मध्यप्रदेश में अब ग्राम पंचायत से लेकर मंत्रालय तक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियमित भर्ती नहीं होगी। जैसा कि भोपाल समाचार डॉट कॉम द्वारा बताया गया था, चतुर्थ श्रेणी पर सभी सेवाएं आउटसोर्स कर दी गई हैं। अब सभी कर्मचारी किसी प्राइवेट कंपनी में नियुक्ति प्राप्त करके सरकारी कार्यालयों में काम करेंगे।
आउटसोर्स वाले सरकारी काम करेंगे लेकिन सरकारी कर्मचारी नहीं होंगे
टेक्नोलॉजी और प्रोफेशनल सर्विस के लोग तो इसे बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं परंतु चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए यह स्पष्ट कर देना अनिवार्य है कि कर्मचारियों का आउटसोर्स सिस्टम क्या होता है। इसका मतलब यह होता है कि, कर्मचारियों की नीति सरकार नहीं बल्कि एक प्राइवेट कंपनी करेगी। सरकार कंपनी को वेतन देगी और कंपनी अपना कमीशन काटकर कर्मचारियों को देगी। इस प्रकार नियुक्त हुए कर्मचारी सरकारी दफ्तरों में सरकारी काम करेंगे परंतु वह सरकारी कर्मचारी नहीं होंगे बल्कि प्राइवेट कर्मचारी होंगे। उनकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकेंगी और उन्हें शासकीय कर्मचारियों के लिए निर्धारित लाभ नहीं दिए जाएंगे।
कर्मचारी संगठनों को आपत्ति
सरकार के इस फैसले पर कर्मचारी संगठनों को आपत्ति है। मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच और अजाक्स ने सरकार के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है एवं फैसला वापस न लेने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी भी दी है, परंतु इस मामले में सरकार निश्चिंत है क्योंकि चतुर्थ श्रेणी पर नियुक्त होने वाले नागरिक, सरकार की कई प्रकार की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं और वर्तमान में भी कई विभागों में अस्थाई काम कर रहे हैं। कुछ विभागों में तो रजिस्टर पर काम कर रहे हैं। उन्हें एक मजदूर की तरह नगद वेतन दिया जाता है। आज भी उनका नाम शासकीय कर्मचारी के तौर पर दर्ज नहीं है, और ऐसी कोई संभावना भी नहीं है।