लोकसभा चुनाव की वोटिंग के पहले भोपाल के उम्मीदवार सोशल मीडिया पर भी खूब एक्टिव रहे। चाहे वोट डालने की अपील हो या, सभा, रैली और रोड शो। इन्होंने अपने इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर वीडियो भी अपलोड किए। ये वीडियो ज्यादा लोगों तक पहुंच सके, इसके लिए खर्च भी किया। इनमें कांग्रेस के अरुण श्रीवास्तव सबसे आगे रहे। डेढ़ सौ से ज्यादा वीडियो की रील बूस्ट कराने के बदले उन्होंने 3.38 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए।
बीजेपी के आलोक शर्मा दूसरे नंबर पर रहे। जिनका खर्च करीब 70 हजार रुपए आया, जो अरुण श्रीवास्तव के खर्च के मुकाबले 20% ही है। ये पेमेंट भी चुनावी खर्च में जोड़ा गया है। अन्य कैंडिडेट्स ने वीडियो तो सोशल मीडिया पर अपलोड किए, लेकिन इसमें खर्च नहीं किया। जिला प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट भी जारी की है।
मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक एक्टिव रहे
भोपाल लोकसभा सीट पर कुल 22 कैंडिडेट्स मैदान में रहे। उन्होंने इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर अपने चुनावी वीडियो खूब वायरल किए, लेकिन BJP और कांग्रेस कैंडिडेट्स ने अपने वीडियो बूस्ट भी कराए। जिसके बदले उन्होंने कीमत भी चुकाई। ताकि, वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। समझा जा सकता है कि उम्मीदवार मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक एक्टिव रहे।
सोशल मीडिया पर भी नजर रखी
उम्मीदवारों के सोशल मीडिया अकाउंट पर एमसीएमसी कमेटी ने नजर रखी। खासकर बीजेपी और कांग्रेस कैंडिडेट्स के फेसबुक और इंस्ट्राग्राम अकाउंट देखे गए। जिसमें कोई रील बूस्ट कराने का पेमेंट भी खर्च में जोड़ा गया।
एमसीएमसी कमेटी में ऐसे कर्मचारी शामिल किए गए, जो इस काम में एक्सपर्ट हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर से मीडिया एक्सपर्ट जितेंद्र चतुर्वेदी, सब इंजीनियर हिमांशु जैन, अभिरल जोशी, संजय तिवारी 24 घंटे नजर रखे रहे। वहीं, एमएलबी कॉलेज के प्रोफेसर भूपेंद्र झा और राजेश भावसार ने भी नजर रखी।
एक्सपर्ट चतुर्वेदी ने बताया कि रील बूस्ट कराने के लिए मेटा की साइड चेक की गई। इसमें यह उल्लेख भी रहता है कि किस रील के लिए कितनी राशि का भुगतान किया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार खर्च जोड़ा गया।
ऐसे जुड़ता है खर्च
इस बार लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार कुल 95 लाख रुपए खर्च कर सकता था। प्रत्याशियों के चुनाव खर्चों में प्रचार और उससे जुड़े सभी तरह के व्यय शामिल रहते हैं। इसमें उनके द्वारा और उनके समर्थकों द्वारा प्रचार के लिए गाड़ियों से लेकर टेंट, खाना-पीना, नाश्ता, पंखे, फूल, गुलदस्ते समेत सभी तरह के सामान और प्रचार के माध्यम खर्च में जोड़े जाते हैं।
यहां तक कि किसी प्रायोजित कार्यक्रम में शामिल होने से उसका खर्च उनके खाते में जुड़ जाता है। आम लोग भी प्रत्याशियों के खर्च को लेकर शिकायत या सूचना सी-विजिल और अन्य माध्यम से चुनाव आयोग को दे सकते हैं।
मेहनत के बावजूद नहीं बढ़ी वोटिंग
लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज 7 मई को भोपाल में वोटिंग हो चुकी है। हालांकि, वोटिंग का प्रतिशत 65 से भी कम रहा है, जबकि टारगेट 70% तक था। इसके लिए जिला प्रशासन ने वोटर्स को रिझाने के लिए कई इनोवेशन भी किए। ड्रा सिस्टम में डायमंड रिंग दी गई।