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रवीन्द्र जैन पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का शराब और अवैध खनन विरोधी मुहिम और आम आदमी पार्टी द्वारा मप्र ईकाई को अचानक भंग करना। शराब नीति को लेकर उमा भारती ने 7 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जो पत्र सौंपा है, वह बीस दिन बाद उन्होंने मीडिया में जारी कर दिया है। इस पत्र में उमा जी ने 5 बिन्दुओं को शराब नीति में शामिल करने को कहा है। उमा जी स्वयं जानती हैं कि उनकी सलाह नीतिगत तो ठीक है, लेकिन व्यवहारिक रूप से इसे लागू करना असंभव है। जैसे शराब के अहाते पूरी तरह बंद करना। धार्मिक स्थलों व शैक्षणिक संस्थाओं से शराब की दूकानें कम से कम 500 मीटर दूर हों आदि। हमारे देश में आवासीय क्षेत्र में हर आधे किलोमीटर की दूरी पर कोई न कोई धार्मिक स्थल या शैक्षणिक है। ऐसे में यदि उमा जी की बात को माना जाता है तो सभी शराब की दूकानें शहर से बाहर हो जाएंगी। शायद यह संभव नहीं है। भोपाल के अयोध्यानगर क्षेत्र के एक मंदिर में डेरा डाले उमा जी ने मंगलवार को राज्य सरकार को धमकाते हुए कहा कि उनकी बात नहीं मानी तो वह होगा जिसकी कल्पना भी नहीं की गई। अभी तक उमा भारती ने शराब की दुकानों पर ईंट और गोबर फेंकने का काम किया है। अब वे इससे आगे बढ़ने को बेताब दिखाई दे रही हैं। उमा जी को पता है कि सहल सहज शिवराज सिंह चौहान शराब के मुद्दे पर कोई बीच का रास्ता निकालकर उमा जी को शांत कर सकते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अचानक शराब के साथ साथ अवैध खनन को भी मुद्दा बनाना शुरु कर दिया है। उन्होंने अवैध खनन को रोकने का काम एसएएफ को सौंपने की सलाह के साथ साथ यह सलाह दी है कि अवैध खनन में लगे वाहनों के टायरों में सीधे गोली मारी जाए। सख्ती की जाए। मप्र अवैध खनन अब सत्ताधारी नेताओं की वैध कमाई का जरिया बन चुका है। मप्र में तो सत्ताधारी दल के नेता अवैध खनन को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझने लगे हैं। सच्चाई यह है कि प्रदेश में शराब बंदी आसान है, लेकिन अवैध खनन रोकना कठिन ही नहीं असंभव है। यानि उमा जी ने मप्र सरकार की शराब से होने वाली कमाई के साथ साथ सत्तारूढ नेताओं की कमजोर नस पर हाथ रख दिया है। अब बात करते हैं मप्र में आम आदमी पार्टी की विधानसभा चुनाव की तैयारी पर। आम आदमी पार्टी ने बीते नगरीय निकाय चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था। एक महापौर और कई पार्षद तो जीते ही। खबर है कि शहरी क्षेत्र के लगभग 7 प्रतिशत वोटों में सेंध भी लगा दी है। मप्र में आम आदमी पार्टी को किसी स्थापित नेता की तलाश है जिसे सीएम का चेहरा बनाकर मप्र के विधानसभा चुनाव में उतरा जा सके। अब चर्चा है कि क्या उमा भारती मप्र में आम आदमी पार्टी का चेहरा हो सकती हैं? हालांकि यह आसान नहीं है। लेकिन दिल्ली में चर्चा है कि मप्र में भाजपा एंटी इंकमबेंसी से निपटने आम आदमी पार्टी की मदद लेगी। भाजपा का ही कोई चेहरा आप पार्टी से जुड़ेगा। यदि गुजरात की तरह मप्र में भी आप पार्टी को 13 प्रतिशत वोट मिले तो यहां कांग्रेस को हराकर भाजपा आसानी से सरकार बना सकती है।
   01/02/2023