info@sabkikhabar.com +91 9425401800
Breaking News - - ★★ उत्तरकाशी आ रही ड्रिलिंग मशीन ऋषिकेश में खाई में गिरी:वर्टिकल ड्रिलिंग की 1 मशीन पहुंची, टनल में 9 दिन से फंसे 41 लोग      ★★ छठ पूजा कर लौट रहे परिवार पर फायरिंग, लखीसराय में 3 की मौत, वैशाली में भी भारी बवाल      ★★ करतारपुर गुरुद्वारा परिसर में हुई नॉनवेज पार्टी, छलके जाम! पाकिस्तान की हरकत से सिख समुदाय में रोष      ★★ संघर्ष विराम पर चर्चा को तैयार हुआ हमास।     
...

भोपाल, रवीन्द्र जैन।
इस विधानसभा चुनाव में पांच सीटें ऐसी हैं जहाँ निकट रिश्तेदार सामने खड़े हैं। भाई भाई के खिलाफ़ लड़ रहा है। चाचा भतीजे के खिलाफ़ लड़ रहा है बहु जेठ के खिलाफ़ लड़ रही है और भोपाल भी। इसी में भोपाल उत्तर में जो यहाँ लंबे समय से विधायक रहे आरिफ अकील साहब उनके भाई हैं आमिर अकिल।
यहां आपको यह बताते चलें कि आमिर अकिल वो शख्सियत हैं जिन्होंने अपने भाई के बीहाफ पर इस पूरे विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया है। खुद आरीफ भाई इस बात को कहते रहे हैं की मैं नाम का विधायक था। मेरा सारा काम तो मेरा भाई देखा करता था, लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी हुई कि परिवार में सगे चाचा खड़े हैं और कांग्रेस ने टिकट दिया है इनके सगे भतीजे को। आमिर भाई आखिर ऐसी क्या परिस्थिति आई की आपको अपने भतीजे के खिलाफ़ चुनाव लड़ना पड़ रहा है? 
ऐसा हैं रवीन्द्र भाई आप मुझे पिछले 30 सालों से जानते हैं सबसे पहले तो मैं यह आपको बता दूं कि चुनाव मैं नही लड रहा हूं जनता मुझे लडवा रही है। और कमलनाथ जी ने जो सर्वे कराया था उसके अंदर मेरा नाम भी था
सभी मीडिया वालों ने भी यह खबर चलाई थी और कमलनाथ जी का साफ कहना था कि जिसका सर्वे में नाम आएगा टिकट उसको ही दिया जाएगा। अब तो कमलनाथ और खुद पार्टी के हाईकमान ही बता पाएगा कि ऐसा कौन सा दबाव आया जो पार्टी को मेरा नाम काटना पडा जबकि आरीफ भाई कही मर्तबा कह चुके हैं कि मैं नाम का विधायक का था सब कुछ मेरा भाई ही देखता था। फिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि घुटना पेट की तरफ झुक गया। 
आज भाई भाई के बीच में एक दीवार खड़ी हुई दिख रही हैं। दीवार खड़ी होने वाली बात आप बोल रहे है, ये फिर आपसे कहूंगा कि मैं खड़ा नहीं हुआ हूँ। मुझे लोगों ने खड़ा कराया जिसके हिसाब से मैं लोगों का मैं तो आप के माध्यम से कहना चाह रहा हूँ, जीतने भी कैंडिडेट हैं। भोपाल उत्तर विधानसभा के अंदर अगर वो उत्तर विधानसभा का मोहल्ले वाइज नाम बता देंगे तो ये आमिर उसी वक्त उनके समर्थन में बैठ जाएगा। लेकिन सवाल ये है की ये जो नाम दिया है आपके भतीजे का, आपके भाई ने ही नाम दिया है और शायद परिवार में उन्होंने आपको बुलाके समझाने की भी कोशिश की है? नहीं, मेरे को कोई समझाने की कोशिश नहीं कर रही आप आप ही के माध्यम आप ही का सवाल है? हिसाब सर्वे में नाम आया उनका दे दिया और आपके रहा हूँ की उनके उन्होंने प्रेशर बना के ले लिया तो ये मुझे नहीं मालूम कि उन्होंने क्या आप एक तरफ तो कह रहा है कि पार्टी का निर्णय एक तरफ ये कह रहा की मैंने