् जैन ने श्री दास के दफतर की तरफ कूच किया और विजय कुमार दास को बधाई देते हुए इस नौकरशाह बनाम पत्रकार वाली लडाई के संदर्भ में विस्तार से चर्चा भी की। 

आखिर यह क्या हुआ जो ढाई साल तक आपको इतना बड़े कष्ट से जूझना पड़ा और एक नौकरशाह जो आपने पिछली बार बताया एक नौकरशाह की हठधर्मिता के कारण से इस समाचार पत्र को इतने कष्ट से गुजरना पड़ा।
पहले तो मैं आपको रविंद्र जी धन्यवाद देता हूंकि हमारा यह जो ढाई साल गुजरा है इस ढाई साल में आप जैसे वरिष्ठ पत्रकार का सहयोग समर्थन और संबल यह हमारी सबसे बड़ी ताकत रही है जिसकी वजह से हम दो ढाई साल तक जनरेटर से अखबार निकालने में सफल हुए अब आप सवाल पूछ रहे हैं कि हम जनरेटर से अखबार निकले और यह ढाई साल का समय हमारा कैसे और किस कारण से गुजरा और किस-किस की वजह से यह तकलीफ हमें उठानी पड़ी तो मैं आपको बता देना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे हमने उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ खबरें लगाई और वह भ्रष्टाचार प्रमाणित भी हुए लेकिन उसको ढंकने के लिए इन्होंने एक मीडिया इंटरप्राइज समाचार पत्र के प्रशासन को रोकने के लिए साजिश की और उस साजिश के तहत उन्होंने रातों-रात 24 25 लाख का बिजली का बिल भेज दिया और बिजली काट दी लेकिन जब हमने यह देखा कि यह बिजली का बिल अवैध है और अवैध बिजली के ​​बिल के आधार पर इन्होंने बिजली काटी है तब हमने इस लड़ाई को लड़ने का फैसला किया ताकि लोगों की मीडिया के अन्य दोस्तों की सबकी आंख खुले और उनको समझ में आए कि यदि कोई भी काम कोई भी नौकरशाह कितना भी बड़ा हो यदि गलत तरीके से करेगा षड्यंत्र करेगा और उसका परिणाम उसको भुगतना ही होगा और सच की हमेशा जीत होगी तो मुझे लगता है कि हमने सत्य की जीत हुई हमारी यह पत्रकारिता की महा विजय है। पत्रकार दोस्तों के लिए भी बहुत बड़ी सीख है कि हमने उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ जब खबर छापी और तब हमको यह कष्ट भोगना पड़ा। अब आप इस समय में आप देखिए यह जो 2 साल का समय गुजरा इसमें अखबार नियमित कैसे निकाला और किस तरीके से निकाला उसके पीछे हम यह कहना चाहते हैं की सबसे पहले तो हमारा परिवार है।हमारी पत्नी हमारे बच्चे हैं। हमारे आप जैसे दोस्त हैं जिन लोगों ने यह साहस या की किसी भी कीमत पर अखबार बंद नहीं होना चाहिए। हमारी श्रीमती हमारे परिवार में कहा कि यदि मकान बिकता है तो बेच दो जेवर बेच दो। 
उस अधिकारी का क्या होगा जिस अधिकारी ने आपको ढाई साल लगातार परेशान किया। 
मैं आपको बताऊंगा जस्टिस विवेक अग्रवाल साहब ने और हमारे वकील वरुण तनखा साहब ने इसमें अहम भूमिका निभाई। इस बिजली काटने की प्रक्रिया को यह प्रमाणित किया की अवैध तरीके से काटी गई है और संविधान की धारा के अनुसार किसी भी पत्रकारिता के संस्थान को अवैध बिजली के बिल के आधार पर नहीं काटा जा सकता यह उन्होंने प्रमाणित किया और जस्टिस विवेक अग्रवाल साहब ने यहां तक कहा कि सबको सजा मिलनी चाहिए जो इसके लिए दोषी है और उन्होंने बताया था एक आदेश जारी किया कि कंज्यूमर कोर्ट ने जो आदेश दिया है उस कंज्यूमर कोर्ट के आदेश का अक्षरक्ष् पालन किया जाए अब