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47 साल की हेकानी जाखालू 1536 वोट से जीतीं, 7 महीने पहले राजनीति में आईं थीं

नॉर्थ-ईस्ट के तीन राज्यों नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में आज चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। त्रिपुरा में 16 फरवरी और मेघालय-नगालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग हुई थी। तीनों राज्यों के लोगों को रिजल्ट का इंतजार था, लेकिन नजरें नगालैंड पर थीं। 1963 में नगालैंड राज्य बना, 60 साल गुजरे, 14वीं बार लोग CM चुन रहे हैं, लेकिन आज तक किसी भी सीट से कोई महिला विधायक नहीं चुनी जा सकी थी। इस बार ये परंपरा टूट गई।

Nationalist Democratic Progressive Party (NDPP) की हेकानी जाखालू दीमापुर III सीट जीतकर नगालैंड की पहली महिला MLA बन गई हैं। उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के एजेटो झिमोमी को 1536 वोट से हराया। 47 साल की हेकानी को 14,395 वोट मिले। वे 7 महीने पहले ही राजनीति में आई हैं।

दो और महिला उम्मीदवार आगे
60 विधानसभा सीटों वाले नगालैंड में 184 उम्मीदवार मैदान में थे, इनमें सिर्फ 4 महिलाएं थीं। NDPP की ही सालहुटुआनो क्रूस पश्चिम अंगामी सीट से और BJP की काहुली सेमा एटोइजू सीट से आगे चल रही हैं। यानी इनकी बढ़त जीत में बदलती है तो नगालैंड में पहली बार 3 महिला विधायक एक साथ सदन में पहुंचेंगी। उधर, चौथी महिला कैंडिडेट कांग्रेस की रोजी थॉमसन को अब तक की काउंटिंग में 50 वोट भी नहीं मिल पाए हैं।

नगालैंड में महिला वोटर्स की संख्या (49.79%) पुरुषों के बराबर है, यानी वे भी बराबरी से सरकार चुनती हैं। इसके बावजूद उनके राजनीति में आने का हमेशा से विरोध होता आया है। दूसरी तरफ 60 विधानसभा सीटों वाले मेघालय में न सिर्फ समाज बल्कि सरकार में भी महिलाओं का खासा प्रभाव है।

नॉर्थ ईस्ट के ही मेघालय में कई जनजातियों में महिलाएं ही परिवार की चीफ होती हैं। बेटियां वारिस होती हैं और लड़कों को संपत्ति में हक नहीं मिलता। यहां लड़की पैदा होने पर लोग खुशी मनाते हैं।

मैंने नगालैंड की तीनों बड़ी पार्टियों NDPP, BJP और कांग्रेस की महिला नेताओं से बात की और उनसे पूछा...

  • राज्य में महिलाएं राजनीति में क्यों नहीं आ पातीं?
  • राजनीति में महिलाओं के सामने क्या मुश्किलें आती हैं?
  • पार्टियां ज्यादा महिलाओं को टिकट क्यों नहीं देतीं?
  • महिलाएं राजनीति में आएं, इसके लिए पार्टियों ने क्या किया?

इन सवालों के जवाब के लिए सबसे पहले मैं NDPP कैंडिडेट हेकानी जाखालू के घर ही पहुंचा था। पेशे से वकील हेकानी दीमापुर की वुनग्राम कॉलोनी में रहती हैं। सुबह के 6 बजे होंगे। मैं गया, तब चुनाव प्रचार चल रहा था, इसलिए सुबह से ही घर में काफी हलचल थी।

देश में सबसे पहले सूरज नगालैंड में ही उगता है। ऐसे में 6-7 बजे तक यहां ज्यादातर लोग अपने रोजमर्रा के काम में जुट जाते हैं। दिन आगे बढ़ने के साथ ही हेकानी जाखालू के घर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया।

जाखालू के घर या कहें बंगले के बाहरी हिस्से में बड़ा सा इलेक्शन ऑफिस बना दिखा। ऑफिस के बाहर उनके समर्थक और गनमैन मौजूद थे। मैंने जाखालू से मिलने के लिए बात की, तो ऑफिस से कहा गया कि पहले वह लोगों से मिलेंगीं, फिर इंटरव्यू देंगीं। करीब आधा घंटा इंतजार करने के बाद हेकानी जाखालू आईं। वे मुझे घर के बाहर बने लॉन में ले गईं। यहां बातचीत शुरू हुई। ये बातचीत वोटिंग से पहले की है।

परिवार से कोई राजनीति में नहीं, 7 महीने पहले से तैयारी की
हेकानी से मेरा पहला सवाल था कि अचानक राजनीति में आने और चुनाव लड़ने का फैसला कैसे लिया? वे कहती हैं- ‘इस चुनाव के लिए मैं 7 महीने से मेहनत कर रही हूं। मेरे परिवार में कोई भी पॉलिटिक्स में नहीं था, इसलिए यह फैसला थोड़ा मुश्किल था। मेरी विधानसभा सीट में ज्यादातर लोग गांवों से आते हैं। उनकी अलग-अलग तकलीफें हैं। ग्राउंड पर उतरने के बाद मुझे लगा कि मुझे दबे, पिछड़े और महिलाओं के लिए काम करना चाहिए।’

केंद्रीय मंत्री और CM दोस्त, इसलिए पॉलिटिक्स में जाने की बातें होने लगीं
राजनीति में एंट्री के सवाल पर हेकानी जाखालू बताती हैं, ‘मेरे कई दोस्त नॉर्थ ईस्ट से यूनियन मिनिस्टर हैं। कुछ मुख्यमंत्री हैं और कुछ पॉलिटिक्स में बड़े पदों पर हैं। इसलिए लोगों को लगता है कि पॉलिटिक्स में आना मेरे लिए आसान था, लेकिन मैं बता दूं कि मेरा पॉलिटिक्स में आने का कभी इरादा नहीं था। पिछले साल मई-जून में लोकल विधायक के एक कार्यक्रम में शामिल हुई, तो बातें होने लगीं कि मैं भी पॉलिटिक्स करने जा रही हूं।

नगालैंड में महिला कैंडिडेट पर कम भरोसा करते हैं लोग
नगालैंड में आज तक कोई महिला विधायक क्यों नहीं हुई? इसके जवाब में हेकानी जाखालू कहती हैं- ‘क्योंकि इस पर बातें बहुत हुईं, पर काम नहीं हुआ। पंचायत चुनाव में महिलाओं को रिजर्वेशन दिया गया, तो इसका विरोध होने लगा। कई जगह हिंसा हुई।'

‘इसके बाद कई रिसर्च हुईं, जिनसे पता चला कि नगालैंड के लोग लीडर के तौर पर सिर्फ पुरुषों को देखना चाहते हैं। वे महिला कैंडिडेट पर कम भरोसा करते हैं। मैंने भी इस बारे में पड़ताल की, तो पता चला कि राज्य में महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं। यही कारण है कि वे हमेशा से दबाई जाती रही हैं।’

Bhopal   02/03/2023