पूछा है तो किस्से पूछा उसका नाम डिक्लेयर कर दें? यहाँ पर ये सवाल इस बात की है की वो तो खुद उनका बड़ा बेटा भी लड़ना चाह रहा था फिर उसको क्यों नहीं दिया? और 30 साल जिंस भाई ने आपके बेटे की तरह काम करा। आप उसको बेटा मान रहे थे, आपके सारे काम कर रहा था, फिर आपने उसके साथ अलफी क्यों करी? जब लोगों ने आप से कहा कि आमिर को लड़ाओ तो आपने क्यों नहीं लाया? क्यों आप कहाँ पे घुटना पेट की तरफ झुक गए हो? क्यों आमिर के साथ अपने ज्यादती करि हर मोर्चे में तो आमिर खेलता था। 30 साल आज आपको डोर टू डोर कन्वर्जिंग करने की क्या जरूरत पड़ रही है? 30 साल के अंदर पांच बार में आप विधायक बने तो अभी कभी आपने डोर टू डोर कन्वर्जिंग नहीं करी। वह तो ऑन कैमरा कह रहे है की मैं नाम का विधायक था। काम का विधायक तो आपको ही बता रहे हैं। जब मेरे फादर के आपके और मेरे फादर की डेथ होती है तो आप कहते हैं यह मेरा बड़ा बेटा है तो मैंने भी उसका परिपालन किया, आपको भी अपने फादर के समान समझा। आपने तो पार्षद के इलेक्शन में ये कहा था कि तुम भी टिकट मांगो ये भी मांग रहा है। जब मैंने मांगा तो आपने मना करके घुटना पेट की 15 अगस्त की रैली में आपने ऐलान कर दिया क्यों करा ऐलान? आप पहले सबसे बात तो कर लेते है, परिवार में बैठ के बात कर लेते हैं, किसी से बात ही नहीं करी आपने आपने तो तुगलकी फरमान जारी कर दिया की मेरे टिकट को दे दो, मेरे बेटे को टिकट दे दो। मेरी 30—33 साल लगभग उमर तजुर्बा है सियासी का और बंदे की उम्र 30 साल है मात्र और फिर भाई एक बात आप भी जानते हो आप मेरे 30 साल पुराने बेहतर होंगे। हमने ये देखा है। और ये भी एक चर्चा है जिसका भी मैं जवाब आपसे चाहूंगा।की यहाँ एक चर्चा है की अंत के दो 3 दिन पहले मीटिंग हो जाती है और फिर तय हो जाता है की हमें किस तरफ जाना है। हो सकता है आपकी तरफ आये हो सकता है उधर आये आप इसके लिए क्या प्रयास चल रहा है और ये जो मैं कह रहा हूँ इसमें मान इस बात से इनकार नहीं है। हमारी तो परंपरा है की जब हक ना मिले तो छीन के ले लो। मछली के इलेक्शन में भी हमें उस टाइम बड़े भैया को हक नहीं मिला तो उन्होंने छीन के ले लिया। इस टाइम मेरा हक था तो मैं मेरे लोग इन्डिपेन्डेन्ट लग रहा है तो मुझे जब लड़ रहे हैं तो मेरा हक मुझे दिलवाएगी जनता। नहीं, लेकिन माहौल क्या बनेगा? क्या ऐसा तो नहीं है की चुनाव के 2 दिन पहले 3 दिन पहले कोई ऐसी मीटिंग हो जाए जिससे एकतरफा पूरा वोट चला जायेगा? कुछ लोग कह रहे है की सब एकतरफा वोट जाएगा। किधर चला जाएगा, उधर चला जाएगा और तीसरा जीत जायेगा। मेरा तो बस सिर्फ है, टकराव हैं, वो अलोक शर्मा से है। इसके अलावा कुछ भी नहीं है। उन्होंने भी शायद ऐसा कुछ नहीं कहा होगा। मेरे दिल में नहीं है, लेकिन मैं तो इससे इतनी बात जानता हूँ कि 33 साल लगभग मेरा सियासी तजुर्बा है।आलोक शर्मा जी का 10 साल का तजुर्बा 5 साल पार्षद का 5 साल महापौर का। उनके कार्यकाल में इतना खराब परफॉर्मेंस की भी मध्यप्रदेश के अंदर जीतने भी महापौर रहे है। उनमें किसी का खराब नहीं रहा। जीस हिसाब से वो बटवारा कर रहे है। हिंदू मुस्लिम कर रहे हैं, वो तो गलत है।  