कंज्यूमर कोर्ट ने जो आदेश दिया था वह आया था कि जो बिजली का बिल इन्होंने भेजा है वह पूरी तरह अवैध है नियमों के खिलाफ उसे निरस्त किया जाता है और इस दौरान राष्ट्रीय हिंदी मेल से जनवरी 2019 से 2021 तक जब तक जब बिजली काटी गई थी तब तक के पीरियड में जितना भी पैसा इनसे वसूला गया वापस किया जाए या समायोजित किया जाए लेकिन हाई कोर्ट में इनको मुंह की खानी पड़ी। जस्टिस विवेक अग्रवाल साहब ने जो न्याय दिया है वह न भूतों का भविष्यति कभी हो नहीं सकता।
 एक बहुत सीधा सवाल है मेरा की जो नुकसान हुआ जो मानसिक संताप अपने झेला इतने दिनों तक जो आर्थिक नुकसान अपने झेला है इसे लेकर क्या आप उस नौकरशाह के खिलाफ परिवारवाद लगाएंगे कोर्ट में क्या न्याय मांगेंगे। क्योंकि सीधा-सीधा पूरे मामले में दिख रहा है कि नौकरशाह की जिद के वजह से आपको ढाई साल तक न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक परेशानी भी झेलनी पड़ी है। 
जी मैं आपको बता देना चाहता हूं रविंद्र जी मैं हाई कोर्ट के आदेश के बाद और उसके पहले भी माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को चिट्ठी लिखी थी और उस चिट्ठी को माननीय प्रधानमंत्री ने संज्ञान में लिया संज्ञान में लेकर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को पत्र लिखा और आदेश दिया था कि संजय दुबे के खिलाफ कार्रवाई करके उनको सूचित किया जाए यदि प्रधानमंत्री के कार्यालय से आया हुआ आदेश इन लोगों ने दबाया है तो उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी जहां तक सवाल है हमारे नुकसान का मानसिक प्रताड़ना का व्यापार में आर्थिक हानि का जितना भी लॉस हुआ जितना भी नुकसान हुआ है उसके लिए हम फिर से कोर्ट में जाएंगे और कोर्ट में जाकर हम यह कहेंगे यह नुकसान जो हुआ है हमको यह व्यक्तिगत नुकसान की वसूली जो है व्यक्तिगत रूप से संजय दुबे की प्रॉपर्टी को बेच के वसूल कर दिया जाए। हम यह नहीं चाहेंगे कि सरकार हमें दे हम तो यह चाहेंगे इसके लिए जो दोषी है जो अधिकारी दोषी इसमें मुख्य सचिव भी दोषी क्योंकि मुख्य सचिव ने मुझसे कहा था कि मैं संजय दुबे को निर्देश दिए कि आपकी बिजली जोड़ी जाए लेकिन उन्होंने  मुख्य सचिव का आदेश नहीं माना और मुख्य सचिव ने कोई कार्रवाई नहीं कि इसका मतलब मुख्य सचिव तो इसकी वसूली के लिए नुकसान की और जो हमें मानसिक प्रताड़ना हुई है उसके डेफिनेशन के लिए जब हम लगाएंगे तो सबको कैलकुलेट करते हुए हम सिविल सूट लगाएंगे और इसमें संजय दुबे और गणेश शंकर मिश्रा जो इस मद है जो बहुत ही एरोगेंट है और अपने आप को दुनिया का सबसे ईमानदार कहते हैं और ​अलिराजपुर जिला न्यायालय ने उनके खिलाफ वारंट तक जारी किया था उसे केस में जब आदिवासियों के 600 करोड़ की घोटाले हुए थे। हालांकि जमानत में उनको बेल मिली हुई है उसकी जांच चल रही है लेकिन हमें उससे कोई मतलब नहीं हमारा मतलब तो इस बात से कि हमारा जो नुकसान है उसके लिए तीनों जिम्मेदार है उस नुकसान को भरने के लिए इनको तैयार रहना पड़ेगा। 3 साल बाद आप इस दफ्तर में दिवाली बना रहे हैं पूरे परिवार में खुशी है और इस खुशी में हम भी आपके शामिल साथ शामिल है।

Bhopal   14/11/2023