भोपाल, रवीन्द्र जैन।
मध्य प्रदेश में अब उम्मीदवार फाइनल हो चुके हैं जिन्हें नाम वापस लेना था वह नाम वापस ले चुके हैं जिन्हें बागी होना था वह बागी हो चुके हैं। अब एक तरह से कहा जाए की चुनावी अखाड़ा पूरी तरह तैयार है। दंगल शुरू हो चुका है।
आज हमारे साथ है वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित उनसे समझने की कोशिश करते हैं कि अब जबकि दोनों पार्टियों के उम्मीदवार सामने हैं। आप पार्टी भी अपना यहां पहली बार भाग्य आजमा रही है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, अब मध्य प्रदेश का वोट किसका वोट बढ़ाने वाला है उनसे समझने की कोशिश करते हैं।
अरुण जी अखाड़ा तैयार हो गया है दंगल शुरू हो चुका है पहलवान अपने-अपने दावे कर रहे हैं आपको क्या लग रहा है कि आप मध्य प्रदेश किस ओर जा रहा है।
देखिए आज जो स्थिति है बड़ी-बड़ी मतलब कौतूहलपूर्ण स्थिति है। क्योंकि चारों तरफ अगर आप देखे तो भारतीय जनता पार्टी और उसका पैसा बिखरा पड़ा है। मुख्यमंत्री अपनी तरह से लगे हुए हालांकि उनको मैदान से बाहर कर दिया गया उनका दावा उनका नाम नहीं लिया जा रहा है लेकिन वह पूरी ताकत से प्रचार में है। और उनसे भी ज्यादा ताकत लगा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गृहमंत्री अमित शाह। मोदी के मन में मध्यप्रदेश बड़ी-बड़ी बातें मोदी जी आज भी मध्य प्रदेश में है। मोदी जी फिर आएंगे रोज आ रहे हैं। उनकी पूरी कोशिश यह है कि किसी भी तरह से मध्य प्रदेश को एक नए मॉडल के रूप में कन्वर्ट कर लें ताकि वह यह बता सके कि दिल्ली से बैठकर स्थानीय नेताओं को स्थानीय भाजपा इकाई को मुख्यमंत्री को और पूरे बड़े नेताओं को किनारे करके सारी कमान अपने हाथ में लेकर और पूरी तरह से सूत्र संचालन खुद के हाथ में लेकर के वह यह चुनाव लड़ रहे हैं। तो जो बात वह कह रहे हैं कि मोदी के मन में मध्य प्रदेश ठीक है आप कह सकते हैं क्योंकि आप तो मां की बात करते हैं पर वह आम आदमी जिसके मन में अब तक मामा था वह क्या सोच रहा है। वह अभी नहीं बोला है हो सकता है मुझे लगता है कि वह अपनी उंगली से उसका जवाब देगा और वह जवाब तो 3 दिसंबर को आएगा एक महीना है। लेकिन जो दिख रहा है और जितनी ताकत से बीजेपी सड़क पर अखाड़े में उतरी हुई दिख रही है। शायद मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा सबक देगा। कुछ दिन पहले हमने देखा था टाइम्स नाउ का मध्य प्रदेश को लेकर ओपिनियन पोल था जिसमें स्पष्ट तौर पर कांग्रेस की सरकार बनती दिखाई दे रही थी अभी चार-पांच दिन पहले एक ओपिनियन पोल और आया है इंडिया टीवी का जो रजत शर्मा जी का चैनल है और उन्होंने फिर से कहा है कि भारतीय जनता पार्टी आगे निकल गई है। कांग्रेस थोड़ा सा पीछे गई है और उन्हें यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के लिए उन्होंने वह कराया है पूरा सर्वे कराया है नंबर वन पर 43% लोग शिवराज जी को पसंद कर रहे हैं जबकि 40% कमलनाथ जी को। इन ओपिनियन पोल के बारे में आपका क्या पोल है। क्या आपकी राय है।
