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भोपाल, रवीन्द्र जैन।
आज हम करेंगे विंध्य की विंध्य में 30 विधानसभा सीट हैं और हम जानने की कोशिश करते हैं कि विंध्य  का राजनीतिक तापमान क्या कह रहा है। आगे बढ़ने से पहले मैं बता दूं कि 30 सीटों में 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 26 सीट मिली थी और कांग्रेस को मात्र चार सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इस बार विंध्य का माहौल क्या है उंट किस करवट बैठेगा यह सारी बातें करने के लिए हमारे साथ हैं सतना के वरिष्ठ पत्रकार रम्मू सिंह जी।
क्या है इस बार विंध्य में अलग-अलग खबरें आ रही है हमारे पास भोपाल में बैठकर हम जब विंध्य  की और देखते हैं तो लगता है कि कुछ अलग होने वाला है। इस बार विंध्य में 30 विधानसभा है पिछली बार बीजेपी के पास 27 थी तीन कांग्रेस के पास तीन एक उपचुनाव में कांग्रेस ने रैगांव और जित ली तो चार हो गई। इस बार का तापमान कुछ ऐसा बता रहा है कि दोनों लगभग 15-15 हो सकता है कि कांग्रेस अगर एक होकर लड़ी तो कांग्रेस 20 सीट ले सकती है। इसीलिए बड़े नेता जो बीजेपी के हैं वह विंध्य में फोकस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आ चुके हैं फिर प्रधानमंत्री अभी 9 तारीख को आ रहे हैं सात का उनका दौरा था कैंसिल हुआ। अमित शाह जी दो बार तीन बार आ गए। संघ प्रमुख मोहन भागवत भी आ चुके। नितिन गडकरी जी आ चुके। इतने बड़े-बड़े लीडर्स वहां बार-बार आ रहे हैं। शिवराज जी एक-एक विधानसभा में रोड शो कर रहे हैं। 
कारण क्या है भारतीय जनता पार्टी को इतना बड़ा भारी नुकसान होने की संभावना आप बता रहे तो कारण क्या है। 
असल में भाजपा ने 18 सालों में बहुत बड़ा छल किया है। सबसे ज्यादा राजस्व विंध्य से मिलता है और सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ विंध्य ही है। विंध्य में कोई भी डेवलपमेंट नहीं हुआ अगर रीवा के डेवलपमेंट कि हम बात करें तो अपने 99 साल की लीज में समदड़िया को उठाकर पूरा का पूरा शहर  दे दिया और उसने बना के दुकानें बेच ली मार्केट बेच ली तो इसको हम डेवलपमेंट कैसे कहेंगे। 
रम्मू भाई ऐसा नहीं हैं लेकिन आप 18 साल पहले 20 साल पहले विंध्य देखोगे तो यां सड़क नहीं थी बाईपास नहीं थे पूल नहीं थे मैं अब जाता हूं तो मुझे पूल दिखते हैं। बाईपास दिखते हैं। वहां बिजली है पानी है सब कुछ तो दिया है। इसके बाद में एक बात करूंगा की कर्ज भी हमें दिया है दिग्विजय सिंह के दिमाग में यह बात क्यों नहीं आई इतने बड़े राजनेता होकर कि मैं कर्ज लेकर सड़के मनाऊं जो इन्होंने किया हर सड़क प्राइवेट पीपीपी मोड पर बनवाई और उसे पर इन्होंने बैरियर लगाकर पैसों की उगाही शुरू कर दी।
इतनी सारी सुविधाएं मिलने के बाद पिछले 2018 के चुनाव में इस 27 सीट देने वाला विध्ंय इन 5 साल में ऐसा क्या हुआ। 
