भोपाल में सतपुड़ा भवन स्थित उच्च शिक्षा संचालनालय में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (OSD) स्तर के अधिकारी डॉ. संजय जैन के खिलाफ अरेरा थाने में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। 16 फरवरी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए डेढ़ लाख रुपए घूस मांगने का ऑडियो सामने आने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। ऑडियो में वे अनुकंपा नियुक्ति के मामले में 'व्यवस्था' के नाम पर रिश्वत मांगते सुनाई दे रहे थे। जांच में सहयोग न देने पर शिकायत शाखा प्रभारी अजय अग्रवाल ने संजय जैन के खिलाफ केस दर्ज कराया है। अभी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
टीआई आरके सिंह ने बताया निशांत रैकवार पुत्र स्वर्गीय राजेश रैकवार से उच्च शिक्षा संचालनालय की राजपत्रित स्थापना शाखा में ओएसडी पद पर तैनात थे। डॉक्टर संजय कुमार जैन ने नियुक्ति के लिए रिश्वत मांगी थी। निशांत ने फोन में हुई बातचीत का काॅल रिकाॅर्ड सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था। ऑडियो में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों में आवेदकों से हिस्सा मांग रहे थे। ऑडियो सामने आने के बाद डॉ. जैन को सस्पेंड कर दिया गया था। मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए थे। जांच में सहयोग न करने पर कमिश्नर कर्मवीर सिंह और एसीएस केसी गुप्ता ने डॉ. जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया। फिलहाल, निशांत रैकवार शासकीय महाविद्यालय, सतवास, देवास में सहायक वर्ग तीन के पद पर तैनात हैं।
डॉ. संजय जैन और निशांत के बीच हुई बातचीत के अंश...
संजय जैन: अच्छा, अब क्या है, ये सब चीजें एडवांस में होती हैं, हमने तो सब विश्वास में तुमको कर दिया था कि चलो भाई... बाद में हो जाएगा, अब तुम अब अपने हिसाब से देख लो कैसे क्या करना है। जो भी हो जैसे भी हो सम्मानजनक हो, क्योंकि सहायक वर्ग-3 का पद है... क्योंकि क्लास 4 का देते तो तुम्हें क्लास-3 आने में कितना समय लगता। एक तो तुम्हारा प्रकरण कितना उलझा, ये भी था कि पिताजी के कारण कहो नहीं भी देते क्योंकि अभी उनका क्लियर नहीं हुआ है। वह तो मानवीय दृष्टिकोण अपना कर हमने अपने हिसाब से इसको किया है... तो सोच-समझ कर तुम देख लो।
निशांत: जी सर...जी।
संजय जैन: हमने तो सबको 1.5 बोला था... लिया है। अब तुम उस हिसाब से लेकर आ जाओ... ठीक है। कर लो, क्योंकि ये पहले होता है, नहीं तो बाद में लोग बोलते, मेरा तो हो गया अब क्या लेना-देना। ये तो विश्वास की बात रहती है... ठीक है, तो कर लो इसको... कर लो सेट?
निशांत: जी... सर।
संजय जैन: जाते समय जब उज्जैन जाओगे तो भोपाल होते हुए ही जाओगे?
निशांत: सर, रात की ट्रेन से निकलूंगा ना... 8.50 की ट्रेन से। मम्मी भी साथ में जा रहीं ना सर।
संजय जैन: उज्जैन में अपन मिलेंगे भी तो वहां तो सब लोग रहते हैं, तो ऐसा कौन होता है... बातचीत भर हो पाएगी। चलो तुम सेट कर लो जैसा भी हो। जिस तरीके से भी है ना। थोड़ा अभी वहां मिलोगे भी तो सबसे सामने नहीं करना... देख समझ कर। नहीं तो फिर क्या होता है, दिक्कत होती है। ठीक है... चलो... चलो।
दूसरा ऑडियो: मंत्रालय के कर्मचारी से बोले- ये सब्जी मंडी नहीं
एक अन्य ऑडियो भी वायरल हो रहा है। बताया जाता है कि इसमें प्रो. डॉ. संजय जैन सुगंधा नाम के केंडिडेट पर प्रेशर बनाने के लिए उनके विजय नाम के परिचित पर दबाव बना रहे हैं।
वे कह रहे हैं कि उसको प्रॉब्लम है तो कोई दिक्कत नहीं है, रूटीन में हो जाएगा, जब होना है। उसे अगर जल्दी करवाना है तो... उसका एक साल में हो रहा है। वैसे अभी दो-दो साल वाले पड़े और बैठे हैं। उसका बाद में हो जाएगा, कोई जल्दी नहीं है।
अभ्यर्थी का परिचित बोला- सर जल्दी करवाना है।
डॉ. संजय - देखो, विजय... सुगंधा से इतनी बातें नहीं होती हैं। ये सब्जी मंडी नहीं है।
विजय - मैं समझ रहा हूं, सर। लड़की के पास जितना है, उतने में कर दीजिए।
डॉ. संजय - उतने में नहीं होगा। हां तो हां, जो लोग तैयार हैं, उन्हें पहले करवा देंगे। रिक्वेस्ट का सवाल नहीं है। मैं बालाघाट का हूं, इसलिए सोचा।
संजय जैन के ऑडियो वायरल होने के बाद शिवराज सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह ने कहा था कि मैं तो बहुत समय से कह रहा हूं, मप्र में लॉ एंड ऑर्डर की जो परिभाषा थी वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल में बदल गई।
अब तो यह है कि नोट लाओ और ऑर्डर ले जाओ। इस मामले में केवल निलंबन कोई सजा नही हैं। मैं कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी जो लगातार लूट मची है। प्रदेश में उस लूट को रोकें और आम जनता को न्याय उपलब्ध कराएं। मप्र में अब एक हाथ दो और दूसरे हाथ लो का सिस्टम चल रहा है। विपक्ष के मुद्दा उठाने के बाद जैन को संस्पेंड कर दिया गया था।