मुझे ऐसा लगता है देखिए ओपिनियन पोल बहुत समय तक सटीक रहते हैं लेकिन ज्यादातर सटीक नहीं होते और यह जिनका जिक्र आपने किया है जब शिवराज सिंह चौहान का नाम बीजेपी जिसे मुख्यमंत्री बनना है वही नहीं ले रही है तो उसे पोल का क्या मतलब है जिस आदमी को कुर्सी पर रहते हुए जिसका नाम ना नरेंद्र मोदी ने लिया ना अमित शाह ने लिया ना प्रदेश अध्यक्ष ने लिया ना कोई और ले रहा है तो उसका पोल में उसके नाम पर पोल करने का अर्थ क्या है।
लेकिन ऐसा है बाद में नरेंद्र मोदी ने एक चिट्ठी लिखी है मतदाताओं को जिसमें थोड़ी तारीफ की। आप कुछ और कर रहे हैं और चिट्ठी लिखा कुछ और कर रहे हैं दोनों चीज अलग-अलग है मतलब आप यह तो वही स्थिति हो गई की बाजार में मिले तो गरिया दिया और जब गए तो घर जाकर चिट्ठी लिख दी उसे सॉरी कह दिया। देखो बहुत अच्छे आदमी तो यह बॉडी लैंग्वेज अंग्रेजों ने सब निकला है जिससे पता लग जाता है कि कितना शिवराज जी को पसंद किया जा रहा है और शिवराज जी खुद इस स्थिति को समझते हैं। आपको याद होगा उन्होंने बुदीन में जब यह कहा था कि उनका नाम नहीं लिया जा रहा था तब लोगों से पूछा कि चुनाव लड़े या नहीं लड़े। मेरी सरकार कैसी थी। आखिर में उन्होंने मोदी के सामने 5 अक्टूबर को ताल ठोक दी थी और जबलपुर में पूछ लिया था कि बताओ मेरी सरकार कैसी चल रही है और फिर 6 अक्टूबर को डिंडोरी में तो और आगे बढ़े उन्होंने न केवल सरकार का पूछा यह भी पूछा कि मुझे मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं बनना चाहिए। सवाल उठाया था कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए कि नहीं बनना चाहिए था और अगला डायलॉग बहुत साइलेंटली कहा था कि जो हमारी मदद करेगा हम उसकी मदद करेंगे। तो यह वही शिवराज जी है इतने सबके बाद जब यह सब होने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपना रवैया बदला था और वह टिकट बातें जो शिवराज सिंह चाहते थे। अभी भी आज पूरे प्रदेश में आप घूम रहे हैं कहीं देखी सबसे बड़े होर्डिंग सिर्फ मोदी के मन में मध्य प्रदेश। मोदी का इतना बड़ा मन है तो मैं कहता हूं कि देश के अंदर मणिपुर भी है। हम इसी देश में वहां चले जाते हैं एक बार देख आते। तो चुनाव के वक्त अब यह जनता बहुत समझदार है कोई भी तब कहो आदिवासी हूं। सामान्य वर्ग के लोगों ओबीसी हो। अल्पसंख्यक हूं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हम देख रहे हैं वहां कांग्रेस का मुकाबला भाजपा की बजाय ईडी हो गया है। छत्तीसगढ़ में भी ईडी से लड़ रहा है पूरा मुख्यमंत्री लगातार बयान बाजी और राजस्थान में मध्य प्रदेश इन सब चीजों में बचा हुआ है फिलहाल। कहां बचा हुआ है मध्य प्रदेश में केवल पीपल्स ग्रुप का जो पुराना मामला था इनकम टैक्स का ट्राइडेंट ग्रुप पर वह क्या था वह मैं बताता हूं जो मेरी जानकारी है मैं आपको बता रहा हूं। ट्राइडेंट ग्रुप में जो मालिक है वह पंजाब के योजना आयोग के उपाध्यक्ष से आप पार्टी में है वह और यह आशंका थी कि शायद वह यहां आप पार्टी को फाइनेंस कर सकते हैं। इसलिए वह छापा पड़ा ऐसा बताया जा रहा है। शिवराज सिंह के बहुत करीब है। यह भी आप मानो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के बहुत करीबी