विंध्य में बीजेपी के हर नेता का विकास चौगुना नहीं 400 गुना हुआ है लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है आज हम सिर्फ सतना की बात करें हमने तो मतलब मध्य प्रदेश सरकार ने तो विंध्य को स्पीकर तक दिया है। आज मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर विंध्य से आते हैं। स्पीकर के ऊपर एक विधायक हावी है। असल में आज एक और खुलासा कर दूं विंध्य से ही इसकी शुरुआत हुई थी। दिग्विजय सिंह के शासन में दिग्विजय सिंह विंध्य में रहते थे कि श्रीनिवास तिवारी जो स्पीकर है वह रीवा के मुख्यमंत्री हैं मुझे लगता है कि कांग्रेस के नक्शे कदम में पूरी बीजेपी चल रही है।शिवराज सिंह चौहान ने एक-एक जिले में एक-एक मुख्यमंत्री बना दिया। आज सतना के मुख्यमंत्री गणेश सिंह है गणेश सिंह के बिना शिवराज सिंह चौहान ने एक भी दौरा सतना का कभी किया। हो तो बता दें संसद को साथ में रखने में क्या दिक्कत है ऐसा ही रीवा में राजेंद्र शुक्ला। कटनी में संजय पाठक। पन्ना में बृजेंद्र प्रताप सिंह। ऐसे एक-एक आदमी को एक-एक सीएम बना दिया है। मतलब उनके बिना वह जिला चलेगा ही नहीं अधिकारों का अब यदि शिवराज जी अपने हाथ में रख लेंगे तो कल आप कहोगे के सारे अधिकारों का अपने केंद्रीकरण कर लिया है। उन्हें एक-एक जिले को दिया तो जिले का विकास तो तभी होगा ना जिले का विकास हो तब तो जितना विकास सतना में गणेश सिंह ने अपना किया उसका अगर दो-तीन परसेंट सतना का किया। आपको बताऊं अर्जुन सिंह की जब चीफ मिनिस्टर थे तो सतना के लोग यहां होटल में काम करते थे रीवा के लोग लेकिन आप वह स्थिति नहीं है अब लोग पढ़े लिखे हैं। अपना खुद का काम कर रहे हैं। भोपाल में ऐसे कई लोग मिलेंगे विंध्य के जो ऐसे कई लोग मिलेंगे विंध्य के जो सैकड़ो लोगों को रोजगार दे रहे हैं। भोपाल में आज भी विंध्य के लोग पलायन कर रहे हैं वहां जो फैक्ट्रियां सीमेंट फैक्ट्रियां हैं वहां सब अप और बिहार के लोग काम कर रहे हैं वहां का बेरोजगार आज भी पलायन कर गया। यह अलग बात है कि भोपाल नहीं आ रहा अब वह सूरत और पुणे जा रहे हैं। सच बताओ सतना में इस बार आपको क्योंकि आप सतना में रहते हैं एक-एक पल की जानकारी है। सतना क्या कह रहा है अगर हम सतना और मैहर को मिला ले तो अभी तक बीजेपी के पास चार सीट थी तीन सीट कांग्रेस के पास थी मुझे लग रहा कि यह गणित पलटने वाली है। चार कांग्रेस तीन बीजेपी कर लिया जाए। जिसकी भी फीट होगी वह नारायण त्रिपाठी के साथ होगी। क्योंकि नारायण त्रिपाठी ने मैहर के लिए इतना किया है इतनी लड़ाई लड़ी है कि जिस किसी की कांग्रेस गलती कर गए नारायण को ले लेना चाहिए था। निश्चित ले लेना चाहिए था। सिद्धार्थ ने विषम परिस्थिति में पिछला चुनाव निकला है और अब अजय सिंह और सिद्धार्थ के संबंध क्या है क्योंकि यह कहा जाता है