चाचा भतीजे की लड़ाई में आलोक को फायदा हो जायेगा। भतीजे को तो छोड़ ही दीजिए। मतलब आपको लगता है कि भतीजा किस नंबर पे रहेगा? ये तो मैंने अभी आपसे कहा ना की मेरा और आलोक का इलेक्शन है और किसी का नहीं। इसीलिए यह सवाल पूछा है मैंने, इसलिए हम भी हैं मैदान में। वो हुआ कर रहे हैं लेकिन मैं लगभग 33 साल लोगों को करीब रहा हूँ। कोई भी इंसान को मेरा मोबाइल नंबर भी मालूम है, कोई इंसान में गली में आप की आप चलो मैं तो आपको दावत देता हूँ।मैं आगे आगे जनसंपर्क करूँगा, पीछे किसी बच्चे से या बुजुर्ग महिला से, ये लड़के से या दोस्त से किसी बहन से पूछ लेना कौन हैं? तो यकीनन कहते हैं की हाँ यहाँ में इसको हम भलीभाँति जानते हैं, लेकिन वो चीजें आप की थी जिससे आपका कद बढ़ा था। आप माने ना माने एक था हाथ का पंजाब और दो दूसरा था आरिफ भाई का साथ। आज दोनों चीजें आपके साथ नहीं है। मुझे मेरे लोग चाहने वालों ने मुझे खड़ा कराया और जब आरिफ भाई को भी हाथ का पंजा और इन्डिपेन्डेन्ट लेते सभी लोगों का साथ था। इस टाइम जनता मेरे साथ है, मुझे जनता लड़वा रही है। मैं अपने बल पे नहीं लड़ा तो परिणाम क्या देख रहे हो? आप तीन तारीख को क्या जुलूस निकलेगा। इंशाअल्लाह बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें कर रहे हैं। जैसा जैसा वक्त आएगा वैसा वैसा जवाब दे दूंगा और जीत के आऊंगा वो जीतने के बाद। फिर मैं आप के माध्यम से कहना चाहता हूँ की अपना जीतने वाला प्रमाणपत्र वो अपने भाई के चरणों में रखूँगा। बहुत अच्छा सवाल और आखरी सवाल है मेरा की बहुत सारी चीजें इस उत्तर भोपाल के लिए छूट गयी है। आज भी हम ये मानते हैं की सात सीटों में उत्तर भोपाल का जो विकास होना चाहिए तो वो है नहीं। आप देखिये आप खुद भी इसमें नाम आने लगे, ये तो दिखता हैं, आपका प्राथमिकता क्या होगी? आप कल जीत के आते हैं। उत्तर भोपाल के लिए आपका सपना क्या है?जब हम जैसी व्यवस्था रहेंगी काम करने की जितना एक लिमिटेड फंड था, उतने में काम किया है। अब बहुत सारी चीजें नज़र में कहा कि मुझे भी मालूम है कहाँ पानी नहीं जा रहा है। कहा रोड नहीं बना। कहा नाली नहीं बनी तो यकीनन जीस तरह से सुविधा कुछ अधूरे रह गया। वो मुराद पूरी पूरा करने के प्रयास करूँगा और जीस तरह के रोजगार वाले मामले की बात है नौजवानों की तो आमिर अकेले अपने बलबूते पे लगभग ₹14,00,00,000 नगर निगम के माध्यम से बस स्टैंड के लिए सैंक्शन कराया। उसमें किसी को कोई ताबूत नहीं था। सर ये बहुत बहुत धन्यवाद पाये थे। आमिर अकील साहब जिनका कहना है की हमारी आदत है के यदि अधिकार नहीं मिलता है तो हम छीन के ले लेते हैं और इसका उदाहरण है। हमने मछली से जीत के दिखाया था। वो स्वीकार कर रहे हैं की आरिफ अकील साहब बेशक विधायक थे लेकिन तमाम सारे काम वो खुद करते थे। वो कहते हैं कि 30 साल का मेरा अनुभव है। उतनी तो उनकी उम्र बड़ी नहीं है। जो उनके भतीजे सामने है उनको तो अभी कार्यकर्ताओं का नाम नहीं पाते। पता और मोहल्ले के बाद तक के नाम नहीं पता है। ऐसे में तीन तारीख का परिणाम बताएगा। जुलूस हो, आमिर अकिल का ही निकलेगा। 

Bhopal   11/11/2023