हैं और जितना यहां ईडी और इनकम टैक्स से काम चल रहा है बाद में दी गई चेतावनी है यह मतलब यह जो है ना कि मैसेज दे दिया कि देखो ईडी भी आ सकती है। अभी तो इनकम टैक्स अपना काम करके मैसेज देकर चली गई। यह मैसेज आप कह रहे हैं वह भी वह मान लेता हूं कि आपके लिए लेकिन उनके लिए भी है जिनके इलाके में जिनका सब कुछ वहां दांव पर लगा और इस इंडस्ट्री के जरिए उन्होंने बहुत बड़े क्लेम किए हैं। मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पांच चार या पांच दिन पहले कहा था कि ई दो-तीन दिन में आने वाला है उनकी वीडियो तो आए नहीं अभी अरे अभी तो बहुत समय है अभी देखी राजस्थान की बात कर रहे थे आप वहां ईडी की जरूरत क्यों पड़ रही है ईडी की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि मोदी और शाह की जोड़ी वहां की स्थापित नेता वसुंधरा राजे सिंधिया को नेशनल आभूषण करने पर तुले हुए हैं अब वसुंधरा राजे एक ताकत है एक पहचान है उनकी और वह बरसों से वहां सक्रिय हैं। यह सारे प्रयोग जैसे इन्होंने मध्य प्रदेश में प्रयोग किए कुर्सी पर रहते हैं शिवराज जी को साइड लाइन किया। वहां वह हार चुकी थी चुनाव उसके बाद भी उन्होंने बहुत तगड़ी चुनौती दी है। जवाब भी दिए हैं। मीटिंग है वही सब कुछ हुआ है लेकिन वह अपना काम कर रही है तो इसलिए फिर क्या जरूरत पड़ेगी जब पार्टी नहीं कर पा रही क्योंकि भाजपा उनके जेब में है तो दूसरी चीज ईडी सीबीआई और इनकम टैक्स बजाते हैं तो यह काम कर रहे हैं। एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है कि चुनाव को टाइम पर मतदाता यह उम्मीद करता है कि आप हमारे मुद्दों पर बात करेंगे आप बिजली पर बात करेंगे पानी पर बात करेंगे रोजगार पर बात करेंगे विकास में बात करेंगे लेकिन हम देख रहे हैं धीरे-धीरे यह चुनाव जय वीरू पर जा रहा है कोई क्या डायलॉग बोल रहा है। कल सिंधिया जी ने बोला झूठ बोले कौवा काटे। मैं कांग्रेस के लिए काला कौवा हूं। तो यह काला कौवा यह भी रोया है क्या यह मध्य प्रदेश की राजनीति में पहले नहीं होते थे यह नए पात्र खड़े हैं।
नहीं अब देखिए सवाल यह है कि जब जय गुरु की जोड़ी आई तो जय वीरू की जोड़ी को सामने कौन लाया था याद करिए वह ठाकुर जिसके हाथ गब्बर ने काट दिए थे अब जय वीरू आ गया तो यहां ठाकुर कौन है। अगर आज पहली दृष्टि में देखें तो मेरी और हाथ काटा ठाकुर तो एक ही आदमी है। जिन्होंने खुद कहा था और अब ऐसे में जय वीरू बुलाए ठाकुर ने तो फिर गब्बर कौन है और आप यह देखिए आया और वह सब छोड़िए और हाथ काटा ठाकुर तो एक ही आदमी है जिन्होंने खुद कहा था और अब ऐसे में जय वीरू बुलाए ठाकुर ने तो फिर गब्बर कौन है और आप यह देखिए गब्बर को निशाना बनाने वाले हैं इसमें ठाकुर की कितनी भूमिका है। अगर मजाक में ही देखे तो यह बहुत बड़ा मैसेज दे रहे हैं कि ठाकुर के हाथ कटे तो जय वीरू सामने आओ जय वीरू दोनों वैसे एक और याद करिए आपकी नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह की जोड़ी को भी उन दोनों ने खुद को जय वीरू कहा था अब अगर जय गुरु की जोड़ी दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की चोर है तो फिर यह क्या थे। यह तो इन्हीं से पूछा जाए।