कि सिद्धार्थ की राजनीतिक कुंडली में अजय सिंह कहीं ना कहीं राहु केतु की तरह बैठे हैं। असल में पिछला चुनाव सिद्धार्थ नहीं जीते शंकर लाल तिवारी हारे। सेम वही चुनाव महापौर के चुनाव में हुआ सिद्धार्थ कुशवाहा हारे। और बीजेपी जीती मतलब वह एक डेढ़ साल पहले 2 साल पहले लोगों ने सहित खड़े हो गए थे इसलिए वह हार गया और जितने जितने वोट को मिले उतनी वोट से हर 26000 से ऐसा अभी भी हो रहा है एक वैश्य हरिओम गुप्ता खड़े हो गए हैं जो वैश्य वोट काटेंगे और बीजेपी से ही टूट के यह हरिओम गुप्ता खड़े हुए हैं। इसलिए कि उमाशंकर गुप्ता को टिकट दी बीजेपी ने तो उनकी गुस्सा तो बीजेपी के प्रति है। वह सिद्धार्थ को नुकसान क्यों करेंगे पिछली बार वैश्य बहुत सारे वैश्य कांग्रेस से जुड़े थे। शंकर लाल तिवारी के आक्रोश के कारण इस बार पूरा वैश्य उनके साथ नहीं है। दूसरी चीज आपके इससे डब्बू कुशवाहा की बात करें तो वह कांग्रेस के नहीं है। वह कमलनाथ के हैं कांग्रेस का पूरा संगठन उनके साथ नहीं खड़ा हुआ है। उन्होंने पार्षद की टिकट बांटी तो व्यक्तिगत रूप से बांटी कांग्रेस का चेहरा देखकर नहीं बांटी। आज ढाई सौ लोग कांग्रेस की टिकट मांग रहे थे 45 को उन्होंने टिकट दी। 200 लोग उनका विरोध करने के लिए खड़े हुए हैं। जिनको टिकट प्रसादी की नहीं आपका यह मानना है कि यह सतना में गणेश सिंह की टक्कर किस है सिद्धार्थ से बीएसपी भी लड़ाई में है बीएसपी का चतुर्वेदी है वो किस पार्टी के बीजेपी के थे उसको होगा आप बीजेपी के लोग दोनों का नुकसान करेंगे। यह जो सिमरिया में बड़ा उलटफेर हुआ रीवा जिले के सिमरिया में चमत्कार हुआ कि अभय मिश्रा जी कांग्रेस में थे वह एक महीने पहले बीजेपी में गए बीजेपी ने उनकी टिकट काट दी वह दौड़ते हुए वापस आए और कांग्रेस ने फिर गले लगा लिया और टिकट भी दे दिया सब विरोध करते रहे। आप अभय मिश्रा जब टीआरएस कॉलेज में पढ़ते थे उसे समय मैं भी वही टीआरएस में पढ़ता था रीवा में पढ़ते थे उसे समय से ही वह बहुत खुराफाती का लीजिए या उनका दिमाग चतुर बीजेपी टिकट नहीं देगी वह तुरंत कांग्रेस में पलटी मारते हैं और कांग्रेस ने टिकट दे देती है उनको मालूम था तो यह सब गणित है। उन्हें रिजल्ट भी पता होगा। मिश्रा जमीन से जुड़ा हुआ है ठेकेदार है और बहुत सारी चीज हैं वह आदमी जमीन नहीं छोड़ा उसने यह भी मैं कहूंगा कि अभय मिश्रा ने कभी अपनी जमीन नहीं छोडी। इस बार ये जो चाचा भतीजे का झगड़ा है देवतालाब में असल में चाचा भतीजे को इसलिए टिकट मिला पद्मेश शुक्ला को कि उन्हें गिरीश गौतम के बेटे को जिला पंचायत में हराया अगर इसका इनाम मिला कांग्रेस ने तो इनाम दे दिया। मान लीजिए कि चाचा को हरा दिया तो उसकी तस्वीर क्या होगी कि हम एक स्पीकर को हार गया है अभी आपके पास क्या खबर है स्पीकर जीत रहे हैं कि हार रहे हैं। पूरे देश