कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बजने जा रहा है. इस साल मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग आज तारीखों की घोषणा कर सकता है. चुनाव 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए होने जा रहा है, जिसके बाद राज्य को अगला मुख्यमंत्री मिलेगा. कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम को देखते हुए लगता है कि जनता दल-सेक्युलर (JD-S) संभावित किंगमेकर की भूमिका निभाने के साथ, सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच एक करीबी मुकाबला होने की उम्मीद है. वहीं, कर्नाटक विधानसभा चुनावों का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की संभावनाओं पर पड़ेगा. ऐसे में भाजपा, कांग्रेस और जेडी-एस का काफी कुछ इन चुनावों में दांव में लगा नजर आ रहा है.
बहुमत न मिलने के बावजूद ऐसे बनी भाजपा की सरकार
2018 के चुनाव के बाद बनी जेडी-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के गिरने के बाद जुलाई 2019 में कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में आई थी. भाजपा, गठबंधन के कई बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव जीते. विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 121 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 70 और जद-एस के पास 30 विधायक हैं. भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री भी बदले, बीएस येदियुरप्पा ने जुलाई 2021 में इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह बसवराज बोम्मई को ले लिया गया.
कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था कर्नाटक
इधर, कांग्रेस कर्नाटक में फिर से सत्ता हासिल करने की उम्मीद कर रही है, जो कभी उसका गढ़ हुआ करता था. पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करती रही है, जबकि अपने राज्य इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को भी प्रमुखता दे रही है. पार्टी ने चुनाव के लिए 124 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जिसमें आधी से ज्यादा सीटें शामिल हैं. पार्टी भाजपा सरकार की कथित विफलताओं और भ्रष्टाचार को भी उजागर कर रही है और सुशासन और विकास देने का वादा कर रही है.
बेंगलुरु 29/03/2023