एक बड़ी घटना मध्य प्रदेश में घटित हुई है कल देर रात में मुरैना जिले का जो दीमनी है जहां केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह जी तोमर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी है वहां एक ऐसी छोटी सी घटना थी जो लेकर आज बहुत बड़े स्वरूप में बदल गई है। घटना यह हुई है कि गांव में एक व्यक्ति ट्रैक्टर से निकलता था उसमें अपना म्यूजिक सिस्टम लगवा लिया था और वहीं रहने वाले एक तोमर परिवार के व्यक्ति ने कहा कि जब भी यहां से निकलोगे आप अपना म्यूजिक बंद कर लोगे। ट्रैक्टर के ऊपर लेकिन कल उसने रात को 9:20 पर अपना म्यूजिक लेकर निकला तो वह जो तोमर परिवार के लोग हैं वह उसके पीछे गए उसको डाटा थोड़ी देर में वहां गोलियां चलने लगी और उसमें गुर्जर समाज के एक युवक की मौत हो गई। मौत के बाद में वहां चक्का जाम चला है और इसके बाद में गुर्जर समाज का ऐसा प्रेशर आया कि तोमर समाज के लोगों के जो आरोपी गण है उनके मकान आज प्रशासन ने तोड़ दिए हैं। मध्य प्रदेश में आचार संहिता लगी हुई है सब जानते हैं कि तोमर नाराज होंगे तो नरेंद्र सिंह तोमर का कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में ऐसा कौन व्यक्ति है जो तोमर लोगों के मकान तुड़वा रहा है या या उनको नोटिस दे रहा है।
जो भी एक घटनाक्रम है इसे आप राजनीतिक रूप से किस रूप में ले रहे हैं। देखिए मुझे ऐसा लगता है एक आम आदमी के तौर पर की नरेंद्र सिंह तोमर वैसे भी दिमनी में लड़ना नहीं चाहते थे। उनको टिकट दिया गया। दिमनी की स्थिति यह है कि वह बीजेपी की सीट नहीं रही है कब कांग्रेस और बीजेपी के बीच में चलती रही है। और पिछला उपचुनाव जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दिमनी से जो लड़े थे वह गए थे तो भी फिर उनको हरा दिया था तो ऐसे में सबसे बड़ी बात जो आपने किया आचार संहिता में यह आर्डर किसने दिया कि मकान तोड़ दो बुलडोजर मामा तो चुनाव आचार संहिता में लगे हैं। तो यह मामा का बुलडोजर दिमनी के इलाके में तोमर के घर पहुंचा कैसे। क्योंकि वहां तीन तोमर चुनाव लड़ रहे हैं गुर्जर कम्युनिटी जो लड़का मारा गया है। वह कम्युनिटी आप आप मुझसे बेहतर जानते हैंं। मुरैना जिले में तो खासतौर पर गुर्जर कमेटी काफी नाराज है और इसीलिए शायद रुस्तम सिंह ने पार्टी छोड़ दी उनका बेटा बसपा से चुनाव लड़ रहा है। ऐसे में एक तरफ जहां गुर्जर सामने है बीजेपी के उसे इलाके में भी 10-20 हजार गुर्जर तो होंगे ही क्योंकि पूरी बेल्ट है और तोमर तोमर अगर निशाना बना रहा है गुर्जर को तो इसका मतलब यह है कि तोमर ने तोमर को उकसाया अब यह अगर इसके पीछे जो मुझे कतई उम्मीद नहीं और मैं कभी भरोसा नहीं करूंगा कि इसके पीछे नरेंद्र सिंह तोमर का हाथ है। तो यह संभव नहीं है क्योंकि अपना पांव कुल्हाड़ी पर वह नहीं रखेंगे। लेकिन यह देखना होगा कि नरेंद्र सिंह तोमर के रास्ते में यह कांटे जैसा है कांटे बिछाना जैसा है यह फैसला किसके इशारे पर हुआ। यह भोपाल स्तर पर हुआ या जिले में कलेक्टर के स्तर पर हुआ क्योंकि कलेक्टर अचानक