प्रदेश में चर्चा में एक नाम रहता है वह राजेंद्र शुक्ला और रहता है वह राजेंद्र शुक्ला और राजेंद्र शुक्ल ने खुद की टिकट तो ली हैं कई टिकट दिलवाई भी है। मेरी जानकारी के अनुसार सिमरिया में केपी त्रिपाठी की टिकट कटने से उन्होंने रोका है। तो अब राजेंद्र शुक्ला जी की स्थिति क्या है। पहले केपी त्रिपाठी की बात कर ले केपी त्रिपाठी राजेंद्र शुक्ल की क्रेशर वगैरा का काम देखते थे। ऐसा उनके यहां वर्कर थे और उन्होंने पिछली बार उठाकर उनको टिकट दिलवा दिया और जीत भी लिया। इस बार राजेंद्र शुक्ल के लिए खुद अपना चुनाव काफी मुश्किलों में है। इसका कारण लोग बता रहे हैं कि उन्हें व्यापारियों को बहुत नाराज किया है। व्यापारी पुलिस से प्रताड़ित हुआ व्यापारी किसी से प्रताड़ित हुआ उनके पास गया उन्होंने कोई फोन नहीं किया कोई मदद नहीं कि। इस कारण महापौर चुनाव भी बीजेपी को हारना पड़ा। व्यापारी बहुत ज्यादा नाराज है। सिद्धार्थ तिवारी जो इस पूरे स्पीकर श्रीनिवास तिवारी के पोते हैं उन्हें भी और टाइम पर दल बदला है दिल बदल गया है उनका तो उनकी क्या स्थिति है कई लोग हैं एमपी में जैसे कैलाश जोशी के बेटे जो जन्मजात संघ से और बीजेपी से मुख्यमंत्री रहे बदल गए तो अब लोग दिल और दल नहीं बदल रहे हैं लोग दलदल में जा रहे हैं। हमारे प्रदेश की राजनीति दलदल की ओर जा रही है सिर्फ स्वार्थ पर आधारित है राहुल भैया के पीछे बड़ा षड्यंत्र होता रहा है हमने देखा पिछली बार जिस तरह से वह होता था घर के बंद कर देना कई तरह के योद्धाओं ने उनका घेर के बंद कर दिया था इस बार राहुल भैया कहां खड़े हैं मैं स्पष्ट कहूंगा कि उनको कई योद्धाओं ने नहीं उनके अपनों ने भी घेरा और विरोधी तो घेर ही रहे थे इस बार घेरने का प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें अपने चुरहट को छोड़ा नहीं है और उन्होंने एक ऐसा जाल बिछा दिया है चुरहट के अंदर की अगर विरोधी घुसेंगे तो पहले जाल में फंसेंगे। इसके बाद अंदर जा पाएंगे परिणाम क्या होगा चुरहट का। बहुत अच्छे मतों से जीतेंगे। रामू सिंह जी सतना के वरिष्ठ पत्रकार हैं बेैखौफ बात कहते हैं लाग लपेट तो बिल्कुल आदत ही नहीं है। आज भी उन्होंने बड़ी स्पष्ट बातें हमसे की हैं। पर आज उन्होंने विंध्य के बारे में जो बात कही है वह हमारे लिए चौंकाने वाली है उनका कहना है कि पिछले 2018 के चुनाव में विंध्य में कांग्रेस को सिर्फ तीन सीट मिली थी 27 सीट बीजेपी को मिली थी लेकिन इस बार बाजी पलट रही हो पलट रही है। आज की तारीख में 15-15 सीट भी हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है और यही माहौल रहा तो कांग्रेस 15 से आगे 20 तक भी जा सकती है निश्चित तौर पर यह जो रम्मू सिंह की जानकारी वह हमारे लिए तो आश्चर्यजनक है। क्या रिजल्ट आएगा यह 3 तारीख को ही पता चलेगा।

Bhopal   04/11/2023