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रवीन्द्र जैन 

 

- विधि विभाग के इंकार के बाद भी गृह विभाग ने आपराधिक मामले वापस ले लिए

 

भोपाल। मप्र में कांग्रेस और भाजपा के लिए अलग अलग कानूनी सोच है। मुरैना के एक नेताजी जब तक कांग्रेस में थे, भाजपा के निशाने पर थे। भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ डकैती, हत्या का प्रयास, अपहरण और सरकारी काम में बाधा डालने की एफआईआर दर्ज की थी। नेताजी के भाजपा ज्वाइन करते ही उन्हें निगम अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। खास बात यह है कि राज्य सरकार ने नेताजी के ऊपर लगे आपराधिक मामले जनहित में वापस लेने के फैसला भी कर लिया है। जबकि राज्य सरकार का विधि विभाग इस पर आपत्ति कर चुका है।

 

यह भाग्यशाली नेताजी हैं मुरैना के रघुराज सिंह कंसाना। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास समर्थक। वर्ष 2012 में इन्होंने मुरैना कोतवाली थाने पर हथियारों के साथ हमला कर एक आरोपी को छुड़ा लिया था। तब थाने पर फायरिंग भी की गई थी। पुलिस वालों को पीटा गया। उस समय शिवराज सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए रघुराज सिंह कंसाना और उनके साथियों के खिलाफ डकैती, हत्या का प्रयास, अपहरण, शासकीय कार्य में बाधा डालने जैसी गंभीर धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था।

 

2018 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रघुराज सिंह कंसाना को मुरैना से कांग्रेस का टिकट दिलाया तो वे विधायक बन गये। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय रघुराज सिंह कंसाना पर दायर एफआईआर वापस लेने कवायद शुरु हुई थी। लेकिन 3 मार्च 2020 को विधि विभाग ने साफ लिख दिया था कि विधायक कंसाना का अपराध गंभीर है। इसे जनहित में वापस नहीं लिया जा सकता। संयोग से मार्च 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत करके रघुराज सिंह कंसाना भाजपा में आ गये। भाजपा ने उपचुनाव में उन्हें टिकट दिया, लेकिन वे बुरी तरह चुनाव हार गये। चुनाव में हार के बाद सिंधिया के दबाव के चलते उनके सभी हारे हुए समर्थकों को निगम अध्यक्ष बनाया गया तो रघुराज सिंह कंसाना को भी मप्र पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया।

 

आपराधिक प्रकरण वापस

सूत्रों का कहना है कि रघुराज सिंह कंसाना की बगावत की एक शर्त यह भी थी कि उन पर दर्ज आपराधिक प्रकरण वापस लिये जाएंगे। भाजपा में आते ही जनहित में प्रकरण वापस लेने की फाईल दौड़ने लगी। विधि विभाग पहले ही आपत्ति कर चुका था। इसी महीने यह फाईल गृह विभाग के दौड़ने लगी। 18 अप्रैल को अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ने गृहमंत्री को प्रकरण वापस लेने का प्रस्ताव भेजते हुए निर्णय लेने का निवेदन किया। अगले दिन 19 अप्रैल को गृहमंत्री ने जनहित में रघुराज सिंह कंसाना के आपराधिक प्रकरण वापस लेने पर सहमति दे दी है।

Bhopal   24/04/2023