फैसला नहीं कर सकता। मुझे यह भी पता लगा है कि मकान गिरा देने के बाद बैक डेट में नोटिस दिया गया तो यह जो तरीके हैं इसके पीछे इसके सूत्र संचालन किसके हाथ में मुझे नहीं लगता है कि कोई नरेंद्र तोमर का है यह उनके खिलाफ बड़ी साजिश लग रही है। आखरी सवाल और बड़ा महत्वपूर्ण सवाल है कि कमलनाथ जी के बेटे ने घोषणा कर दी के 7 तारीख को उनके पिता शपथ लेंगे मध्य प्रदेश की यह पहली बार हुआ है कि कोई राजनीतिक दल के मतलब जिम्मेदार नेता हैं दूसरी और मैंने जैसा कहा गया अखाड़ा पूरा सच चुका है दंगल चालू हो गया है अब अरुण दीक्षित जी का क्या विचार है कि मध्य प्रदेश का वोट किस और जाएगा।देखिए आज की तारीख में अगर जो सतह पर दिखाई दे रहा है उसे हिसाब से अगर देखे तो बीजेपी ने युद्ध में एक होता है कारपेट बोम्बिंग मतलब खुद को बचाने जैसे गाजा पटृटी जैसे इसराइल ने कर रखी है वैसे तो बीजेपी ने पूरी ताकत नडृडा, अमित शाह, नरेंद्र मोदी, वैष्णव, यादव कई राज्यों के नेता यहां पड़े हुए हैं। एकदम युद्ध स्तर पर बीजेपी काम कर रही है और मोटी रकम खर्च कर रही है। बीजेपी की ताकत सड़कों पर है गलियों में है झुग्गियों में है शराब की बोतलों के रूप में है। लिफाफे में बंद रूपों के रूप में सब कुछ है लेकिन कांग्रेस इसके आगे बहुत कम है 10% भी नहीं है जितनी ताकत बीजेपी के पास है उसकी 10% कांग्रेस के पास नहीं है लेकिन जितना मैं लोगों से मिला हूं बात कर रहा हूं युवाओं से बात कर रहा हूं गांव के लोगों से बात कर रहा हूं तो वह कहते हैं हमें तो बदलाव चाहिए और रवीन्द्र जी याद करिए 1977 के आपातकाल के बाद 1980 जब आया था 28 साल में ही इसी देश की जनता ने निर्णय बदल दिया था और इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में आ गई थी आज नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जो छटपटाहट है जो मध्य प्रदेश पर कब्जा करने की उनकी जो कोशिश चल रही है वह यह साबित करती है कि जनता कुछ और चाह रही है और यह कुछ और चाह रहे हैं अगर आसान होता अगर कुछ सामान्य स्थितियों होती तो क्या आपको लगता है कि नरेंद्र मोदी इतनी ताकत लगाते क्यों। एक बात और समझ लीजिए कर्नाटक में जो हुआ वह अपनी जगह था लेकिन अगर मध्य प्रदेश बीजेपी हार जाती है तो यह नरेंद्र मोदी की हार होगी अमित शाह की हार होगी ना बीजेपी की होगी ना शिवराज की होगी। और इसीलिए वह पूरी ताकत लगा रहे हैं अब यह देखना है कि नरेंद्र मोदी का यह नारा की मोदी के मन में मध्य प्रदेश लेकिन नतीजा बताया कि मध्य प्रदेश के मन में मोदी कितने थे कितने हैं और कितने होने वाले हैं मुझे ऐसा लगता है कि कांग्रेस को आप अंडर एस्टीमेट नहीं कर सकते पब्लिक ऑपिनियन उसके साथ है और ताकत में बीजेपी आगे है। पर पब्लिक जो फैसला करेगी मुझे लगता है कि वह वही करेगी उसके मन में मोदी के मन में जो है वह नहीं करने वाली है जिनका कहना है कि परिणाम क्या होगा नहीं पता लेकिन इतना तय की यदि मध्य प्रदेश भाजपा के हाथों से निकला तो यह मध्य प्रदेश के भाजपा नेताओं के नहीं केंद्र में नरेंद्र मोदी जी और हमेशा व्यक्तिगत हार मानी जाएगी।
Bhopal 04/11/2023